विधानसभा मॉनसून सत्र: विपक्ष का पहले दिन ही सदन से वॉकआउट

मॉनसून सत्र के पहले दिन ही वॉकआउट
मॉनसून सत्र के पहले दिन ही वॉकआउट

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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10-08-2023

 

शिमला। हिमाचल विधान सभा मानसून सत्र के शुरुआत में ही भारतीय जनता पार्टी ने आपदा पर चर्चा की मांग को लेकर काम रोको प्रस्ताव लाया।विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि आपदा पर चर्चा पहले ही सदन की कार्यवाही में शामिल है। इसलिए इस पर चर्चा के लिए अलग से प्रस्ताव सही नहीं है। स्पीकर की व्यवस्था के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया और विपक्ष ने सदन में ही उठकर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष के सभी विधायकों ने कुछ देर बाद सदन से वॉक आउट कर दिया।

 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि आपदा से 9000 करोड़ का प्रत्यक्ष और 12 हजार करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ है। 441 लोगों की मौत हुई रहै। आजीविका क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आपदा को लेकर गंभीर नहीं है और राजनीतिक रोटिया सेंक रहा है। पहले सत्र बुलाने की मांग करते थे। जब सत्र बुलाया गया तो सदन से भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा से भागकर प्रदेश का भला होने वाला नहीं है।

 

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वही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक ओर कहा जा रहा है कि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी से प्रदेश गुजर रहा है। ऐसे में सारा काम रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए। नियम 102 और नियम 67 के दोनों प्रस्तावों के भाव में फर्क है। 441 लोगों की ज़िंदगी चली गई है। यह आपदा नियमों की परिधि से हटकर है। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह विषय हटकर है। आपदा पर चर्चा लगी हुई है। पिछले कल ही इस बारे में पहले ही जयराम ठाकुर को बताया जा चुका है।

भाजपा का यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है। सरकार इस बारे में चिंतित है। ये लोग आधे घंटे भी इंतजार नहीं कर पा रहे हैं। नियम 102 में चर्चा करवाई जाए। जिस तरह से आपदा में अच्छा काम किया गया है, उसकी तारीफ पूर्व सीएम शांता कुमार ने भी की है। नीति आयोग और विश्व बैंक ने भी इसकी तारीफ है।

ये लोग राजनीति कर रहे हैं। विपक्ष स्थगन प्रस्ताव पर अड़ा हुआ है। स्पीकर पठानिया नेता प्रतिपक्ष जयराम की ओर बोले – मैं आपकी भावना समझ गया। विषयवस्तु दोनों की एक है। यह मैंने निर्णय लेना है कि आपने लेना है। अगर ऐसी ही बात है तो प्रश्नकाल को सस्पेंड कर देते हैं और नियम 102 में चर्चा कर लेते हैं। वह इस नियम में ही इस चर्चा को शुरू करते हैं। मुख्यमंत्री ने नियम 67 के बजाय नियम 102 में प्रस्ताव रखा और प्रश्नकाल को निलंबित किया गया। इस पर विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी।