आदर्श हिमाचल ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में आगामी एक जून से कोविड कर्फ्यू में आंशिक ढील मिलने की संभावना है। सरकार दुकानों के खुलने के समय को बढ़ाकर और सप्ताह में एक से अधिक दिन खोले जाने का निर्णय ले सकती है। नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश, प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक आदि की ओर से ऐसे संकेत आए हैं। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी राशन-परचून की दुकानों का समय बढ़ाने की वकालत की है।
ऐसे में माना जा रहा है व्यापारियों के बढ़ते दबाव और एक दिन बाजार खुलने से बाजारों में हो रही अत्यधिक भीड़ से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने की दलील के आगे सरकार सप्ताह में तीन दिन बाजार खोलने पर भी विचार कर सकती है। अलबत्ता, अन्य सेक्टरों में क्या छूटें मिल सकती हैं इस बारे में अभी न ही संबंधित क्षेत्रों की ओर से ही कोई मांग उठ रही है, और ना ही सरकार की ओर से ऐसे कोई संकेत मिले हैं। अलबत्ता यह भी साफ है कि राज्य सरकार कंटेनमेंट जोन में कोई छूट नहीं देगी। केंद्र सरकार ने कंटेनमंेट जोन में सख्ती जारी रखने के आदेश देते हुए इस हेतु सख्ती 30 जून तक बढ़ा दी है।
शनिवार को नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात के बाद दावा किया कि उनकी सप्ताह में तीन दिन दुकान खोलने एवं बंद करने के समय को बढ़ाये जाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने इस पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। वहीं प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा है कि प्रदेश में कोविड कर्फ्यू के संबंध में सरकार सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद निर्णय लेगी। आंशिक ढील दिए जाने की मांगें उठ रही हैं। ये सारी बातें सरकार के संज्ञान में हैं। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इस बारे में कहा कि प्रदेश सरकार के स्तर पर एक विशेषज्ञों की कमेटी बनी है, जो कोविड कर्फ्यू के संबंध में निर्णय लेगी। सरकार की दूसरे राज्यों में दी जा रही ढील पर भी नजर है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में भले कोविड संक्रमितों की संख्या में कमी आ रही हो, लेकिन अभी भी राज्य के 13 में से 12 जिलों में 387 कंटेनमेंट जोन हैं। सबसे अधिक कंटेनमेंट जोन मैदानी जिलों में से देहरादून में 70 और पर्वतीय जिलों में से उत्तरकाशी में 62 हैं। इसके अलावा टिहरी में 55, यूएसनगर में 45, हरिद्वार में 29, चंपावत में 29, पिथौरागढ़ 10, पौड़ी में 17, चंपावत में 19, रुद्रप्रयाग 25, अल्मोड़ा में 18 व नैनीताल में 8 कंटेनमेंट जोन हैं।
यहां यह भी कहना समीचीन होगा कि उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश कहा जाता है। राज्य की आर्थिकी बड़े स्तर पर पर्यटन पर निर्भर करती है। यह गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप पड़ी हैं। राज्य में अंतर्राज्यीय के साथ ही अंतर्जनपदीय आवागमन भी बुरी तरह से प्रभावित है। इस कारण पर्यटन से निचले स्तर पर जुड़े अनेक लोगों के समक्ष भूखे मरने की स्थिति आ खड़ी हुई है। यही स्थिति रोज कमाकर रोज खाने वालों के साथ भी है। समाजसेवियों की ओर से मिल रही छिटपुट 5 किलो आटा-चावल व आधा-एक किलो दाल, तेल की मदद भी उनके बच्चों के गले तक नहीं पहुंच पा रही है।