सेब बागवानों ने प्राकृतिक खेती के बारे में विशेषज्ञों से ली जानकारी

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अधीन किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा में बागवानों ने साझा किए अपने अनुभव

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। सेब बागवानी में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को कृषि विभाग की आतमा शिमला टीम की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का मशोबरा में आयोजन किया गया। सेब बागवानों के लिए आयोजित कार्यशाला और किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा में बागवानी वैज्ञानिक डॉ उषा शर्मा ने बागवानों को प्राकृतिक खेती विधि से सेब की बेहतर पैदावार लेने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ उषा ने कहा कि वे पिछले चार वर्षों से प्राकृतिक खेती विधि से सेब बागवानी पर शोध कर रही हैं।

 

उन्होंने बताया कि इस खेती विधि में उन्हें बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि इस खेती विधि को अपनाने के बाद हमारा बंजर पड़ा सेब का बाग भी अच्छी पैदावार देने लगा है। इसे अपनाने से मित्र कीटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, बीमारियां कम आ रही हैं और विपरीत परिस्थितियों में भी फसलें अच्छी पैदावार दे रही हैं। डॉ उषा का कहना है कि उन्होंने अपने शोध के दौरान प्राकृतिक खेती विधि को अपनाने के बाद मिट्टी की गुणवता, सेब की पैदावार और गुणवत्ता को बेहतर पाया है। इसलिए उन्होंने किसान-बागवानों से अनुरोध किया कि वे भी इस खेती विधि को थोड़े से भू-भाग में प्रयोग के तौर पर शुरू करके इसका दायरा बढ़ाएं।

इस कार्यशाला के दौरान कृषि अर्थशास्त्री डॉ मनोज गुप्ता ने प्राकृतिक खेती के ऊपर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से किए गए विभिन्न अध्ययनों की जानकारी दी। मनोज गुप्ता ने प्राकृतिक खेती किसानों के प्रमाणीकरण को लेकर की गई नई पहल के बारे में भी बागवानों को जानकारी दी। इस दौरान प्राकृतिक खेती कर रहे विभिन्न किसान-बागवानों ने अपने अनुभव भी साझा किए। नारकंडा विकास खंड के तिलक राज ने बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उनकी पैदावार अच्छी आ रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना प्रमाणीकरण भी करवाया है और इस प्रमाणपत्र की वजह से उन्हें अपने सेब और प्लम के अच्छे दाम मिल रहे हैं।

कार्यशाला के आयोजक प्रोजेक्ट डायरेक्टर आतमा शिमला, डॉ देवीचंद कश्यप ने बताया कि इस कार्यक्रम के पीछे मुख्य उदेश्य किसान-बागवानों को प्राकृतिक खेती विधि के ऊपर हुए शोध कार्य के बारे में अवगत करवाना था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती विधि से भी अच्छी तरह से सेब बागवानी हो सकती है इसके बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी प्राप्त करने के बाद बागवानों के कई भ्रम खत्म हुए हैं। इससे वे प्राकृतिक खेती को अच्छी तरह से अपने खेत बागीचे में उतार सकेंगे। मशोबरा के समेती संस्थान में आयोजित इस कार्यशाला में शिमला जिला के सभी विकास खंडों के 130 से अधिक सेब बागवानों ने भाग लिया।