आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला । दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आदर्श केन्द्रीय कारागार कंडा शिमला में तीन दिवसीय अध्यात्मिक प्रवचन एवं भजन संकीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन के पहले दिन आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री कात्यायनी भारती ने बंदी भाइयों को समझाते हुए कहा कि मानव तन को सृष्टि की सर्वोत्तम रचना कहा जाता है क्योंकि इस मानव तन में ही परमात्मा की भगति सम्भव है। साध्वी जी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सत्संग की अहम भूमिका होती है।
सत्संग को श्रवण कर हमारी मलिन बुद्धि शुद्ध हो जाती है।साध्वी जी ने अंगुलिमाल डाक, सज्जन ठग व गणिका वेश्या इत्यादि अनेक उदाहरण देकर समझाया कि इंसान का जीवन कितना भी बुराइयों से क्यों ना भरा हो लेकिन जब इंसान के जीवन में एक पूर्ण गुरु का पदार्पण होता है तो नियमित ध्यान साधना के द्वारा उसके जीवन की सारी बुराइयां दूर हो जाती हैं।साध्वी ने सभी बंदी भाइयों को सत्संग से जुड़कर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा दी।
साध्वी अनुपमा भारती ने सुमधुर भजनों का गायन किया।मंच संचालन करते हुए स्वामी धीरानंद ने बताया दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा बंदी सुधार परियोजना “अंतरक्रांति” के अंतर्गत तिहाड़ जेल से लेकर भारत की लगभग 50 सालों में बंदियों के कल्याणार्थ अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
संस्थान के आध्यात्मिक विचारों एवं ध्यान साधना द्वारा आज हजारों कैदी लाभान्वित हुए हैं।ध्यान द्वारा अपने जीवन को परिवर्तित कर वह बन्दी सुधरकर अब सुधारक की भूमिका निभा रहें हैं।