उफनाई गंगा में आठ घंटे तक फंसी रहीं 150 लोगों की जान, एसडीआरएफ के जवानों ने किया रेस्क्यू

उफनाई गंगा में आठ घंटे तक फंसी रहीं 150 लोगों की जान, एसडीआरएफ के जवानों ने किया रेस्क्यू
उफनाई गंगा में आठ घंटे तक फंसी रहीं 150 लोगों की जान, एसडीआरएफ के जवानों ने किया रेस्क्यू

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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देहरादून। उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों के रहने वाले इन परिवारों  के लिए एसडीआरएफ भगवान बन के सामने आयी है। नदी के बीच में फंसे इन परिवारो को अपनी जान पर खेलकर एसडीआरएफ के जवानों ने बचाया। मामला गंगा नदी के किनारे बसी उस बस्ती का है जहां एक दर्जन से अधिक मजदूरों  के परिवार अपना आशियाना बना रह रहे थे।

सूरजानगर (मुरादाबाद) के राजपाल गुरुवार शाम परिवार के साथ प्लेज में बनी झोपड़ी में सोए थे। सुबह साढ़े पांच बजे जागे तो चारों तरफ पानी, पानी देखकर होश उड़ गए। मदद की कहीं भी उम्मीद नहीं दिखी। आखिरकार फरिश्ते की तरह पहुंचे उत्तराखंड पुलिस प्रशासन ने उन्हें बाहर निकाला। इस दौरान आठ घंटे उनकी सांस टंगी रही। शुक्रवार सुबह पुलिस व प्रशासन ने रेस्क्यू कर गंगा में फंसे 35 परिवारों के जिन डेढ़ सौ लोगों को निकाला, वे सारे यूपी के मुरादाबाद, कैराना व बिजनौर जिले के हैं। गंगा की रेत में सब्जियां उगाकर पेट पालने वाले ये गरीब परिवार वहीं झोपड़ी में रह रहे थे। देर शाम खाना खाकर सोने तक इन्हें किसी तरह के खतरे का कोई अंदेशा नहीं था।

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सुबह में नींद खुली तो मंजर भयानक था। चारों तरफ गंगा का पानी था। जहां उन्होंने सब्जियां बो रखी थी, वहां भी पानी चढऩे लगा था। एक दो ने यूपी के कीरतपुर में परिचितों को सूचना दी, पर घंटों बाद भी वहां से मदद का आश्वासन नहीं मिला। लिहाजा कुछ लोगों ने ट्रॉली की ट्यूब में हवा भरकर उसके सहारे नदी पार कर जान बचा ली। पर जिनके साथ छोटे बच्चे, महिलाएं व पालतु पशु थे, उनकी सांस फूलने लगी। लगा कह शायद जिंदगी का अंत करीब है। लेकिन इसी दौरान उत्तराखंड की तरफ पुलिस व प्रशासन के लोग दिखे तो कुछ उम्मीद बंधी। करीब आठ घंटे की कशमकश के बाद बाहर निकलने पर इनके चेहरे पर दूसरी जिंदगी मिलने की चमह लौटती दिखाई दी।

इन लोगों को किया गया रेस्क्यू

कैराना (शामली) के रामड़ा इंतजार, मुनाजरा, फरहीन, सगीरन, शाहीन, बुशरा, मुनीसा, नूरजहां, अमजद, सरफराज, काफिया, मोमिना, तोशिनी, सन्नो, सूरजानगर मौहम्मद, गुलिस्तां, समरीन, (मुरादाबाद) के रेखा, राजपाल, स्वाति, भारती, दामिनी, सलोनी, लालपुर (बिजनौर) के समीना, अनीस, मेहनाज, शाकिर, जाकिर, समीर, गोपालपुर (बिजनौर) के करण, रूपा, वैशाली, करीना, अर्जुन, कविता, अंजलि, नरगिस, मंगली, संदीप, लुकादड़ी (नजीबाबाद) के सन्नी, शाकिर, सलमान, भूरा, जुबैर, सब्बो, समीना, लंबो, समीना, सुनीता आदि।

इन लोगों ने रेस्क्यू में किया सहयोग

एफएसओ मेहताब अली, एसआई आशीष नेगी, आशीष शर्मा, कल्पना शर्मा, उपेंद्र बिष्ट, एसडीआरएफ के हेड कॉन्सटेबल सुरेश तोमर, विक्रम सिंह, सुमित तोमर, मातबर सिंह, किशोर कुमार, दीपक जोशी व जल पुलिस के हेड कॉन्सटेबल अतुल सिंह, प्रीतम सिंह, विजय बलोदी, गोताखोर जानु पाल, अमित पुरोहित, गौरव, प्रवीण कुमार।

इस तरह हुआ घटनाक्रम

सुबह 7.40 – स्थानीय लोगों ने चौकी पर जानकारी दी।
8.15 – मौके पर स्थिति देखने के बाद चौकी के पुलिसकर्मियों ने एसओ व सीओ को बताया। सीओ ने एसडीएम को सूचना दी।
8.20 – एसडीएम ने डीएम से बात कर एसडीआरएफ की मोटरबोट मांगी।
8.50 – एसडीएम, सीओ, एफएसओ पुलिस व राजस्वकर्मियों संग मौके पर पहुंचे। फंसे लोगों को मदद पहुंचाने का भरोसा दिया।
11.40 – ऋषिकेश से एसडीआरएफ की टीम मोके पर पहुंची, रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
12.40 – एसडीआरएफ ने चार चक्कर लगाकर चालीस से अधिक महिलाओं, बच्चों को निकाला।
12.50 – हरिद्वार से जल पुलिस की टीम दूसरी मोटरबोट लेकर पहुंची। दोनों बोट से रेस्क्यू शुरू।
1.54 पर सभी डेढ़ सौ लोगों को सकुशल निकाला, रेस्क्यू अभियान खत्म किया।