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हैवान बना पति ,पत्नी को उतारा मौत के घाट क्यों आप भी पढे ।

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

पठानकोट । पति ने पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी। आरोपी ने पत्नी पर तेजधार हथियार से वार किया। घटना से पहले महिला ने अपने भाई को फोन भी किया था

 

पंजाब के पठानकोट में महिला का कत्ल हुआ है। महिला की हत्या करने वाला और कोई नहीं बल्कि उसका पति ही है। घटना पठानकोट के अकालगढ़ क्षेत्र की है। जहां पति ने पत्नी पर तेजधार हथियार वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया। मृतका की पहचान 33 वर्षीय सविता के रूप में हुई है। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।

 

शिक्षामंत्री ने एक दिवसीय दौरे के दौरान किया क्षतिग्रस्त बस स्टेडं निरीक्षण ।

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला ।  शिक्षा मंत्री  रोहित ठाकुर  ने कोटखाई तहसील के एक दिवसीय प्रवास के दौरान भारी आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त “बस स्टैंट कोटखाई” के स्थल का निरिक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को रु 1 करोड़ 43 लाख की लागत से चल रहे पुनर्स्थापन ( Restoration ) कार्य को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।

 

शिक्षा मंत्री श रोहित ठाकुर  ने विकास भवन कोटखाई में कोटखाई की विभिन्न पंचायतों से आई जनता की समस्याओं को सुना व चरणबद्ध तरीके से समाधान का आश्वसन दिया। इस दौरान शिक्षा मंत्री  रोहित ठाकुर जी ने सरस्वती विद्या मंदिर कोटखाई के छात्र एवं छात्राओं से सवांद किया।

 

 

इस दौरान ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जुब्बल-नावर-कोटखाई के अध्यक्ष  मोतीलाल लाल डेरटा , एसडीएम कोटखाई, अधिशासी अभियंता, कोटखाई, पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधिगण, अधिकारीगण व कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।

 

कला कुंभ शिमला’ में भारतीय कला की पारंपरिक और समकालीन छटा का भव्य प्रदर्शन

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आदर्श हिमाचल  ब्यूरों

शिमला  । हिमालय की गोद में बसे शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में जून 2025 को कला, संस्कृति और रचनात्मकता की एक अद्वितीय छटा बिखरी, जब कला कुंभ शिमला का आयोजन हुआ। 70वीं अखिल भारतीय नाट्य एवं नृत्य प्रतियोगिता – 2025 के समापन पर आयोजित यह विशेष कार्यक्रम भारतीय कला के पारंपरिक और समकालीन रूपों का एक शानदार संगम बना।

 

 

यह आयोजन नृत्य, नाटक, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला, साहित्य और जीवंत कला का एक रंगारंग समागम था। देशभर से आए कलाकारों ने मंच, दीवारों और संवाद के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। चित्रकला प्रदर्शनियों और कला इंस्टॉलेशनों में भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक विषयों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

 

A grand display of traditional and contemporary shades of Indian art at ‘Kala Kumbh Shimla’
A grand display of traditional and contemporary shades of Indian art at ‘Kala Kumbh Shimla’

मंच पर हुए नृत्य और नाट्य प्रदर्शन में प्रसिद्ध कलाकारों ने शास्त्रीय शैलियों को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए प्रस्तुतियाँ दीं, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं। संगीत, कविता पाठ, पुस्तक पठन और कला संवाद जैसे कार्यक्रमों ने इस सांस्कृतिक उत्सव को बौद्धिक गहराई प्रदान की।

 

कला कुंभ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी समावेशिता रही, जिसमें उभरती और स्थापित दोनों श्रेणी के कलाकारों को समान मंच प्रदान किया गया। स्थानीय नागरिकों, पर्यटकों, छात्रों और कला प्रेमियों की भारी उपस्थिति ने इस आयोजन को जीवंत बना दिया। दर्शकों ने न केवल प्रस्तुतियाँ देखीं, बल्कि कलाकारों से संवाद भी किया और कला की प्रक्रिया का हिस्सा बने।

 

कला कुंभ शिमला 2025 ने न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सम्मानित किया, बल्कि रचनात्मक अभिव्यक्ति के भविष्य को लेकर नए विचारों और संवादों को भी जन्म दिया। इस भव्य आयोजन ने शिमला की सांस्कृतिक पहचान को एक नई ऊंचाई दी और उसे भारतीय कला के मानचित्र पर एक प्रमुख स्थल के रूप में स्थापित किया।

भारत और नॉर्वे ने संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में महासागर शासन और नीली अर्थव्यवस्था पर चर्चा की

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

दिल्ली।  केद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नॉर्वे की मत्स्य पालन और महासागर नीति मंत्री सुश्री मैरिएन सिवर्टसन नेस के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इसमें टिकाऊ मत्स्य पालन, समुद्री संसाधन प्रबंधन, टिकाऊ मत्स्य पालन और नीली अर्थव्यवस्था के व्यापक ढांचे से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

 

 

बाद में दोनों मंत्रियों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में, भारत और नॉर्वे ने फ्रांस के नीस में चल रहे तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (यूएनओसी 3) के दौरान आयोजित द्विपक्षीय बैठक में टिकाऊ महासागर शासन और मत्स्य पालन पर सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

दोनों मंत्रियों ने समुद्री शासन में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिसमें मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत और नॉर्वे के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को दर्शाया गया। चर्चा में समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग, बेहतर डेटा साझाकरण तंत्र और अत्यधिक मछली पकड़ने और समुद्री प्रदूषण जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों जैसी साझा प्राथमिकताओं को भी शामिल किया गया।

 

दोनों पक्षों ने सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान के संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को स्वीकार किया, जिसमें ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी साझाकरण पर जोर दिया गया। मंत्रियों ने मौजूदा भारत-नॉर्वे सहयोग को आगे बढ़ाने विशेष रूप से एक स्थायी और समावेशी नीली अर्थव्यवस्था के विकास से जुड़े क्षेत्रों में अवसरों की भी पहचान की।

 

 

9 से 13 जून तक आयोजित होने वाले यूएनओसी3 में वैश्विक नेता, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और उद्योग प्रतिनिधि महासागर स्वास्थ्य, सतत विकास और जलवायु लचीलेपन के लिए सामूहिक कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह के नेतृत्व में भारत की भागीदारी वैश्विक महासागर एजेंडे को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही तटीय समुदायों के हितों की रक्षा और टिकाऊ महासागर आधारित आजीविका को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता भी दर्शाती है।

 

नीस में यह चर्चा ऐसे समय में हुई है जब दुनिया भर के देश आर्थिक विकास और समुद्री संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के प्रयासों को बढ़ा रहे हैं। भारत-नॉर्वे वार्ता को समुद्री संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

रोहित ठाकुर ने देवरीघाट और धार में आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में की शिरकत

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 
शिमला । शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई-नावर में आज दो अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं में बतौर मुख्यतिथि शिरकत की।
अपने दौरे के प्रथम चरण में वह देवरीघाट पहुंचे जहाँ पर उन्होंने नवयुवक मण्डल गुजान्दली द्वारा आयोजित जीपीएल सीज़न 7 क्रिकेट खेल कूद प्रतियोगिता के समापन समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने सर्वप्रथम नव युवक मण्डल गुजान्दली को इस आयोजन पर बधाई दी और प्रतियोगिता में आई हुई टीमों को शुभकामनायें भी दी।
उन्होंने बताया कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में क्रिकेट जैसे खेल की प्रतियोगिताएं करवाना आसान कार्य नहीं है क्यूंकि हमारे क्षेत्र में क्रिकेट के लिए खुले मैदानों की उपलब्धता कम है। फिर भी ऐसे आयोजन करवाना एक प्रशंसनीय कार्य है। खेलों के महत्व पर उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए बताया कि टिक्कर नावर क्षेत्र उनके विधानसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और वर्तमान कांग्रेस सरकार के 2 से अधिक वर्षों में यहाँ पर समुचित विकास सुनिश्चित हुआ है। जहाँ किसी समय टिक्कर उप मण्डल को कच्ची सड़कों का क्षेत्र माना जाता था। वहीं आज इस क्षेत्र को पक्की और बेहतरीन सड़कों के लिए जाना जाता है। इसी श्रृंखला में देवरी घाट टिक्कर सड़क को 9 करोड़ 66 लाख की लागत से नाबार्ड के वित्त पोषण के लिए भेजा गया है।
 स्वीकृति मिलने पर जल्द से जल्द यह कार्य आरम्भ कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि देवरी घाट क्षेत्र गिरी गंगा और कुपड़ पर्वत के साथ लगता क्षेत्र है और यह प्राकृतिक सुंदरता से भी परिपूर्ण है। इसलिये आने वाले समय में इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित किया जायेगा। इस दिशा में गिरी गंगा से कुप्पड़ तक रोपवे निर्माण का सर्वे भी करवाया जा रहा है।
रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर स्थानीय नवयुवक मण्डल को 50 हज़ार रूपये देने की घोषणा भी की।
अपने दौरे के अगले चरण में शिक्षा मंत्री अपने गृह पंचायत धार पहुंचे जहाँ पर उन्होंने 8वीं शान ए धार जमींदार (धार उत्सव) वॉलीबॉल प्रतियोगिता के समापन समारोह की अध्यक्षता की। यहाँ पहुँचने पर स्थानीय नवयुवक मण्डल और स्थानीय निवासियों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। धार में लीजेंड वर्ग में 18 टीमे और ओपन 12 टीमों ने भाग लिया।
रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर बताया कि अपने गृह पंचायत में इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर वह प्रसन्नता का अनुभव कर रहें हैं। इस दौरान उन्होंने नवयुवक मण्डल धार को इस आयोजन पर शुभकामनायें दी।और इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे खिलाड़ियों से मुलाक़ात कर उनका मनोबल भी बढ़ाया। रोहित ठाकुर ने बताया कि धार जमींदार का वॉलीबॉल से बहुत पुराना सम्बन्ध है और उनके स्वर्गीय पिता जगदीश ठाकुर भी इस टीम का एक हिस्सा हुआ करते थे। साथ ही उन्होंने यह कहा कि वर्तमान समय में जहां युवा पीढ़ी नशा और अन्य दुर्व्यसनो के जाल में जकड़ती जा रही है। ऐसे समय में इस तरह के खेल आयोजन युवाओं के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और नशों से बचाते है। विकास कार्यों की चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री ने बताया की उनकी अपना घर होने के नाते धार पंचायत का सर्वांगीण विकास उनकी प्राथमिकता है और उनके शिक्षा मंत्री के 2 वर्षों से अधिक समयावधि के दौरान धार में अभूतपूर्व पूर्व विकास हुआ है जिसमें कि 50 लाख की लागत से निर्माणाधीन सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य और 4 लाख की लागत से कलाला प्रांगण में लगाई गयी हाइ मास्ट लाइट प्रमुख है।
इसके अतिरिक्त, 8 लाख 57 हज़ार रूपये की लागत की सौर ऊर्जा आधारित लाइट्स भी स्वीकृत किये गए हैं और जल्द से इन्हे लाभार्थियों को आब कर दिया जायेगा। इसके अतिरिक्त 14 करोड़ 50 लाख की लागत से कोहलाड़ा-अंटी मार्ग का स्तरीयकरण एवं 35 लाख की बैरली सड़क की मेटलिंग और टारिंग एवं 80 लाख रूपये से जुब्बल से धार मार्ग की री-टारिंग का कार्य भी पूर्ण हुआ है। इसके अतिरिक्त पंचायत के अंतर्गत आने वाले पहाड़ गाँव में हुई क्षति को पूरा करने हेतू 75 लाख रूपये व्यय हुए। इसके अतिरिक्त, धार पंचायत के अंतर्गत गत डाबरी रोड को विधायक प्राथमिकता में डालकर इसे स्त्रोन्नत किया जायेगा।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने स्थानीय नव युवक मण्डल को 50000 रूपये देने की भी घोषणा की।
इस अवसर पर ज़िला परिषद सदस्य कौशल मुंगटा, पूर्व ज़िला परिषद सदस्य मोतीलाल सिथता, युवा कांग्रेस मण्डल अध्यक्ष (जुब्बल) दीपक कालटा, ग्राम पंचायत धार की प्रधान सुषमा सौटा, उप प्रधान मनोज चौहान,नव युवक मण्डल धार के सभी सदस्य और पदाधिकारी अनुसूचित जाती प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मुनी लाल नर्सेठ, उपमंडल दण्डाधिकारी जुब्बल गुरमीत नेगी एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

गर्भवती, नवजात और अजन्मे बच्चे से भी वसूली कर रही है सुक्खू सरकार : जयराम ठाकुर

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार न तो प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है और न ही केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर हैं। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नेशनल हेल्थ मिशन के ज़रिए हिमाचल के लोगों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रख रही है और भरपूर आर्थिक सहयोग दे रही है। केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में ‘फ्री ड्रग पॉलिसी’ के तहत नि:शुल्क उपचार और ’फ्री डायग्नोस्टिक इनीशिएटिव सर्विसेज’ के तहत नि:शुल्क जांच की व्यवस्था की गई है। जिसके खर्च का वहन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार ही करती है लेकिन सुक्खू सरकार वह भी लोगों से छीन चुकी है। स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदेशवासियों का संवैधानिक हक है जिसे सुक्खू सरकार छीन रही है।

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि सुक्खू सरकार ने सुविधाएं  छीनने के मामले में प्रसूता और गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा। सुक्खू सरकार केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे जननी–शिशु सुरक्षा कार्यक्रम को फेल करना चाहती है। इसीलिए सुक्खू सरकार केंद्र सरकार द्वारा भरपूर सहयोग दिए जाने के बाद भी गर्भवती महिलाओं के साथ भेदभाव कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है जो देशवासियों की विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित करता है, जिसमें मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, सार्वभौमिक टीकाकरण और प्रमुख बीमारियों का नियंत्रण शामिल है। इसी के तहत जननी–शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेजेएसके) चलाया जा रहा है। जिससे मातृ-शिशु को अधिकतम सुविधाएं प्रदान की जा सकें और मातृ-शिशु मृत्यु दर को नगण्य किया जा सके। लेकिन दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकार द्वारा  चलाई जा रही दर्जनों योजनाओं और हिमाचल को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भरपूर आर्थिक सहयोग के बाद भी सुक्खू सरकार गर्भवती और प्रसूता महिलाओं, नवजात, यहाँ तक कि अजन्मे बच्चों से भी पैसे वसूल रही है। केंद्र सरकार द्वारा निःशुल्क किए जाने के बाद भी विभिन्न जांच के लिए पैसे ले रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

 

जयराम  ठाकुर ने कहा कि केंद्र से भरपूर सहयोग मिलने पर राज्य सरकार को ऐसे मामले में बढ़चढ़ कर सुविधाएं देनी चाहिए लेकिन सरकार गर्भवती महिलाओं से अल्ट्रासाउंड समेत अन्य प्रकार की जांच के लिए भी पैसे ले रही है। इस बारे में जब भी मुख्यमंत्री से सवाल करो तो वह झूठ बोलकर निकल जाते हैं। केंद्र सरकार द्वारा सहयोग देने के बाद भी सुविधाएं छीनने के पीछे की मंशा को स्पष्ट करना चाहिए। जयराम ठाकुर ने केंद्र सरकार द्वारा 101.18 करोड़ का अनुदान जारी करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार भी जताया।

आत्मनिर्भर हिमाचल के लिए ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती सर्वाेच्च प्राथमिकताः मुख्यमंत्री  

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला ।  सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रही है, जिसके लिए पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान विभिन्न प्रभावी कदम उठाए गए हैं।

 

उन्होंने कहा कि यह सपना केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करके ही साकार किया जा सकता है क्योंकि हिमाचल की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि और बागवानी पर निर्भर है। इसलिए कृषक समुदाय की आर्थिकी को मजबूत करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक खेती से उत्पन्न जैविक उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश सरकार ने मक्की की खरीद पर एमएसपी दो बार बढ़ाई है। पहली बार एमएसपी 30 रुपये और उसके बाद 40 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई। इसी प्रकार गेहूं की खरीद पर एमएसपी पहले 40 रुपये और उसके बाद बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम की है। इसके अलावा, कच्ची हल्दी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार 90 रुपये प्रति किलोग्राम का एमएसपी प्रदान कर रही है। राज्य सरकार ने हिम-भोग हिम-मक्की ब्रांड नाम से प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की का आटा उपलब्ध करवाया है।

 

यह उत्पाद सतत कृषि और किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर राज्य के 10 जिलों में प्राकृतिक खेती करने वाले 1590 किसान परिवारों से 4,000 क्विंटल से अधिक मक्की की खरीद की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, प्रदेश में उत्पादित मसालों को नई पहचान दिलाने के लिए हमीरपुर जिले में स्पाइस पार्क विकसित करने की योजना भी तैयार की गई है।

 

सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से हिम-भोग हिम-मक्की का आटा उपलब्ध करवाया है। हिम-भोग हिम-मक्की आटा सरकार द्वारा प्राधिकृत पोर्टल हिम-ईरा पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध है। इस पहल का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी के लिए प्राकृतिक रूप से उगाई गई मक्की का आटा सुलभ उपलब्ध करवाना है। उन्होंने कहा कि लगभग 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद के लिए 1.20 करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए हैं। इस वित्त वर्ष से सरकार ने कच्ची हल्दी के लिए एमएसपी प्रदान करने का निर्णय लिया है जिसे ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड नाम से प्रसंस्करण और विपणन किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस अढ़ाई साल पहले सत्ता में आई थी, तो उन्होंने पाया कि किसान ऋण राशि चुकाने के लिए मजबूरी में अपनी जमीन बेच रहे हैं। हमारी सरकार ने ऐसे किसानों को एकमुश्त निपटान के रूप में ब्याज अनुदान योजना के माध्यम से सहायता करने का निर्णय लिया, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर थे।

 

उन्होंने कहा कि पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान कृषि अर्थव्यवस्था में बदलाव देखा जा रहा है, जिसमें किसान अपना ध्यान प्राकृतिक खेती की ओर केंद्रित कर रहे हैं। राज्य में बड़ी संख्या में किसानों ने रसायन मुक्त खेती को अपनाया है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि प्रदेश की लगभग सभी पंचायतों के 2,23,000 किसानों और बागवानों ने आंशिक या पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती को अपनाया है। सरकार ने किसानों के लिए अतिरिक्त आय सृजन के विकल्प तलाशने, उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने, गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करवाने, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, फसल बीमा प्रदान करने, प्रशिक्षण प्रदान करने और कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है बल्कि किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रति समर्पण को भी दर्शाती है, जिससे हिमाचल सतत कृषि विकास में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करने, प्राकृतिक खेती का विस्तार करने और छोटे किसानों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य कर रही है। राज्य सरकार पारंपरिक कृषि पद्धति और आधुनिक बाजार की मांग के बीच की दूरी को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है, इससे प्रदेश के कृषक समुदाय का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित होने के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण पेश हुआ है।

केंद्र सरकार की ओर से पिछले 11 वर्ष में हिमाचल प्रदेश को भरपूर मदद : नंदा

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आदर्श हिमाचल‌ ब्यूरों

शिमला । भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि केंद्र सरकार के पिछले 11 वर्ष में हिमाचल प्रदेश को भरपूर मदद मिली है, चाहे वह केंद्र योजनाएं हो या केंद्र के प्रोजेक्ट हो हिमाचल प्रदेश को प्रतिवर्ष 10000 करोड़ से अधिक की केंद्रीय सहायता मिली है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए हिमाचल प्रदेश को 101.18 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। यह वित्तीय सहायता चालू वित्तीय वर्ष की पहली किस्त के तौर पर जारी की गई है। यह धनराशि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम और शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए लचीले कोष के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। इसके लिए हम केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हैं, हमें केंद्र सरकार से लगभग 46 परियोजनाओं के लिए पैसे आते हैं। जैसे की 2024-25 में इन परियोजनाओं के अंतर्गत मनरेगा में 1000 करोड़, शिक्षक क्षेत्र में स्टार में 114.59 करोड़, समग्र शिक्षा 250 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना 582.46 करोड़, मिशन शक्ति 15 करोड़, सक्षम आंगनवाड़ी पोषण 177.65 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 800 करोड़ से अधिक की राशि हिमाचल प्रदेश सरकार को मिली है। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के साथ कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के नेता एवं मुखिया केवल मात्र हिमाचल प्रदेश में एक गलत नॉरेटिव सेट करने का प्रयास कर रहे हैं।

सभी पर्यटक स्थलों पर भीड़, समर सीजन बंपर रहने की उम्मीद

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला  मैदानी राज्यों की गर्मी ने इस बार हिमाचल के टूरिस्ट सीजन को नया सहारा दिया है। उत्तर भारत के राज्यों में स्कूलों की छुट्टियां पडऩे के बाद गर्मी से राहत के लिए पर्यटक हिमाचल का रुख कर रहे हैं। पर्यटन कारोबारियों को यह भी लग रहा है कि पहलगाम के आतंकी हमले के बाद श्रीनगर जाने का प्लान बनाने वाले कुछ पर्यटक भी हिमाचल की तरफ को मुड़े हैं। इसका असर हिमाचल के टूरिस्ट डेस्टिनेशन में देखने को मिल रहा है। चाहे बात शिमला की हो, कुल्लू-मनाली की या फिर मकलोडगंज या डलहौजी की, हर शहर के होटलों में आक्युपेंसी फुल चल रही है और टूरिस्ट की भीड़ देखी जा रही है। पुलिस और ट्रैफिक के माध्यम से आ रहा डाटा भी इसकी पुष्टि कर रहा है। शिमला शहर में औसतन 10000 गाडिय़ां रोज आ रही हैं, जबकि मनाली की तरफ गाडिय़ों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा है। अटल टनल और लाहुल-स्पीति में ताजा बर्फबारी की खबरों का असर मनाली के टूरिस्ट सीजन पर एकदम होता है। पर्यटन कारोबारी और पर्यटन विभाग का आकलन है कि इस बार यदि मानसून में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, तो समर सीजन थोड़ा लंबा चलेगा। हिमाचल में मानसून के पहुंचने की तारीख 15 से 20 जून के बीच है और यह देखना होगा की शुरुआत किस तरह की होती है? राज्य के पर्यटन विभाग को भी 2025 में टूरिज्म से खासी उम्मीद है।

 

2024 में हिमाचल में कुल 1,81,24,694 पर्यटक आए थे, जिनमें से 82,765 विदेशी थे, जबकि 1,80,41,929 पर्यटक देश के ही थे। यह 2023 के मुकाबले करीब 13 फीसदी ज्यादा संख्या थी। 2025 की शुरुआत भी अच्छी हुई है। 2024 में पहले चार महीनों यानी जनवरी से अप्रैल तक करीब 53,81,435 पर्यटक आए थे। इस बार इस अवधि में 40,67,051 पर्यटकों की संख्या अब तक है। हालांकि मई और जून महीने का आंकड़ा अभी देखना होगा। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के एमडी राजीव कुमार ने बताया कि प्रदेश के सभी टूरिस्ट डेस्टिनेशन शहरों में अच्छा रश चल रहा है और बैड ऑक्युपेंसी भी 80 फ़ीसदी के आसपास है। सीजन को देखते हुए एचपीटीडीसी ने मनाली के नगर कैसल होटल की रिपेयर भी कर ली है। यदि मानसून की शुरुआत सामान्य रही, तो समर सीजन थोड़ा लंबा चलेगा।

आज से दिल्ली-लेह रूट पर दौड़ेगी एचआरटीसी

कुल्लू। दिल्ली-केलांग-लेह रूट पर हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस सेवा 11 जून यानी बुधवार को दिल्ली से आरंभ होगी। 12 जून को केलांग से लेह के लिए यह बस बाकायदा हरी झंडी दिखाकर रवाना की जाएगी। एचआरटीसी के निदेशालय से एचआरटीसी केलांग डिपो प्रबंधन को इस रूट पर बस चलाने की परमिशन मिल गई है। वहीं, पर्यटकों का इंतजार भी अब खत्म होने वाला है।

विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन की आवश्यकताः मुख्यमंत्री

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला । प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के अढाई वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश को स्वच्छ एवं हरित राज्य बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनका उद्देश्य पर्यावरण प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाना, कमजोर पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना तथा सतत् विकास को बढ़ावा देना है।
इस दिशा में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में अनेक उच्च स्तरीय बैठकें हुई हैं जिनके सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। प्रदेश में 500 मिलिलीटर पानी की प्लास्टिक बोतलों पर प्रतिबंध, स्वच्छ शहर-समृद्ध शहर अभियान, सौर ऊर्जा के पर्याप्त दोहन पर बल, हरित परिवहन गलियारों का निर्माण, कार्बन फुटप्रिंट के लिए पारंपरिक ईंधन वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित कर इसके स्थान पर ई-वाहनों को बढ़ावा देना और ग्रीन स्कूल कार्यक्रम आदि ऐसी प्रमुख पहल हैं, जिनके माध्यम से राज्य सरकार हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने के अपने लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश स्कूली बच्चों तक पहुंचाने तथा उन्हें स्वच्छता के प्रति  प्रेरित करने के लिए मुख्यमंत्री ने हाल ही में स्कूली छात्रों को 6,00,000 स्टेनलेस स्टील की पानी की बोतलें वितरित करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य छात्रों को पानी की प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल के प्रति हतोत्साहित करना।

 

प्रदेश सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग से संबंधित नियमों को काफी सख्त बना दिया गया है। हिमाचल प्रदेश में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सभी सरकारी कार्यक्रमों और होटलों में पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) से बनी बोतलों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह कदम हिमाचल को प्लास्टिक मुक्त राज्य बनाने में सहायक सिद्ध होगा। सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और संबंधित निकायों द्वारा आयोजित आंतरिक आधिकारिक बैठकों, सम्मेलनों और कार्यक्रमों में इसका उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। यह प्रतिबंध हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों और निजी होटलों पर भी लागू होगा।

 

‘प्लास्टिक चैलेंजिंग मोबाइल ऐप’ पर्यावरण कानूनों के प्रवर्तन को डिजिटल बनाने की दिशा में नवोन्मेषी पहल है। इस ऐप के साथ, 13 विभागों के अधिकारी अब अपने मोबाइल उपकरणों के माध्यम से सीधे चालान जारी करने में सक्षम होंगे, जिससे कागज आधारित प्रक्रियाओं की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

 

इसके अलावा, वन संरक्षण के प्रयासों के लिए ग्राम वन प्रबंधन सोसायटी को सम्मानित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने युवाओं से वन संरक्षण आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, समृद्ध और हरा-भरा हिमाचल सुनिश्चित करने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर बल दिया।
इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में गांवों एवं शहरों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ लगभग दो माह तक चलने वाले ‘स्वच्छ शहर-समृद्ध शहर कार्यक्रम’ की शुरूआत 5 फरवरी को की गई थी। इस अभियान में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वच्छता के महत्त्व के बारे में शिक्षित करना, समाधान शिविरों के माध्यम से जन शिकायतों का समाधान करना और ऑनलाइन नागरिक सेवा पोर्टल के माध्यम से डिजिटल सेवाओं के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल था। नागरिकों को शहरी सुविधाओं तक पहुंच में सुधार के लिए पोर्टल के तहत विकसित की जा रही 9 आवश्यक ऑनलाइन सेवाओं के बारे में बताया गया।
यह अभियान अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता, समाधान शिविरों के आयोजन और ऑनलाइन नागरिक सेवा पोर्टल पर केन्द्रित था। इस कार्यक्रम में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए स्वयं सहायता समूहों के 962 सदस्यों, 14 गैर सरकारी संगठनों और 85 स्कूलों के छात्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई। अभियान के दौरान स्वयंसेवकों ने दो बार लगभग 2.5 लाख घरों का दौरा किया। शहरी क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर समाधान शिविर आयोजित किए गए।

 

इस अभियान के माध्यम से न केवल स्वच्छता के बारे में जागरूकता में सुधार लाया गया, बल्कि नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों और स्कूलों को शामिल करके सामुदायिक भागीदारी को भी मजबूत किया गया।

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