आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। बेहद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश सर्व दिव्यांग कल्याण संघ के लोगों ने सरकार से रोजगार की मांग की है। वर्ग का कहना है कि सरकार उनके लिए भी नीति बनाएं। लोगों का कहना है कि पंजाब की तर्ज पर हिमाचल में भी रोजगार दिया जाए। सरकार के प्रति रोष जाहिर करते हुए कहा है कि उनकी मांगों को बहुत लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका खामियाजा दिव्यांग वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। नौबत यहां तक आ गई है कि नौकरी ना मिलने से खफा लोग आत्मदाह करने को मजबूर है। वर्ग का कहना है कि सरकार दिव्यांगों के लिए नौकरी में आरक्षण दें, जिससे उनका गुजर बसर हो सके। साथ ही आर्थिक तंगी के कारण जो लोग आत्मदाह तक का फैसला ले रहे हैं उन्हें रोका जा सके। वर्ग ने शिमला में बैठक कर आगामी रणनीति तैयार की और 5 जून को प्रदेश सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर सरकार के प्रति रोष जाहिर किया जाएगा।
संगठन की मांग है कि दिव्यांग वर्ग को रोजगार मुहैया करने की जो वर्तमान की पॉलिसी है, उसे बदल दिया जाए। वर्तमान की पॉलिसी के अनुसार 100 दिव्यांगों में से 2 से 4 या 5 ही दिव्यांगों को रोजगार मिलता है। इसकी वजह से जिन्हें रोजगार की बहुत ज्यादा जरूरत है वे रोजगार से वंचित रह जाते हैं। प्रदेश सरकार हमेशा से पंजाब सरकार का अनुसरण करती आई है।
वर्ग का यह भी कहना है कि पंजाब के शिक्षा विभाग ने साल 2016 में 160 दृष्टि दिव्यांगों को रोजगार दिया। साल 2021 में पंजाब के स्थानीय एवं निकाय विभाग ने (सभी श्रेणी के दिव्यांग) दिव्यांगों के लिए 332 पदों के बैकलॉग को भरा। पंजाब के सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने 42 विभागों से रोजगार का डाटा एकत्र करके 900 पर्दो का पत्र दिनांक 16/03/2023 को एत्रहीन युवक संगठन को दिया, जिसकी भर्ती प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू हो जाएगी, ऐसा पत्र नेत्रहीन युवक संगठन को दिया, जिसके लिए संगठन ने आभार व्यक्त किया है। इसी तरह की मुहीम हिमाचल में यदि चलाई जाए तो बहुत से दिव्यांग लाभान्वित हो सकते हैं। दिव्यांग वर्ग को रोजगार प्राप्त करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है, जिस वजह से दिव्यांगो को भी परेशान होना पड़ता है और सरकार को भी।
दिव्यांग वर्ग को रोजगार मुहैया करने की जो वर्तमान की पॉलिसी है, उस पॉलिसी के अनुसार बहुत कम दिव्यांग रोजगार में लग पाते हैं। इस पॉलिसी की वजह से बहुत से दिव्यांग उम्र निकलने की वजह से रोजगार से वंचित रह गए। कुछ की उम्र निकलती जा रही है। जीविकोपार्जन के लिए दिव्यांग वर्ग के पास 1700 पेंशन ही है। दिव्यांग बेरोजगार होने की वजह से उनके घर वाले भी उन्हें घर में रखना पसंद नहीं करते हैं। इस वजह से उनकी जिंदगी बद से बदतर हो जाती है।
वर्ग का कहना है कि जिनके पास शिक्षा है और उनकी उम्र निकलती जा रही है उन्हें पहले रोजगार दिया जाए। सभी विभागों से डाटा एकत्र करके दिव्यांगों को रोजगार देने हेतु भर्ती मेले का आयोजन किया जाए। इसमें योग्यता अनुसार रोजगार दिया जाए। दिव्यांग होने की वजह से बहुत से दिव्यांगरोजगार न मिलने के कारण आत्मदाह तक के लिए मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें उनके घर वाले भी नहीं रखते और न ही उनका वे साथ देते हैं। इसलिए जल्द से जल्द नई पालिसी बनाई जाए जिससे अधिक संख्या में दिव्यांग रोजगार में लग सके।
यदि सरकार ने पॉलिसी बनाने में ढील बरती तो आए दिन शिमला सचिवालय में इसी तरह के धरना प्रदर्शन होते रहेंगे। प्रदेश सरकार ने सहारा योजना को भी बंद करके दिव्यांग वर्ग के साथ कुठाराघात किया है। इस योजना को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए। शिक्षा विभाग में हजारों पद खाली हैं, जिन्हें लंबे समय से भरा नहीं जा रहा है। इन पदों का चिन्हांकन करके पदों को भरने हेतु विज्ञापन जारी किया जाए।