वर्ष 2009 की केंद्र की अधिसूचना लागू करे प्रदेश सरकार : देविंद्र सिंह प्रेमी

देविंद्र सिंह प्रेमी एनपीएस अधिकारी/कर्मचारी महासंघ जिला शिमला पूर्व अध्यक्ष ,एनजीओ फेडरेशन शिमला जिला उपाध्यक्ष ।
देविंद्र सिंह प्रेमी एनपीएस अधिकारी/कर्मचारी महासंघ जिला शिमला पूर्व अध्यक्ष ,एनजीओ फेडरेशन शिमला जिला उपाध्यक्ष ।
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
शिमला। प्रदेश के एनपीएस कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृति होने पर नाममात्र की 1000-2000 रूपये पेंशन वो भी अपने ही जमा पैसे की लग रही है,इससे ज्यादा तो प्रदेश सरकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन दे रही है।तो प्रदेश का जो कर्मचारी 58 साल तक सरकार को अपनी सेवा देता है उसके साथ ये छलावा क्यों किया जा रहा है यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात एनपीएस अधिकारी/कर्मचारी महासंघ जिला शिमला पूर्व अध्यक्ष ,एनजीओ फेडरेशन शिमला  जिला उपाध्यक्ष देविंद्र सिंह प्रेमी ने कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश का कर्मचारी आज सुरक्षित नहीं है उसको हर पल अपने बुढ़ापे की चिंता सताये जा रही है।एनपीएस कर्मचारियों की ये दुर्दशा देख कर भी सरकार का सीना क्यों पसीज नहीं रहा है।कर्मचारी की मृत्यु होने पर एनएसडीएल कम्पनी में जो कर्मचारी का पैसा जमा होता है उसका केवल 20% पैसा ही परिवार को मिल रहा है शेष 80% पैसा कम्पनी अपने पास रखती है और नाम मात्र की पेंशन उसी कर्मचारी के शेष बचे पैसे से दे रही है,सरकारी कर्मचारी का पैसा सरकार अपने पास न रखकर एक कम्पनी के हवाले कर रही है जिसमे कर्मचारी अपने पैसे को सुरक्षित नहीं मान रहे है क्योंकि यह पैसा शेयर मार्केट के आधार पर आधारित है अगर कम हुआ तो इसका सीधा घाटा कर्मचारी को होता है।
एनपीएस कर्मचारी अधिकारी/कर्मचारी महासंघ जिला शिमला के पूर्व अध्यक्ष और एनजीओ फेडरेशन शिमला के जिला उपाध्यक्ष देविंद्र सिंह प्रेमी की प्रदेश सरकार से पुरजोर मांग है कि केंद्र सरकार ने 2009 में जो अधिसूचना जारी की है जिसमे एनपीएस कर्मचारी की मृत्यु या दिव्यांगता पर परिवार को पुरानी पेंशन के लाभ मिलते है,प्रदेश सरकार भी उसे अविलम्ब जारी करे ताकि कर्मचारी की मृत्यु पर उसके परिवार को पुरानी पेंशन का लाभ मिल सके।ताकि संकट की उस घड़ी में परिवार को कुछ राहत मिले।हिमाचल सरकार के विचाराधीन यह मामला पिछले दो वर्षों से लंबित है,प्रदेश के कर्मचारी पिछले लंबे समय से सरकार से इस अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे है,पर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया है जिसे प्रदेश के कर्मचारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है व दिन रात उनको यही चिंता सताये जाती है कि अगर उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो पेंशन के अभाव में उनके परिवार का गुजर बसर किस तरह होगा।हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर जी जो हमेशा कर्मचारी हितेषी रहे है हम सबको विश्वास है कि वो जरूर हमारी वेदना समझेंगे और शीघ्र ही कर्मचारी हिट में प्रदेश में केंद्र की 2009 की अधिसूचना लागू करेंगे।
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