देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी अटल रोहतांग टनल – रोहित ठाकुर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। कुल्लू-लाहौल स्पीति को जोड़ने वाली रोहतांग सुरंग देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। यह बात पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने ज़ारी एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि रोहतांग सुरंग बनाने बारे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने वर्ष 1983 में विचार किया था जबकि पूर्व प्रधानमंत्री स्व० अटल  बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल वर्ष 2003 में प्रोजेक्ट को तकनीकी मंजूरी  मिली थी।
   सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग के  बजट का प्रावधान यूपीए सरकार के कार्यकाल में किया गया  था और  वर्ष 2007 में सुरंग निर्माण के लिए टेन्डर आबंटित किए गए । रोहतांग सुरंग का शिलान्यास वर्ष 2010 में तत्कालीन यूपीए अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के हाथों हुआ था। रोहित ठाकुर ने कहा कि रोहतांग सुरंग बन जाने से जहां जिला लाहौल स्पीति  देश और दुनिया से साल भर संपर्क जुड़ा रहेगा वहीं दूसरी ओर पर्यटक भी आसानी से लाहौल स्पीति आ  सकेंगे। उन्होंने कहा कि रोहतांग सुरंग बन जाने से प्रदेश की जनता को अन्य दुर्गम और कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में भूमिगत सुरंगों के लाभ देखकर प्रदेश के अन्य इलाकों में भी सुरंग निर्माण की आवश्यकता महसूस हो रही है।
     यूरोप की भौगोलिक परिस्थिति भी हिमाचल की तरह हैं वहां पर भूमिगत सुरंगे हर दृष्टि से लाभदायी सिद्ध हुई हैं। भूमिगत सुरंगों के निर्माण से जहां पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता वहीं दूसरी ओर यह  सुरंगे कठिन, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में साल भर  हर मौसम में जोड़े रखने, दूरी को कम करने,  सड़क मार्गों में  यातायात के बढ़ते दबाव को कम करने , सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने , कृषि और पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुई  हैं। उन्होंने कहा कि सुरंगों की प्रदेश में सामरिक व अन्य दृष्टिकोण से महत्वता को देखते हुए कई वर्षों से विभिन्न जिलों में एक दर्जन से सुरंगों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनी हुई है जिसके अनुसार इन सुरंगों की अनुमानित लागत लगभग 10 हज़ार करोड़ आंकी गई है।
    सुरंगों की परियोजना रिपोर्ट में कांगड़ा की रानीताल, चामुण्डा-होली सुरंग, कुल्लू-मंडी को जोड़ने वाली भू-भू जोत सुरंग,  जलोड़ी-जोत,चम्बा की होली-उतराला ,  तीसा-किलाड़ मार्ग पर चैनीपास सुरंग,ऊना-हमीरपुर की बंगाणा-धनेटा सुरंग, शिमला-किन्नौर  की  निगुलसरी तरन्डा आदि सुरंगे शामिल हैं।  इसी तरह राजधानी शिमला में बढ़ता वाहनों का दबाव और जाम की समस्या से निजात पाने के लिए  प्रस्तावित चार सुरंगों की योजनाएं भी बजट के अभाव के चलते सिरे नही चढ़ पा रही हैं।  रोहित ठाकुर ने कहा कि जुब्बल नावर कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में ठियोग- हाटकोटी सड़क पर खड़ापत्थर के समीप  ₹ 246 करोड 56 लाख की लागत से  2.840 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण वर्ष 2006 में प्रस्तावित हुआ था।
    प्रस्तावित सुरंग के बनने से जहाँ शिमला से रोहड़ू के बीच की 15 किलोमीटर दूरी कम होनी थी।  उन्होंने कहा कि इस सुरंग योजना के कार्य में भी अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई। रोहित ठाकुर ने कहा कि शिमला-किन्नौर राष्ट्रीय राजमार्ग सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण सड़क है लेकिन भारी बारिश में भूस्खलन और सतलुज में बाढ़ आने से सड़क बाधित होती रहती हैं। उन्होंने रोहड़ू-किन्नौर *(सांगला) सुरंग* के निर्माण का सुझाव देते हुए सरकार से सुरंग निर्माण की संभावनाए तलाशने का आग्रह किया  हैं।
     रोहित ठाकुर ने कहा कि रोहड़ू-पौंटा साहिब राष्ट्रीय राजमार्ग की स्वीकृति वर्ष 2005 में मिली थी जिसका स्तरोन्नत का कार्य प्रस्तावित हैं। पौंटा साहिब-रोहड़ू के बीच में सड़क के स्तरोन्नत होने और सामरिक दृष्टि से रोहड़ू-किन्नौर के बीच सुरंग बनने से ढाँचागत विकास को गति मिलेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी के अटल सुरंग के प्रस्तावित उद्घाटन के अवसर पर हिमाचल आगमन का स्वागत किया हैं। रोहित ठाकुर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से प्रदेश में प्रस्तावित सुरंग योजनाओं  के लिए पैकेज का मामला प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष उठाने का भी आग्रह किया हैं।
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