आदर्श हिमाचल। ब्यूरो
शिमला। अखिल भारतीय संत परिषद के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के प्रभारी यति सत्यदेवानन्द सरस्वती महाराज जी ने अपने चम्बा के तीन दिवसीय प्रवास से वापिस आकर एक प्रेस विज्ञप्ति रिलीज करते हुए कहा की हिमाचल प्रदेश की स्थिति भारत के बाकी राज्यों की तरह दयनीय हो गई है।
हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में सनातन धर्मालंबी के धर्म गुरुओं के निष्क्रियता के कारण पहाड़ी क्षेत्र सनानत विहीन होते जा रहे हैं जबकि हिमाचल में धारा 118 के तहत कोई भी बाहर से राज्य के बाहर का नागरिक यहां पर स्थाई निवासी नहीं बन सकता कोई भी बाहर का व्यक्ति यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता लेकिन फिर भी चंबा का जो प्रवास रहा है उसमें देखा गया है कि वहां पर जो जम्मू कश्मीर के लोग बॉर्डर पार आकर बसे हुए ही नहीं बल्कि वहां के स्थाई निवासी बने हुए हैं, हिमाचल प्रदेश राज्य के जो सीमा भर्ती क्षेत्र है वहां पर दूसरे राज्यों के से लोग आकर वहां के स्थाई निवासी बने हुए हैं।
वहां पर नेपाल बांग्लादेश भारत के अलग-अलग राज्यों से जमाते आ रही है जमाते आकर वहां पर उनके संप्रदाय विशेष के लोगों को बरगला रही हैं तथा उनमें कट्टरता भर रही है।
वहीं दूसरी तरफ जो हमारी सनातन पद्धति या सनातन धर्म संस्कृति के तहत हमारे संत मंडली के रूप में अपने समाज के लोगों के बीच में जाकर उनको सनातन धर्म बताते थे या इनकी जिम्मेदारी थी अपने सनातन धर्मावलंबियों को सनातन धर्म बताने की उनके ऊपर आने वाले खतरे के बारे में बताने की तथा उस खतरे को कैसे खत्म किया जाए वो उपाय बताने की थी। जो अखाड़ों की तरफ से चलती थी लेकिन कालांतर के चलते हुए आज यह देखने को मिलता है जो अखाड़े के संत हैं। उनमें से ज्यादातर संत मात्र मठों मंदिरों तक सीमित रह गए हैं।
उनकी ऐसी समाज के प्रति निष्ठुरता के कारण सनातन समाज बहुत भयंकर स्थिति में पहुंच चुका है।अभी चंबा में जाकर मैंने यह देखा कि वहां पर पहाड़ी इलाकों में वहां के लोगों ने संतो को का मुंह तक नहीं देखा हुआ है वहां के लोगों को पता ही नहीं है संत क्या होते हैं अगर आज यह समाज इस स्थिति में पहुंचा है कि वह उनको धर्म बताने वाले या धर्म की नीति बताने वालों को जानता तक नहीं है तो वह धर्म को क्या जानेगा? इसकी जिम्मेदारी हमारे सनातन के जो सभी आखड़ों को स्वीकार करनी होगी और बड़े-बड़े शंकराचार्य जगतगुरु महामंडलेश्वर इत्यादि को स्वीकार करनी होगी अगर यह कार्य नहीं हुआ तो समाज तो नहीं बचेगा किसी को नर्क भी नहीं मिलेगा!
उन्होंने आगे कहा कि आज मन बहुत व्यथित हुआ है जिसको देव की नगरी कहा जाता है और जिनको देवताओं की संतान कहा जाता है उस राज्य में वहां के लोग अपने सनातन धर्म के बारे में जानते तक नहीं है।
जिस देव भूमी से शंकराचार्य तथा जगतगुरू निकलने चाहिए थे उसी देव भूमी से काज़ी निकल रहे हैं तो इस पर सबको आत्म चिन्तन करना होगा कि किस विचार धारा के चलते कशमीर में एक धर्म के लोगों को चुन कर सीरियल किलिंग जैसी घटनाएं हो रही? किस विचारधारा के कारण देव भूमी में बच्चियों के साथ जिहाद के नाम पर उनको बर्बाद तथा काटा जा रहा है? घरों पर हमले तथा बाकी अशांति बाली गतिविधियां की जा रही हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिती हिमाचल प्रदेश की ही नहीं अपितु सारे भारत के कई राज्यों की है।
इसलिए मैं आपने के अग्रिणी मार्गदर्शकों के चरणों में निवेदन करता हूं कि इससे पहले की सनातन का सूर्य अस्त हो और आपके संत बनने का उद्वेश्य निष्फल हो उससे पहले अपनी चेतना को जगाएं तथा समाज को सही दिशा देने के लिए अपने अखाड़े के संतो को आदेश दे कि वह समाज को एक दिशा देने के लिए मण्डली बनाकर उनके बीच में सन्देश वाहक बनकर जाएं।
उन्होनें आगे बताया कि इसी उद्देश्य को लेकर उनके गुरु महामंडलेश्वर यति नरसिंहानन्द गिरी महाराज जी ज़ुना आखड़ा शिव शक्ति धाम डासना मन्दिर गाज़ियाबाद से यह प्रयास जारी कर दिया है। उनके संतो तथा शिष्यों की एक मण्डली 2 जून 2022 से सारे भारत भ्रमण पर समाज के संतो तथा सनातन धर्म के मानने बालों के पास जाकर उनका सन्देश देगी। जिससे सनातन की पूजा पद्धति तथा धर्म प्रचार की नीतियों पर चर्चा की जा सके। जिसका मूल उचित्य हर मन कृष्ण हर घर गीता हर हाथ गांडीव है।
हर हर महादेव