शिमला: मौत के मुंह में जाकर सर्च ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जहां एनडीआरफ व आईटीबीपी ने हाथ खड़े कर दिए, वहीं हिमाचल होमगार्ड के जवानों ने दरियादिली दिखाते हुए इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया. वे न केवल इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार हुए बल्कि इस ऑपरेशन को सफल बना कर दो शवो को खोज भी निकाला . उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के चौरा गांव व निगुलसरी के मध्य थाच नाला के समीप पहाड़ी से चट्टानें गिरने के कारण नेशनल हाईवे पांच पर 6 गाड़ियां दबी थी. जिन में एक बस भी शामिल है.
हादसे में करीब 40 लोग इसकी चपेट में आ गए. जिसमें से 13 लोगों को सुरक्षित निकाला गया और उसी दिन 10 शव भी बरामद किए गए. उसके बाद नीचे खाई से शवों को निकालने में जहां एक ठेकेदार के मशीन ऑपरेटर ने दरियादिली दिखा कर अभियान को सफल बनाया. वही एनडीआरएफ आइटीबीपी आर्मी और नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने भी सकारात्मक भूमिका निभाई . लेकिन खाई व सड़क से नीचे का भाग जहां ऊपर से चट्टाने गिरने के कारण जाना सम्भव नही था या मौत को दावत देना था.वहाँ तक पहुंचने के लिए रसों का सहारा लेना था. अगर ऊपर से छोटा सा भी पत्थर गिरता है तो मौत निश्चित थी. ऐसे में एनडीआरएफ और आईटीबीपी ने अपने जवानों को मौत के मुंह में धकेलना उचित नहीं समझा . लेकिन हिमाचल होमगार्ड के जवानों ने मृतकों के परिजनों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें खोजना दायित्व समझा. हालांकि होमगार्ड के पास जो संसाधन एवं उपकरण ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशंस के लिए चाहिए हैं वह नहीं थे . बावजूद उन्होंने चट्टान में रसों के सारे उतरकर नीचे से 2 शवों को खोज कर निकाला.