आदर्श हिमाचल ब्यूरो
चंडीगढ़, पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने गुरूवार को भगौड़े मुलजिम बलवीर कुमार विर्दी, संयुक्त डायरेक्टर जी.एस.टी, पंजाब आबकारी विभाग, जो कि अब मुख्य दफ़्तर पटियाला में डिप्टी कमिश्नर राज्य कर विभाग के तौर पर तैनात है, को गिरफ़्तार कर लिया है और जालंधर की अदालत द्वारा उक्त मुलजिम से और अधिक पूछताछ के लिए ब्यूरो को 2 दिन का पुलिस रिमांड दिया गया है। इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि उक्त मुलजिम बलवीर कुमार विर्दी और राज्य आबकारी विभाग के अन्य अधिकारी/कर्मचारी कुछ ट्रांसपोर्टरों और उद्योगपतियों के साथ मिलकर टैक्स की चोरी में शामिल थे।
इस सम्बन्धी एफआईआर 09, तारीख़ 21.08.2020 को आइपीसी की धारा 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7 7-ए के अंतर्गत विजीलैंस ब्यूरो के थाना फ्लाईंग स्क्वॉड-1 एस.ए.एस. नगर मोहाली में बलबीर कुमार और अन्यों के विरुद्ध दर्ज की गई थी। इसी दौरान विर्दी के खि़लाफ़ गैरकानूनी ढंग से संपत्ति जुटाने सम्बन्धी भी विजीलैंस जांच आरंभ की गई थी। इस सम्बन्धी अधिक जानकारी देते हुए विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि मुलजिम बी. के. विर्दी, निवासी लम्मा पिंड, जलंधर, जो कि अब कोठी नंबर 213, गुरू गोबिन्द सिंह नगर, जालंधर में रहता है, के विरुद्ध ब्यूरो की तरफ से सरकारी अधिकारी होते हुए भ्रष्टाचार का मार्ग अपनाकर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक जायदाद जुटाने का मुकद्मा दर्ज किया गया। प्रवक्ता ने आगे कहा कि 01.04.2007 से 11.09.2020 तक के समय के दौरान, उसने कुल 5,12,51,688.37 रुपए ख़र्च किये थे जबकि सभी स्रोतों से उसकी वास्तविक आय 2,08,84,863.37 रुपए थी।
जांच के दौरान पाया गया कि उक्त अधिकारी ने चैक पीरियड दौरान हुई आय से 3,03,66,825 अधिक खर्च किए जो उस की कुल आय से लगभग 145.40 प्रतिशत अधिक था। गहराई से की गई जांच से यह सिद्ध हुआ था कि उक्त अधिकारी ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करके अपनी वास्तविक आय की अपेक्षा अधिक चल और अचल सम्पत्ति बनाई है। इस सम्बन्धी ब्यूरो ने विजीलैंस ब्यूरो के थाना जालंधर रेंज में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13(1) और 13(2) के अंतर्गत ब्यूरो के थाना जालंधर रेंज में केस दर्ज किया था जिसमें उसे आज गिरफ़्तार किया गया है। इस केस में दर्ज हुई एफआईआर से लेकर अब तक मुलजिम विर्दी अपनी गिरफ़्तारी से बच रहा था। तारीख़ 3/5/24 को माननीय हाई कोर्ट ने उक्त की आग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी थी। इसके बाद वीबी लगातार उसे गिरफ़्तार करने की ताड़ में था।