ब्रेन स्ट्रोक से पीडित 82 वर्षीय महिला का फोर्टिस में हुआ सफल इलाज

 2007 से ब्रेन स्ट्रोक रेडी हॉस्पिटल है फोर्टिस, ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में नई क्रांति लाई मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी

फोर्टिस मोहाली
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आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। यदि समय पर जाँच करवा ली जाए तो एक लक्ष्ण से बीमारी की असली स्थिति का पता लग जाता है। ऐसे में उक्त लक्ष्ण दिमाग से जुड़ा हुआ हो तो थोड़ी से बरती लापरवाही से व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग का दौरा पड़ने के कारण एक जटिल दिमागी बीमारी की चपेट में आ सकता है। आज ब्रेन स्ट्रोक /अधरंग जैसे रोग संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए जाने माने इंटरवेशनल न्यूरोरेडयोलॉजिस्ट डा विवेक अग्रवाल जालंधर पहुचें। उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा पड़ने पर यदि मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जन हो तो मरीज जल्द स्वस्थ व अधरंग के असर को कम या खत्म किया जा सकता है।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो इंटरवेंशन एंड इंटरवेशनल रेडियोलॉजी विभाग के कंस्लटेंट डा. विवेक अग्रवाल ने कहा कि न्यूरो से संबंधित बीमारियों के लक्ष्ण दिमागी हालत से जुड़े होते हैं, जिनमें भूल जाना चेतना की कमी, एक दम व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना क्रोधित होना व तनावग्रस्त आदि लक्ष्ण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यदि न्यूरोलॉजी से सबंधित मरीज का इलाज नहीं करवाया जाता तो इसके गंभीर परिणाम निकल सकते हैं।
डा. विवेक अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के बाद चार घंटे बाद बेहोशी की हालत में 82 वर्षीय बुजुर्ग मरीज उनके पास पहुंची। उनके शरीर के बाए हिस्से को लकवा हो गया था। चिकित्सा उपचार में यदि थोड़ी देर हो जाती तो वह महिला मरीज को घातक स्थिति में पहुंचा सकती थी। मरीज के दिमागदाहिनी ओर अवरूद्ध हुई रक्त आपूर्ति को मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की मदद से आर्टरी से क्लाट को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि मैकेनिकल थ्रोम्ब्रेक्टोमी को ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड माना। जाता है, वहीं मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा या लकवा मारने पर बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आने से गंभीर से गंभीर मरीज स्वस्थ हो रहे हैं।
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