दीवान राजा
शिमला/कुल्लू। हिमाचल की सरकारें पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं। सरकार व जनता की नाकामी का खामियाजा मूक,बधिर पशुधन को भुगतना पड़ता है। बेसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी। घोषणा तो हुई पर वो कागजों में ही सीमित होकर रह गई ।
गौ सदनों का निर्माण नहीं होने से पशुधन सड़कों पर भटकने को विवश है ।यही अलाम है जिला कुल्लू की आनी उपमंडल का जहां हर सड़क पर पशुधन भटकते देखे जा सकते हैं ।
कई मूक बधिर सड़कों पर वाहनों की चपेट में मौत का ग्रास बन गए तो कई कड़ाके की ठंड में । लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।
ऐसा ही आलम जिला कुल्लू के 10,280 फ़ीट की ऊंचाई पर स्तिथ जलोड़ी क्षेत्र में माइन्स डिग्री तापमान में भटक रहे बेचारे पशुओं का है ।
जलोड़ी दर्रे पर सर्दी के सीज़न में बर्फ़वारी ने दस्तक दे दी है । आए दिन मौसम बिगड़ने से यहां बर्फ़वारी शुरू हो जाती है । यहां इस तापमान में पलभर इंसान तक नहीं टिक सकता है लेकिन बिडम्बना कि बेचारे मूक,बधिर पशुधन कड़ाके की इस ठंड में बर्फ़ के बीच रात गुजारने को विवश है ।
जलोड़ी क्षेत्र के युवा समाजसेवी कुलदीप सिंह राणा ने कहा कि कड़ाके की इस ठंड में बर्फ़ के बीच पशुधन को देखकर दिल पिघल जाता है । उन्होंने क्षेत्र के युवाओं से इंक सहायता के लिए आगे आने की अपील की है । वहीं,कुलदीप सिंह राणा ने सरकार से अपील की है कि जल्द इन बेसहारा पशुओं के ठहराव के लिए उचित व्यवस्था करें ताकि इनको बचाया जा सकें ।
प्रदेश में पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर नाममात्र जुर्माना लगाया जाता है, जिस कारण पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है। अब तो आवारा पशुओं को हाइवे समेत हर छोटी बड़ी सड़कों पर भी आसानी से देखा जा सकता है । वहीं, अब कड़ी सजा का प्रावधान न होने के कारण प्रदेश में ऐसे मामलों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। हालांकि प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं ताकि पंचायत क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को वहां रखा जा सके।
इसका पूरा खर्च भी जिला प्रशासन और पंचायत द्वारा वहन किया जाएगा और समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारी भी गौसदन का निरीक्षण कर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करेंगे लेकिन फिलहाल अभी तक इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं।
कई सालों से सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रात के अंधेरे में उन्हें सड़क पर छोड़ रहे हैं। सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी अब आक्रामक हो गए हैं। कई बार पशुओं के हमले के कारण बुजुर्ग व महिलाएं घायल हो चुके हैं।क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे पशुओं के कारण हादसों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
सड़कों के किनारे घूम रहे पशु अचानक भागकर सड़कों पर आ जाते है।जिससे दोपहिया वाहन चालक चोटिल हो जाते है। वहीं बड़े वाहन की चपेट में आने से कई बार पशु भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं या फिर कूड़ा-कचरा प्लास्टिक खाने से प्रतिदिन मौत के आगोश में समा रहे हैं ।
क्षेत्र के लोगों ने कहा कि आज के समय में सड़कों पर बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। पंचायत द्वारा अगर कोई पशु मालिक पकड़ा जाता है, तो वह नाममात्र जुर्माना देकर छूट जाता है। इतना कम जुर्माना होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि पशुओं के संरक्षण के लिए कड़े कानून लागू करे ताकि पशुओं को अच्छा संरक्षण प्राप्त हो सके।