एसएफआई ने छात्र व देश विरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ किया रोष प्रकट

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। एसएफआई की हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 29 जुलाई को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रिक देश के लिए जिस नई शिक्षा नीति का अनुमोदन किया है उसकी खिलाफत करते हुए उसे शिक्षा विरोधी दस्तावेज करार दिया है। मतलब संसद में बिना किसी चर्चा के इतने विशाल और विविधता वाले देश में जो अपने मज़बूत लोकतंत्र का दम भरता है वहां इतना महतवपूर्ण निर्णय संसद में न होकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में होना लोकतंत्र की हत्या नहीं तो क्या है।

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सवाल उठना लाजमी है कि इस समय जब पूरे देश का ध्यान कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकनेए बदहाल अर्थव्यवस्था को बचाने और बेरोजगारी की विकराल समस्या से पार पाने की आशा अपनी सरकार से कर रहा हैए तब ऐसी क्या आफत आ गई कि इतने महत्वपूर्ण निर्णय के लिए सरकार संसद के सत्र की प्रतीक्षा तक नहीं कर पाई। हालाँकि पिछले 6 वर्षो से एसएफआई का मसला सरकार के पाले में ही अटका पड़ा था और सरकार ने सामान्य स्तिथियों में भी एसएफआई के प्रस्ताव पर संसद में चर्चा करवाने की कोई तत्परता नहीं दिखाई।

    इस से ही पता चलता है कि सरकार की असल मंशा क्या है। कोई भी अनुमान लगा सकता है कि आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्या तय किया होगा- छात्रों और शिक्षा के पक्ष में तो कतई नहीं होगा। जिस निति को सरकार संसद में चर्चा न कर संकट के समय का फायदा उठाते हुए पिछले दरवाजे से लागू करवाया जाये उससे क्या ही आशा की जा सकती है। यह देश के छात्रों और शिक्षाविदों से तो विश्वासघात है ही परन्तु भारतीय लोकतंत्र को कमजोर लड़ने की भी साजिश है। छात्रों के लिए इस शिक्षा निति का पहला सबक है कि लोकतंत्र को कमजोर कैसे करना है और कैसे एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में तानाशाहीपूर्ण निर्णय लागू लिए जा सकते है।

एसएफआई राज्य सचिव अमित ठाकुर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को जनता द्वारा अस्वीकृत दस्तावेज करार देते हुए कहा कि कहाँ तो छात्र आशा कर रहें थे कि सरकार अंतिम वर्ष की परीक्षा पर बने गतिरोध को ख़त्म करते हुए छात्रों के पक्ष में खड़ी होगी परन्तु भाजपा सरकार ने भी संकट में अवसर का फायदा उठाया। जो निर्णय छात्रों पर सामान्य स्थितयों में नहीं थोप सकती थी उसे ऐसे समय में थोप दिया। यही है मोदी जी का संकट में अवसरए अवसर जनता के लिए नहीं परन्तु जनता के खिलाफ।

अभी केंद्रीय संसाधन विकास मंत्री जो भविष्य में शिक्षा मंत्री के नाम से जाने जायेंगेद्ध विस्तृत घोषता करेंगे परन्तु एक बात तो पक्की है कि इस निति में शिक्षा का बड़े स्तर पर व्यावसायीकरणए केंद्रीकरण और सांप्रदायिकरन होगा जैसा कि इसके मसौदे में शामिल था। वंचित समुदाय के छात्रों के लिए शिक्षा का सपना साकार करना मुश्किल होगा और निजी हिस्सेदारी शिक्षा में बढ़ेगी जिसका मकसद केवल लाभ होगा। सरकार ने तो कर दिखाया अब देश के छात्रोंए शिक्षा समुदाय और आम जन को तय करना कि देश का भविष्य क्या होगा।  इसलिए एसएफआई आने वाले समय मे इस छात्र व देश विरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ आम छात्र व शिक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम जन समुदाय को एकजुट करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर निर्णायक आंदोलन शुरू करेगी ताकि सार्वजनिक शिक्षा के मूलभूत ढांचे को बचाया जा सके।