अभिभाषण: हिमाचल ने शहरी रोजगार उपलब्ध कराने वाले पहाड़ी राज्यों में दूसरा स्थान हासिल कियाः राज्यपाल

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

Ads

शिमला। हिमाचल प्रदेश ने शहरी रोजगार योजना के कार्यान्वयन में देश के उत्तर पूर्वी और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल किया, जिससे शहरों में श्रमिकों को गारंटीकृत रोजगार प्राप्त करने में मद्द मिली।

कोविड महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की सादृश्यता पर, यह बात हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बुधवार को राज्य विधानसभा सदन में अपने अभिभाषण के दौरान कही।

विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड की विकट परिस्थितियों से निपटते हुए बेहतरीन कार्य किए हैं। राज्य में वेंटीलेटर, आईसीयू बेड और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाया गया। सेवा और सिद्धि के चार साल समृद्धि के रहे।

उन्होंने कहा कि हिमाचल ने प्राकृतिक खेती को एक लाख 60 हजार किसानों ने अपनाया। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रदेश सरकार की कार्यशैली की सराहना की है।

उन्होंने कहा कि महामारी के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में मजदूरों की आजीविका सुरक्षा को प्राथमिकता दी है क्योंकि जय राम ठाकुर सरकार ने शहरी आजीविका मिशन और इसी तरह की योजना 120 दिनों के गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की है।

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना के तहत 1,01,830 श्रम दिवस सृजित किए गए हैं और 3.05 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। यह भी कहा कि शहरी क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका की सेवा करने के उद्देश्य से पीएम स्वानिधि योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत 3,663 आवेदनों को मंजूरी दी गई है और 3,436 लाभार्थियों को 3.64 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है।

राज्यपाल आर्लेकर ने यह भी कहा कि सरकार शहरी क्षेत्रों का तेजी से विकास चाहती है क्योंकि तीन उन्नत नगर निगमों को एक-एक करोड़ रुपये और नवगठित नगर पंचायतों और नगर परिषदों को 10-10 लाख रुपये का कार्यशील पूंजी अनुदान प्रदान किया गया है।

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि नगरीय निकायों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए अश्विनी खड्ड और टूटू में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, लालपानी में कैल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं और मल्याना, धाली और लालपानी में स्थित प्लांटों को अपग्रेड किया जा रहा है। इनके निर्माण एवं उन्नयन के लिए अब तक 92.19 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए सरकार शहरी स्थानीय निकायों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उन्हें अपने दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्यपाल के संबोधन में उल्लेख किया गया कि सरलीकरण की दिशा में नगर एवं ग्राम नियोजन नियमों में संशोधन किया गया है, जिसके तहत निजी भवनों के निर्माण में सेट-बैक, फर्श की ऊंचाई और भवन आदि में छूट के प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में प्रत्येक गांव (आबादी या आबादी देह) में कब्जा धारकों को स्वामित्व अधिकार प्रदान किया जा रहा है और संपत्ति कार्ड जारी करने के रूप में श्स्वामीत्व योजनाश् लागू की जा रही है। राज्य के 15,495 आबादी देह या गांवों को लाभान्वित करने वाले 44 द्वारा स्वामित्व प्रदान किया जाएगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन किया गया है। इस योजना के तहत हमीरपुर जिले में ड्रोन की मदद से पायलट आधार पर काम चल रहा है और इस योजना को एक साल के भीतर सभी जिलों में लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।

कोरोना महामारी की विकट परिस्थिति में आम नागरिकों को समय पर बस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश सड़क परिवहन निगम को सहायता अनुदान के रूप में 223 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की है। सरकार जनहित में दिसंबर तक 285 अतिरिक्त रूटों पर बसें चला रही है। 370 बस मार्गों को बढ़ाया या बदला गया है, जिससे इन बसों द्वारा प्रतिदिन लगभग 42,594 अतिरिक्त किलोमीटर की दूरी तय की जा रही है। साथ ही 205 नई बसें भी खरीदी जा रही हैं। सरकार ने रोजगार सृजन और लोगों को गुणवत्तापूर्ण और आरामदायक सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार (परिवहन) योजना भी शुरू की।

केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत हर घर को पानी उपलब्ध कराने के सपने को साकार करने में राज्य सरकार अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस योजना के तहत कुल 17,28,000 परिवारों में से 15,89,000 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन की सुविधा प्रदान की गई है। चालू वित्त वर्ष में इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 1262.68 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। चैथी किश्त प्राप्त करने वाला हिमाचल प्रदेश पूरे देश में पहला राज्य बन गया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले 2 वर्षों में राज्य में पिछले 72 वर्षों में 7,63,000 नल कनेक्शनों की तुलना में लगभग 8,35,000 नल कनेक्शन स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, राज्य में सुरक्षित पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 58 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इनमें से 37 प्रयोगशालाओं को परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं (एनएबीएल) के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है। ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की बेहतर सुविधा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को न्यू डेवलपमेंट बैंक से रूण 740 करोड़ की लागत वाली 24 योजनाओं के वित्त पोषण की स्वीकृति मिल गयी है।