आर्थिक तबाही का कारण एक्ट ऑफ गॉड नहीं, एक्ट ऑफ गवर्नमेंट है : राणा

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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हमीरपुर। देश में महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है और दूसरी ओर आर्थिक तबाही खतरनाक चरम पर पहुंच चुकी है। ताजा आई रिजर्व बैंक की रिपोर्ट बता रही है कि इस वित्तिय वर्ष में पौने 2 लाख करोड़ लोन फ्रॉड दुनिया की सबसे अमीर मानी जाने वाली पार्टी के राज में हुआ है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।

उन्होंने कहा कि वित्तिय वर्ष की रिजर्व बैंक की रिपोर्ट बता रही है कि देश में कोविड संकट के बीच पौने 2 लाख करोड़ का लोन फ्रॉड हुआ है। जिस कारण से बैंक भारी संकट में आ चुके हैं और अब बैंकों को बाजार में बने रहने के लिए करीब 3 लाख करोड़ की मदद की दरकरार होगी। रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के आने के कुछ घंटों बाद ही भारत सरकार ने राज्यों को फरमान जारी किया है कि उनका जीएसटी का हिस्सा केंद्र देने की स्थिति में नहीं है, इसलिए राज्य जीएसटी की भरपाई करने के लिए लोन लें।

इस आदेश के आने के बाद पहले से बदहाल आर्थिक स्थिति से गुजर रहे राज्य कंगाली के दौर में पहुंच जाएंगे। राणा ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी की बैठक में इस आर्थिक तबाही की जिम्मेदारी महामारी पर डाल कर अब एक नया जुमला बोला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी की बैठक में कहा है कि यह सब एक्ट ऑफ गॉड है। जिस कारण से देश आर्थिक तबाही के दौर में पहुंचा है।

राणा ने कहा कि सरकारें और सरकारों के जिम्मेदार मंत्री अगर इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान जारी करके समस्याओं को एक्ट ऑफ गॉड बताएंगे, तो यह लोकतंत्र में सरकारों की जवाबदेही को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहा है। राणा ने कहा कि अगर यह एक्ट ऑफ गॉड था, तो दो महीनों तक सड़कों पर घर लौटने के लिए जो बदहवास मजदूर भटकते रहे, तो क्या वह भी एक्ट ऑफ गॉड था? देश में रोज संवैधानिक संस्थाओं की खरीद फरोख्त जारी है, तो क्या वह भी एक्ट ऑफ गॉड है? इधर देश में चल रही आर्थिक कंगाली के बावजूद सत्तासीन बीजेपी पार्टी के जो सैंकड़ों कार्यालय देश भर में हजारों करोड़ के खर्चे से बन रहे हैं, तो क्या वह भी एक्ट ऑफ गॉड है?

सत्ता हासिल करने के बाद देश की सबसे अमीर बनी पार्टी भी एक्ट ऑफ गॉड के कारण सबसे रईस बनी है? राणा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि पहले राजनीति के लिए राम का प्रयोग करती रही बीजेपी अब देश की बदहाल हो चुकी आर्थिक स्थिति को एक्ट ऑफ गॉड बता रही है। यह लोगों की आंखों में धूल झौंकने जैसा है। जन विश्वास से दगा करने जैसा है और लोकतंत्र में सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से मुकरने जैसा है।

राणा ने कहा कि इस देश के बेरोजगारों ने दो करोड़ नौकरियां देने के वायदे पर भरोसा करके बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन अब आलम यह है कि बीजेपी के राज में हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसे में आम आदमी का लोकतंत्र से भरोसा उठा है। भयंकर आर्थिक तबाही में एक झटके से लाखों का बेरोजगार होना भी क्या एक्ट ऑफ गॉड था? आर्थिक बदहाली में फंस कर हजारों लोग खुदकुशी कर रहे हैं, तो क्या यह भी एक्ट ऑफ गॉड है? राणा ने कहा कि चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था एक्ट ऑफ गॉड नहीं एक्ट ऑफ गवर्नमेंट है, जिसका जवाब जनता सरकार से लेकर ही दम लेगी।

राणा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि अताताई हुकमुरानों का अंत जब हुआ है तो जनता को सताने के कारण ही हुआ है। इस सरकार को भी जनता का कोपभाजन बनना ही पड़ेगा। अब गरीब की आहों से इस सरकार को कोई नहीं बचा सकता है।