“जीवन से शगुन चला गया, शवाय की रौनक चली गई, कोरे- करारे नोटों को अकेला कर चली गई” कविता ने खूब वाहवाही लूटी

आदर्श हिमाचल ब्यूरो सोलन।

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डीसी ऑफिस के सभागार में आज साहित्यिक संगम सोलन व हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य आयोजन किया गया। इसके पहले सत्र में कहानी वाचन व दूसरे सत्र में कविता पाठ का आयोजन किया गया।

इस मौके पर निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग डॉ. पंकज ललित ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर केशव शर्मा ने की। लेखक व पूर्व आईएएस अधिकारी शरभ नेगी ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। इस मौके पर डीआरओ सोलन केशव राम और हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला के अध्यक्ष एसआर हरनोट भी मौजूद रहे। पहले सत्र में चार कहानियों पर चर्चा की गई।

इस मौके पर चालीस से अधिक कवियों ने कविता पाठ किया। सविता ठाकुर ने मां की व्यथा का सजीव चित्रण किया। सोचती हूं, शाप है या वरदान मां बनना। राधा चौहान ने कोरोना के रोगी की दशा पर कुछ यूं तंज किया … मैं और मेरी तन्हाई, कोरोना मरीज की यही है सच्चाई।

रोशन जसवाल ने फरमाया अजब कमाल करता है यार तू, सवाल दर सवाल करता है यार तू।
कौमुदी ढल्ल ने चवन्नी चली गई
कविता से खूब वाहवाही लूटी। जीवन से शगुन चला गया, शवाय की रौनक चली गई। कोरे- करारे नोटों को अकेला कर चली गई।

मदन हिमाचली ने बघाटी में कविता पाठ किया। गरीबों रे खिंदड़ू बिकणे खे तैयार एत्थी, सिसकियां देखी तेरा जिऊ क्यों नी डोलदा। शशिभूषण पुरोहित ने स्वां नदी पर प्रवासी परिंदे का गीत पेश कर सबका मनोरंजन किया। शिमला से आई मधु शर्मा ने नए जमाने का प्रेम कविता पेश की। गुलपाल शर्मा ने कवि जब भी कुछ कहता है, मीलों विचरे मन का सार उसके कथन में रहता है।

सीताराम शर्मा सिद्धार्थ ने कहा कि अच्छी सूरत पर अच्छा दिल भी हो सिद्धार्थ कविता पढ़ी। सतीश रत्न ने फरमाया.. सोता था कैसा होगा, हुआ कैसा ये मेरा दर, उखड़ी तमाम खिड़कियां टूटा है इसका दर। रमेश डढ़वाल ने कहा कि वक्त के साथ बदल गया, बिन बदला कुछ आज भी…।

कुलदीप गर्ग तरूण फरमाया कि अगर हल चाहिए तो लड़ना पड़ेगा, कथा बानचना मेरा काम नहीं। डॉ. शंकर वशिष्ठ की कविता के बोल थे… धुंआ धुंआ अंदर और बाहर भी…। डॉ. प्रेम लाल गौतम ने कविता के बारे में कुछ यूं कहा कविता अति कोशल सम्यासती, प्रेरक तारक, सबजन मन की। यशपाल कपूर ने तकनीक की अद्भूत माया कविता पढ़ी, आज सबकी मुट्ठी में आया, तकनीक की अद्भूत माया।
इसके अलावा केआर कश्यप, प्रो. जोगराज, डॉ. कुलराजीव पंत, अशोक गौतम, सचपाल, सुनीता शर्मा, रामपाल वर्मा, संजीव अरोड़ा, हेमंत अत्रि, भारती पठानिया, स्नेह नेगी, नरेश वियोग, दीप्ति सारस्वत, वंदना राणा समेत अन्य कवियों ने कविता पाठ किया।