आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सोलन: भारत में पोस्ट.कोविड एनसेफेलाइटिस के लिए दर्ज किए गए पहले मामले में जम्मू के 55 वर्षीय मिथिलेश लम्ब्रू में एक्यूट हेमरेजिक ल्यूको एनसेफेलाइटिस का अपोलो होस्पिटल्स के डॉक्टर्स की टीम द्वारा सफल निदान किया गया। एनसेफेलाइटिस एक न्यूरोलोजिकल विकार है, जो वायरस के कारण होता है यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर दिमाग में सूजन पैदा करता है।
डॉ विनीत सूरी, सीनियर कन्सलटेन्ट, न्यूरोसाइन्सेज़, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, आमतौर पर जब कोविड निमोनिया से ठीक होने वाले मरीज़ को सीडेशन या मसल रिलेक्सेन्ट (वेंटीलेटर पर रखने के बाद) से हटाया जाता है तो कुछ ही घण्टे के अंदर मरीज़ को होश आ जाता है लेकिन लम्ब्रू के मामले में ऐसा नहीं हुआ। उनकी एमआरआई करने पर पता चला कि उनके दिमाग में 400 से ज़्यादा छोटे ब्लड क्लॉट हो गए थे (हेमरेज के स्पॉट)। दुनिया भर में इस स्थिति को कोविड एनसेफेलाइटिस (एक्यूट हेमरेजिक ल्युको एनसेफेलाइटिस) का नाम दिया गया है। किस्मत से हमने समय पर उनकी इस बीमारी का निदान कर लिया और उन्हें इम्यून थेरेपी और स्टेरॉयड दिए गए जिससे मरीज़ की हालत में सुधार होने लगा और 7 दिनों के अंदर मरीज़ पूरी तरह से होश में आ गया। हालांकि उनके हाथ.पैर में अभी भी कम़ज़ोरी है। एमआरआई से पता चला है कि वे 50 फीसदी से ज़्यादा ठीक हो गए हैं और फिर 26 दिसम्बर को उन्हें छुट्टी दे दी गई।
एनसेफेलाइटिस के कारण दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज़ को मिर्गी जैसे दौरे बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण होने लगते हैं। कोविड.19 के कारण एनसेफेलाइटिस के बहुत कम मामले देखे गए हैं दुनिया भर में ऐसे बहुत कम मामले दर्ज किए गए हैं। वास्तव में दिमाग पर वायरस का हमला नहीं होता बल्कि वायरस की प्रतिक्रिया में इम्यून सिस्टम कुछ इस तरह काम करने लगता है कि दिमाग में सूजन आ जाती है।