आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। देशभर में साइबर अपराधों का बढ़ता ग्राफ़ चुनौती बन गया है। शातिर अपराधी नए-नए तरीकों से भोले-भाले लोगों को झांसे में लेकर ठगी, धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं।
इस दिशा में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग और कंप्यूटर साइंस विभाग की ओर से तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित की गई जिसका विषय साइबर अपराध जांच और डिजिटल फोरेंसिक रहा।
कार्यशाला में क्रिप्टो फॉरेंसिक टेक्नोलॉजी नागपुर की ओर से साइबर क्राइम जांच व डिजिटल फोरेंसिक के एक्सपर्ट श्रीकान्त अर्धपुरकर, एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस विभाग की ओर से प्रो. डॉ. अरुण चौधरी और डॉ. रमेश कुमार मुख्य वक्ता रहे।
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मंगलवार को कार्यशाला के समापन अवसर पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति (कार्यवाहक) प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने कार्यशाला के दौरान छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में तेज़ी से पैर पसार रहे साइबर अपराधों की रोकथाम करना पुलिस सहित आम लोगों के लिए बड़ी चुनौती है।
कुलपति रमेश चौहान ने कहा कि लोगों को साइबर अपराधों से बचाने के लिए जागरूकता के साथ साइबर व डिजिटल फॉरेंसिक से संबंधित जानकारी और शिक्षा बहुत जरूरी हो गई है ताकि साइबर अपराधों से निपटा जा सके। प्रो. चौहान कहा कि यह तकनीक साइबर अपराधों पर लगाम कसने में एक सफल तकनीक है बल्कि सभी क्षेत्रों में साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक्सपर्ट की भी जरूरत है जिससे योवाओं के लिए रोजगार के ढेरों अवसर भी प्राप्त होंगें।
कार्यशाला के प्रथम दिन साइबर अपराध जांच एक्सपर्ट श्रीकान्त अर्धपुरकर ने साइबर अपराधों व डिजिटल फॉरेंसिक पर व्याख्यान और पीपीटी के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को विस्तृत जानकारी दी। श्रीकान्त ने कहा कि वर्तमान समय में साइबर अपराधों से निपटने के लिए सभी के लिए साइबर और डिजिटल फॉरेंसिक में सटीक जानकारी, जागरूकता व शिक्षा का होना बहुत जरूरी हो गया है ताकि साइबर आतंकवाद से निपटा जा सके।
कार्यशाला के दूसरे और तीसरे दिन के दौरान प्रो. डॉ. अरुण चौधरी और डॉ. रमेश कुमार ने साइबर अपराध जाँच और डिजिटल फॉरेंसिक पर बतौर साइबर व डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट अपने विचार, ज्ञान को छात्रों और शिक्षकों के साथ साँझा किए। उन्होंने कहा कि कोरा कंप्यूटर ज्ञान साइबर अपराधों से निपटने के लिए काफ़ी नहीं है बल्कि उससे कहीं अधिक एडवांस्ड कंप्यूटिंग और डिजिटल फॉरेंसिक में महारत व शिक्षा होना लाज़मी है ताकि अज्ञात आरोपित तक पहुँचा जा सके और अपराधी साइबर अपराध करने में असफल रहें।
विषय विशेषज्ञों ने कहा कि आज के दौर में हाईटेक ज्ञान होना बहुत जरूरी है ताकि इससे जॉब सृजन के साथ-साथ राष्ट्र विकास व समाज को सुरक्षित और अपराध मुक्त किया जा सके। कार्यशाला के दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डॉ. अनिल कुमार पाल, अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. डॉ. कुलदीप कुमार, डीन प्रो. डॉ. नील सिंह, डीन प्रो. डॉ. सुनील ठाकुर, विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्ष, कार्यकारी अधिकारी, प्राध्यापक और सभी संकायों के छात्रों ने ऑनलाइन जुड़कर कार्यशाला में उपस्थित रहे।
कुलसचिव (कार्यवाहक) प्रो. डॉ. अनिल कुमार पाल ने जानकारी दी कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुछ मेधावी छात्रों का इस कार्यशाला के बाद शैक्षणिक कार्यों में इंटर्नशिप और साइबर व डिजिटल फॉरेंसिक से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट्स में काम करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। डॉ. अनिल कुमार पाल ने कहा कि चयन मेरिट पर आधारित होगा और चयनित छात्रों को तकनीक के क्षेत्र में सटीक ज्ञान अर्जित करने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा।