मनरेगा कनवर्जेंस से बनेंगे 49 आंगनवाड़ी भवन – हेमराज बैरवा

पूरक पोषाहार में शामिल किए जाएंगे पारंपरिक व्यंजन और मोटा अनाज

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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हमीरपुर। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि जिला हमीरपुर में मनरेगा कनवर्जेंस से 49 आंगनवाड़ी केंद्र भवन बनाए जाएंगे। इन भवनों के लिए मनरेगा के माध्यम से 8-8 लाख रुपये, 15वें वित्त आयोग से 2-2 और महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से भी 2-2 लाख रुपये दिए जाएंगे। शुक्रवार को यहां हमीर भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने यह जानकारी दी। उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को इन सभी 49 भवनों के कार्य अतिशीघ्र शुरू करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए।

 

उपायुक्त ने कहा कि जिला के कुल 1351 आंगनवाड़ी केंद्रों में से 1336 केंद्रों में पेयजल कनेक्शन लगा दिए गए हैं। उन्होंने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों को शेष 15 केंद्रों को भी अतिशीघ्र नल से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उपायुक्त ने बिजली बोर्ड, महिला एवं बाल विकास विभाग और अन्य संबंधित विभागों को 285 केंद्रों में विद्युत मीटर लगवाने की प्रक्रिया आरंभ करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी आंगनवाड़ी भवन की मरम्मत और अन्य कार्यों की आवश्यकता है तो तुरंत जिला प्रशासन के ध्यान में लाएं।

 

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 उपायुक्त ने कहा कि स्कूल परिसरों और ग्राम पंचायतों के सामुदायिक भवनों में संचालित किए जा रहे आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रारंभिक शिक्षा विभाग और पंचायत जनप्रतिनिधियों के सहयोग से भी आवश्यक सुविधाओं का प्रावधान किया जा सकता है।

 

शिशुओं का स्वास्थ्य और सही पोषण किसी भी देश के लिए सर्वोपरि…

उपायुक्त ने कहा कि शिशुओं के स्वास्थ्य एवं सही पोषण की जिम्मेदारी के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग के पास सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि, किसी भी देश या समाज का भविष्य आने वाली पीढ़ी पर ही निर्भर करता है और एक सशक्त पीढ़ी की नींव हमेशा शैशव काल से ही रखी जा सकती है। उपायुक्त ने कहा कि किसी भी बच्चे की जिंदगी में गर्भावस्था से लेकर पहले 2 साल सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं दो वर्षों के दौरान बच्चे के दिमाग और अन्य अंगों का सर्वाधिक विकास होता है। इस दौरान बच्चों को पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए।

 

 

उपायुक्त ने कहा कि जिला में 6 माह से 3 वर्ष तक की आयु के 14452 शिशुओं और 3 वर्ष से 6 वर्ष तक की आयु के 3656 बच्चों तथा 5535 गर्भवती एवं धात्री महिलाआंे को पूरक पोषाहार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला में इसकी कवरेज अच्छी है, फिर भी महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी आंगनवाड़ी केंद्रों के अलावा जनगणना और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का भी अध्ययन करें तथा किन्हीं कारणों से छूटे बच्चों को भी लाभान्वित करें। जिला में गंभीर रूप से कुपोषित 94 बच्चों और मध्यम रूप से कुपोषित 322 बच्चों की स्थिति पर चर्चा के दौरान उपायुक्त ने कहा कि सभी संबंधित सीडीपीओ के पास इन बच्चों की स्थिति एवं पारिवारिक परिस्थितियों की पूरी जानकारी होनी चाहिए तथा इनकी नियमित माॅनीटरिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ भी समन्वय स्थापित होना चाहिए।

 

 उपायुक्त ने कहा कि बच्चों के सही पोषण के लिए उनके आहार में पारंपरिक पौष्टिक व्यंजन और मोटा अनाज भी शामिल किया जाएगा। इसके जिला हमीरपुर में एक विशेष पहल की जा रही है। इसके तहत बच्चों को पौष्टिक गुणों से भरपूर रागी के लड्डू और चूरमा इत्यादि देने की व्यवस्था की जा रही है। इनकी सामग्री सीधे स्थानीय किसानों से खरीदने के लिए उपायुक्त ने कृषि विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश जारी किए।

 

उपायुक्त ने बैठक में बेटी है अनमोल योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, मदर टेरेसा योजना, विधवा पुनर्विवाह, प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना, महिला स्वरोजगार, वन स्टाॅप सेंटर, मिशन शक्ति और अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की। उपायुक्त ने अधिकारियों को इन सभी योजनाआंे का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए, ताकि पात्र महिलाएं इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि जिला मुख्यालय के पास वन स्टाॅप सेंटर के भवन का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान करवाया जाएगा।