आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। प्रदेश में पंचायतीराज चुनाव की सरगर्मियां आरंभ होने से लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है । बता दें कि अगले वर्ष 23 जनवरी को त्रि-स्तरीय पंचायतीराज का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है और राज्य चुनाव आयोग द्वारा पंचायतीराज के चुनाव तय सीमा में करवाने का फरमान भी जारी कर दिया गया है।
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लोगों का कहना है कि अधिकांश प्रधान कम पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें पंचायतीराज की ंप्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों बारे जानकारी नहीं है जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों का विकास सही परिप्रेक्ष्य में नहीं हो पा रहा है । जिसके चलते लोग हरियाणा और उतराखंड की तर्ज पर पंचायत प्रधानों एवं अन्य सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने बारे मांग उठाई जा रही है ।
गौर रहे कि हरियाणा और उतराखंड में पंचायत प्रधान को चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिणिक योग्यता निर्धारित की गई है अब हिमाचल प्रदेश में यह मांग जोर पकड़ रही है बलोग पंचायत के वरिष्ठ नागरिक विश्वानंद ठाकुर, महेश इंद्र ठाकुर, रमेश शर्मा, पीरन पंचायत की बेला वर्मा, इंदिरा ठाकुर, उषा वर्मा, बालक राम निर्मोही, प्रीतम ठाकुर, भगत चंद आन्नद सहित अनेक लोगों ने विशेषकर पंचायत प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम दस जमा दो करने की मांग की है ।
इनका कहना है कि पंचायत प्रधान को सरकार द्वारा प्रशासनिक, वित्तीय और न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई है परंतु कम शिक्षित होने के कारण प्रधान को हर कार्य के लिए सचिव पर निर्भर रहना पड़ता है और अनेकों बार सचिव इस आड़ में कई गलत कार्य भी करवा देते हैं ।
इंदिरा ठाकुर का कहना है कि सरकार द्वारा महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है परंतु महिला के कम शिक्षित होने पर अक्सर उनके पति ही प्रधान की शक्तियों का प्रयोग करते हैं ।
इस बारे जब अतिरिक्त निदेशक पंचायतीराज केवल शर्मा ने बताया कि पंचायत प्रधानों की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने की सरकार की कोई योजना नहीं है ।