साइबर क्राइम जाँच और डिजिटल फॉरेंसिक पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय  में कल से तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप 

साइबर क्राइम जाँच और डिजिटल फॉरेंसिक पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय  में कल से तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप 
साइबर क्राइम जाँच और डिजिटल फॉरेंसिक पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय  में कल से तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप 
आदर्श हिमाल ब्यूरो 
शिमला। मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट की बढ़ती डिमांड ने ऑनलाइन ठगी के नए नए रास्ते खोल दिए हैं। अगर आप अपने मोबाइल फोन में बेवजह इस्तेमाल न करने वाले एप्पलीकेशन डाऊनलोड कर रखें हैं तो उन्हें तुरंत डिलीट कर दें। नहीं तो आप साइबरक्राइम के जरिए ठगी का शिकार हो सकते हैं। स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में इस विषय पर कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग विभाग की ओर से तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप का तीन अप्रैल से पाँच अप्रैल तक ग्यारह बज़े से दो बज़े तक साइबर क्राइम जाँच और डिजिटल फॉरेंसिक विषय पर ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन करेगा।
वर्कशाप में भारत के जाने माने साइबरक्राइम व डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स व मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी श्रीकान्त अर्धपुरकर, एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग की ओर से डीन प्रो. डॉ. अरुण कुमार चौधरी और कंप्यूटरसाइंस व इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार मुख्यवक्ता व साइबरक्राइम व डिज़िटल फॉरेंसिक के एक्सपर्ट्स एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्रों व ऑनलाइन वर्कशॉप में शामिल होने वाले लोगों को साइबरक्राइम से बचने व निपटने के लिए डिज़िटल फॉरेंसिक साइंस के माध्यम से सुझाब व टिप्स देंगें। एपीजी
शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति (कार्यवाहक) प्रो. डॉ. रमेश चौहान और रजिस्ट्रार (कार्यवाहक) प्रो. डॉ. अनिल पाल ने इस महत्वपूर्ण विषय पर करवाए जा रहे तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप पर छात्रों और लोगों से आग्रह किया है कि वे वर्कशॉप में भाग लें और साइबरक्राइम से निपटने व बचने के लिए विषय विशेषज्ञों द्वारा सुझाए जाने वाले टिप्स बारे जानें और दूसरे लोगों को भी जागरूक करें।
कुलपति चौहान ने कहा कि आज विश्व के बहुत लोग ऑनलाइन साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी समस्या सूचना व ऑनलाइन टेक्नोलॉजी का अल्प ज्ञान होना है और यही कारण है कि शातिर अपराधी भोले-भाले लोगों को ऑनलाइन माध्यम से धोखाधड़ी व ठगी का शिकार बनाते हैं। प्रो. रमेश चौहान ने कहा कि लोगों व छात्रों को साइबर क्राइम से निपटने के लिए डिजिटल फॉरेंसिक साक्षरता व जागरूकता की आवश्यकता है ताकि बढ़ते साइबर क्राइम पर डिजिटलफॉरेंसिक विज्ञान के माध्यम से नुकेल कसी जा सके। साइबरक्राइम जाँच व डिजिटल फॉरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञ श्रीकान्त अर्धपुरकर, प्रो. अरुण चौधरी और डॉ. रमेश कुमार का कहना है कि साइबर अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और पलक झपकते ही लोगों की गाढ़ी कमाई बैंक एकाउंट्स से गायब कर देते हैं।
बिषय विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट की बढ़ती माँग ने ऑनलाइन ठगी, चोरी व अपराधों के नए-नए रास्ते खोल दिए हैं जिनसे से निपटा जा सकता है यदि लोग डिज़िटल तकनीक और फॉरेंसिक विज्ञान के बारे में ज्ञान व जानकारी रखते हों। विषय विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्कशॉप में छात्रों और वर्कशॉप में ऑनलाइन माध्यम से भाग लेने वालों को साइबर ठगी, अपराध, चोरी, जासूसी से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें इस विषय पर विस्तार से चर्चा होगी। ऑनलाइन वर्कशॉप के दौरान डीन एकेडेमिक्स प्रो. डॉ. कुलदीप कुमार, डॉ. नील सिंह डीन, डॉ. सुनील ठाकुर, डॉ. प्रेम सिंह और सभी विभागों के विभागाध्यक्ष , डीन, प्राध्यापक व प्रोफेसर,  कार्यकारी अधिकारी और विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से वर्कशॉप में शामिल होंगे।
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