संवेदना-सहानुभूति-डॉ एम डी सिंह

डॉ एम डी सिंह
डॉ एम डी सिंह
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला

जो मर गए

छोड़ गईं जिनकी स्वांसें 

क्षत-विक्षत लाशें 

अंग-प्रत्यंग जूते-चप्पल यत्र-तत्र

उनके रक्त सने वस्त्र 

बटोरने-बांधने के लिए

फूंकने-तापने के लिए

उनके लिए कैसी संवेदना

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हादसों के बाजार से

पीड़ा के पहाड़ खरीद कर लौटते लोगों 

यात्रा के लोकलुभावन उद्योगों 

कल्पना-संसार में जीने वाले हम शब्दवीरों 

दुःस्वप्नों में लाभ की खेती करते नेता-वजीरों 

के लिए सहानुभूति तो बनती है।