आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला । आईजीएमसी, शिमला के मनोरोग विभाग ने आईजीएमसी, शिमला में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस, मनाया। इस वर्ष का थीम “Creating hope through action” है। समारोह की अध्यक्षता प्रिंसिपल आईजीएमसी शिमला ने की और इसमें अन्य प्राधापकों व प्रशिशु डाक्टर्स व छात्रों ने भाग लिया। डॉ. देवेश शर्मा सहायक प्रोफेसर, मनोरोग आईजीएमसी, शिमला ने इस दिन के महत्व और इस वर्ष की थीम से परिचय कराया।
मनोचिकित्सा के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने विषय आधारित व्याख्यान दिया और इस बात पर जोर दिया कि आत्महत्या करने वाले अधिकांश लोगों अंतर्निहित मनोरोग या मादक द्रव्यों का सेवन विकार होता है और उनमें से लगभग सभी आत्महत्या करने से पहले कुछ संकेत देते हैं इसलिए संवेदनशील होने की आवश्यकता है ताकि इन चेतावनियों व संकेतों को पहचानने जा सके ।
उन्होंने यह भी कहा कि आत्महत्या को रोकने में समाज में हर व्यक्ति की भूमिका है। उन्होंने आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को समझने और उनका समर्थन करने और उनकी बात सुनने के लिए उपलब्ध रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इससे समर्थन की भावना पैदा होती है जो आत्महत्या को रोकने में काफी मदद करती है। आत्महत्या को रोकने के लिए अंतर्निहित मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं/विकार के पर्याप्त निदान और उपचार के लिए उन्हें चिकित्सा सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
बाह्य रोगी एवं इनडोर विभाग में मरीजों की देखभाल करने वालों को आत्महत्या की रोकथाम के संबंध में सूचना पत्रक वितरित किए गए। इसके अलावा आईजीएमसी शिमला के विभिन्न विभागों के व्हाट्सएप ग्रुपों में भी जानकारी प्रसारित की गई।