शिमला: अंग्रेजी विभाग, शूलिनी विश्वविद्यालय के साहित्यिक समाज, बैलेट्रिसटिक ने सलमान रुश्दी पर एक आभासी बातचीत का आयोजन किया. इसकी शुरुआत आमंत्रित वक्ता प्रो नंदिनी सी सेन अंग्रेजी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई.
सत्र की शुरुआत रुश्दी के एक उद्धरण के साथ हुई, जो अपने मन की बात कहने के लिए जाने जाते हैं: “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है, ठेस पहुंचाने की स्वतंत्रता के बिना, इसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है.” डॉ सेन ने रुश्दी के जीवनी संबंधी विवरणों का संक्षिप्त विवरण दिया.
डॉ. नंदिनी ने न केवल रुश्दी के कार्यों के बारे में बात की, बल्कि विभाजन के समय के बारे में भी बताया। उन्होंने रुश्दी के सबसे विवादास्पद काम “सैटेनिक वर्सेज” का भी उल्लेख किया, जिसके कारण रुश्दी कई वर्षों तक गायब रहे. उन्होंने यह भी बताया कि “शालीमार, द क्लाउन” रुश्दी की वापसी थी. सत्र बहुत जानकारीपूर्ण रहा.