कोटखाई के रहने वाले युवा बागवान राहुल रांटा जैविक तकनीक अपनाकर हुए मालामाल

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला।

इस बार के सेब सीजन में बागवानों को बहुत आशातीत लाभ नहीं हुआ है। अगर रोहरू, ढली, ठियोग और पराला की मंडियों की बात करें तो बढ़िया से बढ़िया सेब भी ज्यादा से ज्यादा 1800 प्रति पेटी जा रहा है। इतने कम मूल्य के कारण जहां एक ओर बागवानों में निराशा है, वहीं  राजधानी शिमला के अंतर्गत आने वाले उपमंडल कोटखाई में टाऊ के रहने वाले राहुल रांटा जैविक तकनीक अपनाकर मालामाल हो गए है। 

युवा बागवान राहुल रांटा ने अपनी मेहनत से और जैविक कृषि की बदौलत इस बार भरपूर समृद्धि पायी है। इन्होंने स्वदेशी तकनीक और जैविक खेती को आधार बनाकर मेहनत करना प्रारम्भ किया। धीरे-धीरे इनकी मेहनत रंग लाने लगी और इनका बगीचा लहलहाने लगा। इससे एक ओर जहां इनका कीटनाशकों में होने वाला व्यय खत्म हुआ वहीं इसके साथ ही इनको उतम गुणवता वाले उत्पाद मिल रहे हैं।

3000 रूपये से कम नहीं बिकी कोई पेटी……

राहुल रांटा ने अपने बगीचे का सेब जब भी मंडियों तक पहुंचाया उनको हमेशा प्रति पेटी 3000 से उपर ही दाम मिला। इससे एक ओर उनका उत्साह तो बढ़ा ही साथ ही स्वदेशी तकनीक और जैविक कृषि की उपयोगिता के बारे में भी जानकारी प्राप्त हुई। आज अपने गांव में राहुल रांटा से अनेक बागवान प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं। वहीं मंडियों में राहुल का आकर्षक सेब हाथोहाथ बिक रहा है जिससे उनकी आमदनी में बढ़ौतरी हो रही है।