विश्वास, भक्ति, आनंन्द’ का प्रतीक 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम 27, 28 और 29 नवंबर को आयोजित होगा

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आदर्श हिमाचल ब्यूूरो

शिमला, : सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से 74वां वार्षिक निरंकारी संत समागम 27, 28 और 29 नवंबर को आयोजित होगा। जिसमें विश्वभर के प्रभु प्रेमियों के लिए खुशियों भरा अवसर होता है जहां मानवता का अनुपम संगम देखने को मिलता है।

निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता द्वारा संपूर्ण विश्व में सत्य, प्रेम एवं एकत्व के संदेश को प्रसारित कर रहा है जिसमें सभी अपनी जाति, धर्म, वर्ण, रंग, भाषा, वेशभूषा एवं खान-पान जैसी भिन्नताओं को भुलाकर, आपसी प्रेम एवं मिलर्वतन की भावना को धारण करते हैं। कोविड के चलते लगभग सभी राज्यों व शहरो में अभी सामाजिक सम्मेलनों पर अधिक संख्या में एकत्र होने पर रोक लगी हुई है। अतः समागम को वर्चुअल रूप में ही देख पाएंगें।

निरंकारी संत समागम की तैयारियां इस वर्ष वर्चुअल रूप में पूर्ण समर्पण भाव एवं सजगता के साथ की जा रही हैं जिसमें संस्कृति एवं संप्रभुता की बहुरंगी छठा इस वर्ष भी दर्शायी जायेंगी। इस वर्ष के निरंकारी संत समागम का शीर्षक-‘विश्वास, भक्ति, आनंन्द’ विषय पर आधारित है जिसमें विश्वभर से वक्ता, गीतकार तथा कविजन अपनी प्रेरक एंव भक्तिमय प्रस्तुति व्यक्त करेंगे। ‘विश्वास, भक्ति और आनंद’ आध्यात्मिक जागृति का एक ऐसा अनुपम सूत्र है जिस पर चलकर हम इस परमात्मा का न केवल साक्षात्कार प्राप्त कर सकते है अपितु इससे इकमिक भी हो सकते है। इस सूचना से समस्त साध संगत में जहां हर्षोल्लास का वातावरण है वहीं सभी भक्तों ने निरंकार की रज़ा में रहकर इसे सहज रूप में स्वीकार भी किया है।

संपूर्ण समागम का सीधा प्रसारण मिशन की वेबसाईट पर तथा साधना टी.वी. चैनल के माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा। मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है, जब वर्चुअल समागम का सीधा प्रसारण किया जा रहा हो। समागम के तीनों दिन सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज अपने पावन प्रवचनों द्वारा मानवमात्र को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

इस वर्ष का समागम पूर्णतः वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है, किन्तु इसे जीवन्त स्वरूप देने के लिए मिशन द्वारा दिन-रात अथक प्रयास किये जा रहे हंै ताकि जब इसका प्रसारण किया जाये तब इसकी अनुभूति प्रत्यक्ष समागम जैसी ही हो और सभी इसका आनंद प्राप्त कर सके। यह सब सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन द्वारा ही संभव हो पाया है।