प्रायोजक हिमाचल टूरिज्म का उद्देश्य लाहौल की खूबसूरती को लाया जाये विश्व मानचित्र पर
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
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शिमला। कुल्लू मनाली, अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल स्थित सिस्सू में 10 मार्च को तीसरे स्नो मैराथन में भाग लेने के लिये मैराथनर्स मनु नगरी मनाली में जुटने शुरू हो गये हैं। एशिया की एकमात्र और लगभग दस हजार फीट पर होने वाले इस आयोजन को विश्व की सबसे ऊंची मैराथन का दर्जा प्राप्त है। और यही कारण है कि देश के कोने कोने से हर साल इस आयोजन में व्यापक भागीदारी देखने को मिलती रही है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस मैराथन का आयोजन रीच इंडिया और जिला प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है जबकि इस बार हिमाचल प्रदेश का पर्यटन विभाग भी इस इवेंट के मुख्य प्रायोजक के रूप में उभरा है। पर्यटन विभाग का प्रयास भी इस आयोजन को विश्व मानचित्र पर लाना है जिससे की लाहौल की सफेद खूबसूरती से कोई भी अछूता नहीं रहे। इस आयोजन को आईज वियर पार्टनर के रूप में पोलराइड, रनिंग पार्टनर के रूप में कैंपस शूज, न्यूट्रिशन पार्टनर के रूप में फास्ट एंड अप, एनर्जी पार्टनर के रूप में बोन, अवार्ड्स पार्टनर्स के रूप में यंगियर एंड गोक्यो का समर्थन प्राप्त है।
आयोजक गौरव शिमर और राजीव कुमार इस बार आश्वस्त हैं कि वे गत वर्ष के प्रतिभागियों के आंकड़े को पार कर लेंगें । फुल मेराथन (42 किलोमीटर), हाफ मेराथन (21 किलोमीटर), दस किलोमीटर और पांच किलोमीटर दौड़ की चार श्रेणियों में अब तक लगभग डेढ़ सौ धावक अपना पंजीकृण करवा चुके हैं। इस वर्ष देश के अलावा विदेशों से दस मेराथनर्स भी भाग ले रहे हैं। श्रीलंका के धावक 34 वर्षीय पूर्ण राजरसम गत तीन दिनों से स्थानीय मौसम के अनुकूल अपने आपको ढ़ाल रहे हैं। इन्हीं के साथ यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, इथोपिया आदि के धावक भी अब बार लाहौल की सफेद चादर पर अपना दम खम दिखायेंगें।
गत वर्ष की तरह इस बार भी इंडियन नेवी के 25 धावक भाग लेने मनाली पहुंच चुके हैं और टीम एक्सरसाइज के द्वारा समुद्री सतह से मनाली की ऊंचाई में अपने आपको ‘एक्लामेटाईज्ड’ कर रहे हैं। इंडियन नेवी के यह सेलर्स (नाविक) मुम्बई, कोच्चि, गोवा, दिल्ली विशाखापट्टनम आदि शहरों से आये और पहली बार इस मैराथन में भाग लेने के लिये उत्सुक हैं। कमांडर दिनेश बाली की अगुवाई में आया यह दल सी डाइविंग के अलावा देश की विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों को पार करने के लिये बेहतर रूप से ट्रेंड किया जाता है और समय समय पर देश के कोने कोने में आयोजित होने वाले साहसिक अभियानों का हिस्सा बनने के लिये भेजा जाता है। इन सेलर्स के अलावा भारतीय सेना का दल भी इस मैराथन के लिये अपनी दावेदारी पेश कर रहा है। आयोजकों के अनुसार इस बार 15 जवान मैराथन में भाग ले रहे हैं जिसमें से लद्दाख स्काउट्स के जवान प्रमुख हैं।
बुधवार को इन जवानों ने दिल्ली से आये हाई एल्टीट्यूट ट्रेनर नकुल भुट्टा के मार्गदर्शन में जमकर अभ्यास किया। दल ने लगभग सात किलोमीटर की ट्रेकिंग के बाद इस दौरे में पहली बार लगभग दो किलोमीटर की स्नो वाॅक की। ट्रेनिंग के दौरान न्यूट्रिशन, ट्रेकिंग गियर, स्नो रनिंग आदि गुर बताये गये। नकुल के अनुसार यह टिप्स इन सभी को पूरी उम्र सहायक सिद्ध होंगें।
स्नो मैराथन के गत संस्करणों में दक्षिण भारत के धावकों की व्यापक भागीदारी देखने को मिलती रही है। कुल भागीदारी में लगभग चालीस से पचास फीसदी धावक कर्नाटका, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के राज्यों से आते रहे हैं। आगामी लंबे वीकऐंड के चलते पड़ोसी राज्यों के धावक भी इस मेराथन में भाग लेने के मेराथन को गवांना नही चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश के साथ साथ दिल्ल्ली और चंडीगढ़ के युवाओं का जोश सदैव सराहनीय रहा है।