मेडीपरस्न सेफ्टी एक्ट की तरह परिवहन निगम कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकार से कानून बनाने की उठी मांग

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विशेषर नेगी

शिमला। हिमाचल परिवहन निगम के चालक – परिचालक , तकनीकी कर्मी व परिवहन मजदूर संघ की  रामपुर में संयुक्त बैठक हुई। बैठक में परिवहन निगम के कर्मचारियों के साथ लगातार हो रही मारपीट को लेकर रोष जताया गया। उन्होंने  बताया कि परिवहन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी मेडिपर्सन एक्ट की तरह  उन की सुरक्षा के लिए भी कानून बनाए जाए  ताकि वे  प्रदेश के दूर दराज तक निर्भीकता से लोगो को परिवहन सुविधाएं दे सके।   उन्होंने बताया कि आए दिन विभिन्न रूटों  पर  चालक परिचालकों के साथ झगड़ा व मारपीट की घटनाएं हो रही है।

इसका एक कारण निजी   बस ऑपरेटरों की मनमानी है। निजी बस ऑपरेटर सरकारी पहुंच के चलते मनमाने टाइम से लाभ वाले रूटों का परमिट हासिल करते है जिस से  परिवहन निगम की बसें खाली दौड़ने पर मजबूर है।  इसके अलावा मैक्सी कैब व् दूसरे वाहन भी सवारियों को परिवहन निगम की बसों के आगे लगा कर उठा रही है। इससे परिवहन निगम लगातार घाटे में जा रहा है।अब  हालत ऐसे हो गए हैकि कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया झगड़े और मार पीट का एक कारण कई  ग्रामीण सड़कों पर सड़क के दोनों ओर  वाहन खड़े होते हैं, जिसके कारण बसों को गुजारना मुश्किल हो जाता है और छोटे वाहन चालक बस चालकों से झगड़ा मारपीट करते हैं। उन्होंने  यह भी बताया  पीस मेल वर्कर्स व परिचालकों को भुगतान कम किये जाने से उन्हें गुजरा करना मुश्किल हो रहा है।

चालक परिचालक यूनियन रामपुर के अध्यक्ष दलीप ने बताया की वे जब बसे लेकर विभिन्न रूटों पर जाते है तो उन्हें मालूम नहीं होता हैकि वे सुरक्षित लौटेंगे या नहीं। क्योकि आज प्रदेश में ऐसी स्थिति हो गई है की कही भी चालक परिचलक सुरक्षित नहीं है।  इस के दो कारण   है  एक कारण निजी बस आपरेटरों की मन मानी और उन का  कोई टाइमटेबल नहीं है अगर उन्हें ऐसा न करने की कोशिश निगम कर्मी करते है  तो परिवहन निगम के कर्मचारियों से मारपीट पर उत्तर जाते है।

हिमाचल परिवहन मज़दूर संघ के प्रदेश सचिव रविंदर सिंह ने बताया की आज परिवहन कर्मियों की संयुक्त बैठक हुई।  जिस में आये दिन परिवहन चालक परिचालक और अन्य कर्मियों के साथ  मारपीट की घटनाये हो रही है। कई बार  सवारियों से भरी बसों के चालकों को सीट से खींच कर मारपीट हो रही है।  ऐसे में बड़ी दुर्घटना का भी खतरा रहता है।  इस तरह की घटना में सब से बड़ा कारण निजी बस आपरेटरों की मनमानी है।  वे अपने इच्छा मुताबिक़ बस रुट लेते है या ऐसे समय में बस को रुट पर चलाते है जब सवारियां अधिक हो। ऐसे में अगर परिवहन निगम के कर्मी विरोध करते है  मारपीट हो जाती है।  इस लिए परिवहन निगम के चाक परिचालकों की सुरक्षा के लिए मेडीपरस्न एक्ट की
तरह कानून बने।