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एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में नवागंतुक छात्रों के लिए एडीसी शिमला बनें प्रेरणा स्रोत

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में वीरवार को विश्वविद्यालय के सभागार में विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से नए शैक्षणिक सत्र में विभिन्न संकायों और पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले नवागंतुक विद्यार्थियों के लिए ओरियंटेशन व स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रथम सत्र के पहले दिन तीन सौ नवागन्तुक विद्यार्थियों हिस्सा लिया। नए विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय में यह पहला दिन था। इस कार्यक्रम में शिमला जिला के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (एडीसी) आई.ए.एस अभिषेक वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्य अतिथि अभिषेक वर्मा ने मां सरस्वती के सम्मान में सरस्वती वंदना व दीप प्रज्वलित कर ओरियंटेशन व स्वागत समारोह का शुभारंभ किया।

 

 

एपीजी शिमला विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे एडीसी अभिषेक वर्मा का एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र सिंह चौहान और कुलसचिव प्रोफेसर डॉ. आर.एल. शर्मा ने हिमाचली टोपी, शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। कुलपति प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने एडीसी अभिषेक वर्मा का विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करने, उनका मार्गदर्शन करने और जीवन में अच्छा काम करने और अच्छा नागरिक बनने के साथ साथ अच्छा इंसान बनने और बेहतर शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद किया। कुलपति चौहान ने कहा कि अभिषेक वर्मा स्वयं भी युवा आई. ए. एस. अधिकारी हैं, बहुमुखी प्रतिभा वाले छात्र रहे हैं और युवाओं को जीवन में किसी भी क्षेत्र में समाज और राष्ट्रहित में बेहतर कार्य करने के लिए अपने आप में प्रेरणाश्रोत हैं। कुलपति चौहान ने नवागंतुक विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की तथा प्राध्यापकों और अध्यापकों के साथ मिलकर हर तरह की सुविधा और सहयोग करने की बात की। कुलपति चौहान ने नवागंतुक विद्यार्थियों को सही शिक्षा, सही ज्ञान, संस्कार, चरित्रनिमाण और स्किल्स, नेतृत्व और समाज और अपने राष्ट्र के विकास में युवा पीढ़ी की भूमिका बारे विद्यार्थियों को अवगत करवाया और विश्वविद्यालय के स्वच्छ वातावरण में गुणात्मक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। मुख्य अतिथि एडीसी अभिषेक वर्मा ने नवागन्तुक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश एक सुंदर प्रदेश है और शिमला में स्थित एपीजी शिमला विश्वविद्यालय हरे भरे वातावरण वाले और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर वाले परिसर में बेहतर पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के लिए अच्छा है। मुख्य अतिथि एडीसी अभिषेक वर्मा ने एक कवि के अंदाज़ में विद्यार्थियों से संवाद करते हुए व प्रेरित करते हुए कहा कि पहाड़ सिर्फ पहाड़ नहीं होते बल्कि पहाड़ धैर्य और विनम्रता के प्रतीक हैं।

 

 

अभिषेक वर्मा ने पहाड़ों से प्रेरणा लेकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि जीवन में आप कुछ भी हासिल कर लें, बड़ी ऊंचाइयों को छू लें अगर आपके चरित्र, आपकी शिक्षा, ज्ञान और कार्य में मानवहित, धैर्य, शिष्टता और विनम्रता का भाव नहीं है तो बड़ी से बड़ी उपलब्धि किसी काम की नहीं। अभिषेक वर्मा ने कहा कि मनुष्य सिर्फ शिक्षा शिक्षण संस्थाओं से ही प्राप्त नहीं करता बल्कि पहली शिक्षा माता पिता और आसपास के लोगों से प्राप्त करते हैं और यह शिक्षा उन लोगों के अनुभव से सही साकारात्मक जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है। अभिषेक वर्मा ने कहा कि आसपास के लोगों के अनुभव से शिक्षा नकारात्मक और साकारात्मक दोनों होती है लेकिन साकारात्मक शिक्षा ही ग्रहण करनी है, नाकारात्मक नहीं। अभिषेक वर्मा ने कहा कि शिक्षा का पहला काम संस्कार, चरित्रनिमाण, अनुशासन और जनकल्याण के लिए है। वर्मा ने कहा कि सीखने के लिए कई स्रोत हैं, वे सभी लोग है, लेकिन याद रहे कि जानने और सीखने के लिए विवेचना करना, मूल्यांकन करना भी करना चाहिए कि क्या सही है और गलत है। सही को सीखें और गलत और गलतियों से सीखकर सही काम करें। जब आपने यह अनुभव कर लिया और सीख लिया तो जीवन जीने की कला तो सीख ही जाएंगे।

 

एडीसी अभिषेक वर्मा ने कहा कि शिक्षा प्राप्ति और जीवन में सफल उद्यमी बनने या नौकरी प्राप्त कर लेने या बड़े संस्थान से पढ़ाई कर लेने से जीवन में श्रेष्ठता तभी संभव है जब आप समाज और राष्ट में रहकर उनकी आवाज बनो जिन्हें समाज भूल गया है, उन गुमनाम नायकों की आवाज बनो जिन्होंने इस समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दिया था और उन से प्रेरित होकर मानव विकास, समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी शिक्षा का प्रयोग कर अपने माता पिता, गुरुजनों और समाज को कुछ न कुछ बदले में बेहतर उपहार दे सकें। अभिषेक वर्मा ने कहा कि जीवन कभी खत्म नहीं होता बल्कि जीवन ढेरों चॉइस से भरा पड़ा है, असफलताओं से घबराएं नहीं बल्कि मुकाबला करें और अपने लक्ष्य से डिगे नहीं और अपने जीवन का उद्देश्य ऊंचा रखें और योजनबद्ध तरीके से अपनी मंजिल को पाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें। सफलता अपने आप मिल जाएगी। वर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी नशाखोरी से दूर रहें और मन लगाकर पढ़ाई करें।

 

 

कार्यक्रम के अंत प्रश्न सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने एडीसी अभिषेक वर्मा से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के बारे में जाना और वर्मा ने विद्यार्थियों को सफलता का मूलमंत्र भी दिया कि किस तरह प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की जा सकती है। अंत में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डॉ. आर. एल. शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत कर सभी नवआगंतुक विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया और उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से हों इसके लिए भरोसा दिलाया। कुलसचिव ने मुख्य अतिथि अभिषेक वर्मा का विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करने और उन्हीं जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद किया।

 

नवागंतुक विद्यार्थियों का उत्साहव‌र्द्धन करने के लिए सभी संकायों के शिक्षकगण, विभागाध्यक्ष , अधिष्ठाता प्रो. डॉ. आनंदमोहन शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. नीलम शर्मा, पत्रकारिता विभाग के अधिष्ठाता डॉ. अश्वनी शर्मा, परीक्षा नियंत्रक अफजल खान, इंजीनियर विभाग से अधिष्ठाता प्रो. अंकित ठाकुर, साइंस विभागाध्यक्ष डॉ. मनिंदर कौर, डॉ. मोनिका वर्मा, डॉ.भावना वर्मा और डॉ. देविका राणा, डॉ. विजयश्री, डॉ. नरेंद्र कुमार समेत विश्वविद्यालय के अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद थे।

जेपी नड्डा की अध्यक्षता में भाजपा सांसदों, नेता प्रतिपक्ष, प्रदेशाध्यक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल अमित शाह, गडकरी से मिला

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला । हिमाचल प्रदेश में गत दिनो आई प्राकृतिक आपदा के विषय को लेकर हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधि मण्डल केन्द्र सरकार के मंत्रीगणों से मिला। इस प्रतिनिधि मण्डल में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा डाॅ. राजीव बिन्दल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर, सांसद एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, डाॅ. राजीव भारद्वाज,  कंगना रणौत, राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी, डाॅ. सिकंदर कुमार, हर्ष महाजन, विधायक विनोद कुमार, हंसराज एवं दीपराज शामिल थे।

 

 

डाॅ. राजीव बिन्दल ने बताया कि सर्वप्रथम केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उर्वरक एवं रसायन मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, जोकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं को मिलकर आपदा की स्थिति के बारे में अवगत करवाया गया। ज्ञात रहे कि 9 जुलाई को जगत प्रकाश नड्डा स्वयं मण्डी जिला आए थे और सारी त्रासदी को अपनी आंखो से देखा। नड्डा जी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधि मण्डल केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिला और विस्तार से प्रदेश में आई आपदा के संबंध में वार्ता की। नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव व पुनर्निर्माण हेतु हर प्रकार की सहायता करने का वचन दिया।

 

 

तत्पश्चात नड्डा  के नेतृत्व में यह प्रतिनिधि मण्डल केन्द्रीय गृह मंत्री अमित भाई शाह से मिला और विस्तृत वार्ता हिमाचल की त्रासदी के संबंध में की। गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पूर्व में भी हिमाचल प्रदेश को भरपूर आर्थिक मदद की है और भविष्य में भी राहत कार्यों में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी और आशवस्त किया कि वे स्वयं हिमाचल आकर त्रासदी का जायजा भी लेंगे।

एचपी शिवा परियोजना के तहत धनियारा क्लस्टर में लीची पौधरोपण अभियान का शुभारंभ

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

मंडी । हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी परियोजना (एचपी शिवा) के अंतर्गत आज धनियारा क्लस्टर में वर्ष 2025 का लीची पौधरोपण अभियान विधिवत रूप से प्रारंभ किया गया। संयुक्त निदेशक उद्यान, मध्य क्षेत्र मंडी डॉ. वी.पी. बैंस की अगुवाई में यह अभियान शुरू किया गया।
उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग का बागवानी क्षेत्र को जिला मंडी में बढ़ावा देने का अनवरत प्रयास जारी है। इस वर्ष इस क्लस्टर में लगभग 8 से 10 हेक्टेयर क्षेत्र में लीची पौधों का रोपण किया जा रहा है। यह प्रयास धनियारा क्लस्टर को ‘लीची हब’ के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे क्षेत्रीय बागवानों को दीर्घकालिक आर्थिक लाभ और कृषि आधारित आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे।
उल्लेखनीय है कि इस क्लस्टर का विधिवत शुभारंभ गत वर्ष जुलाई, 2024 में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा 8 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया था। इस वर्ष का पौधरोपण कार्यक्रम उसी परियोजना के विस्तार स्वरूप में क्रियान्वित किया जा रहा है।
उपनिदेशक उद्यान, जिला मंडी डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना के अंतर्गत यह क्लस्टर न केवल क्षेत्रीय बागवानी को एक नई दिशा देगा, बल्कि स्थानीय युवाओं एवं किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, संरचनात्मक सहायता तथा बाजार संपर्क जैसे महत्वपूर्ण लाभ भी प्रदान करेगा। विभाग का यह सतत् प्रयास है कि स्थानीय जलवायु और भू-स्थितियों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली लीची का उत्पादन हो तथा “ब्रांड मंडी” लीची को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सके।
इस अवसर पर विभागीय अधिकारियों ने बागवानों से संवाद कर संवहनीय बागवानी प्रथाओं, उन्नत रोपण तकनीकों और उर्वरक प्रबंधन संबंधी मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
उद्यान विकास अधिकारी सदर डॉ. शिक्षा, उद्यान विभाग की तकनीकी टीम भूप सिंह, सुविधाजनक अभिषेक, तथा क्लस्टर के समस्त बागवान इस अवसर पर उपस्थित रहे।

YMUN 2025: हिमाचल का सबसे बड़ा MUN सम्मेलन

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला । ऑकलैंड हाउस स्कूल फॉर बॉयज ने 19-20 जुलाई को YMUN 2025 का आयोजन किया, जो हिमाचल प्रदेश में युवा नेताओं और विचारकों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया। इस वर्ष के सम्मेलन में 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र शामिल थे। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि श्री अभिषेक वर्मा (एडीसी, शिमला) ने कहा, “यह सम्मेलन न केवल छात्रों को वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि उन्हें नेतृत्व और संवाद कौशल विकसित करने में भी मदद करता है।
इस वर्ष का विषय “जहां विचार कार्रवाई से मिलते हैं” था, जिसने प्रतिभागियों को सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करने के लिए प्रेरित किया। सम्मेलन के दौरान विभिन्न समितियों में गर्मागर्म बहसें हुईं, जिसमें प्रतिनिधियों ने अपने-अपने देशों के दृष्टिकोण से समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया।
मुख्य विजेता:
• लोकसभा: सर्वश्रेष्ठ सांसद – अलीना कांता (सैक्रेड हार्ट)
• संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC): सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि – अंगद वर्मा (पाइनग्रोव)
• संयुक्त राष्ट्र महिला स्थिति आयोग (UNCSW): सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि – आरिका धंत
• संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC): सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि – सानिका (कैम्ब्रिज)
• अंतर्राष्ट्रीय प्रेस: सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टर – भविका उप्रेती (MRA DAV)

शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है एचपीयू – अनिरुद्ध सिंह

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 आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला । ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय 1970 में स्थापित हुआ था और तब से शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है।
अनिरुद्ध सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 56वें स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्वलन के साथ शुभारम्भ करने के उपरांत उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के इस पावन अवसर पर यहां उपस्थित होना उनके लिए अत्यंत गर्व और प्रसन्नता का विषय है।
उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को यहां उपस्थित होना था, लेकिन निजी कारणों के चलते वह नहीं आ सके। उन्होंने कहा कि यह विशेष खुशी का विषय है कि इस विश्वविद्यालय से न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश भर से छात्र पढ़कर निकले हैं। यहां से कई आईएएस, आईपीएस, न्यायिक अधिकारी, डॉक्टर, पत्रकार, वैज्ञानिक, शिक्षक और राजनेता निकले हैं, जो आज देश-विदेश में हिमाचल का नाम रोशन कर रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि आज शिक्षा एक व्यवसाय बनती जा रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने हमेशा गुणवत्ता और मूल्यों को प्राथमिकता दी है। शिक्षकों की मेहनत, छात्रों की लगन और प्रशासन की प्रतिबद्धता ने इस संस्थान को एक विशिष्ट पहचान दी है।
5 नए शोध केंद्रों का उद्घाटन
ग्रामीण विकास मंत्री ने आज विश्वविद्यालय में 5 नए शोध केंद्रों का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में 5 नए शोध अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए हैं जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण और तकनीकी विकास में भी अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर ग्रीन एनर्जी एंड नैनोटेक्नोलॉजी केंद्र यह केंद्र स्वच्छ पर्यावरण व हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े शोध को बढ़ावा देगा और ‘ग्रीन हिमाचल’ के सपने को साकार करने में सहायक बनेगा। सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड साइबर फिजिकल सिस्टम्स केंद्र विद्यार्थियों को डिजिटल युग की चुनौतियों जैसे एआई एथिक्स, डेटा प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा के लिए तैयार करेगा। इसी प्रकार, सेंटर फॉर हिमाचली कल्चर एंड हेल्थ केंद्र हिमाचल की समृद्ध लोक भाषा, कला, उत्सवों और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि हिमालयन सेंटर फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड रेसिलिएंस केंद्र प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम, पूर्वानुमान और समाधान के लिए शोध करेगा। हिमाचल की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह केंद्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, रामानुजन सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स एंड इंडियन मैथमेटिक्स केंद्र श्रीनिवास रामानुजन की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय पारंपरिक गणितीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक वैज्ञानिक नवाचारों से जोड़ने का कार्य करेगा।
उन्होंने कुलपति प्रो. महावीर सिंह और उनकी पूरी टीम को उनके अकादमिक नेतृत्व के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं, देश को भी गौरवान्वित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय जाति, धर्म, भाषा या प्रांत के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता। विश्वविद्यालय में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए विशेष टॉकिंग सॉफ्टवेयर, स्टडी रूम, पीएचडी में आरक्षण, एससी-एसटी छात्रों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं यहां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
हरित ऊर्जा को लेकर एचपीयू और आईआईटी रोपड़ के बीच हुआ एमओयू
इस दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रोपड़ के बीच हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।
चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट को किया प्रोत्साहित
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत 12वीं कक्षा के 20 चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट को प्रोत्साहित किया गया, जिसमें बालिका आश्रम मशोबरा की 10 छात्राएं और बाल आश्रम टूटीकंडी के 10 छात्र शामिल रहे। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की ‘मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना’ के अंतर्गत अनाथ और बेसहारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, आवास और पोषण की सुविधा दी जा रही है, ताकि वह भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकें।
मुख्यमंत्री का संदेश किया प्रसारित
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 56वें स्थापना दिवस समारोह के शुभारंभ के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू किसी कारणवश नहीं आ पाए परन्तु उन्होंने अपना सन्देश विश्वविद्यालय के लिए भेजा, जिसका प्रसारण कार्यक्रम के बीच में किया गया। उन्होंने इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह प्रदेश के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का भी प्रतिबिंब है।
उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ का आपदा प्रभावितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने वेतन से अंशदान देने के निर्णय के लिए भी उनका आभार व्यक्त किया।
विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए शोध को बढ़ावा जरुरी – महावीर सिंह
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए शोध कार्य को बढ़ावा देना बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि उच्च कोटि का शोध करने से ही विश्वविद्यालय की रैंकिंग और बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि आज यहाँ जो पांच शोध केंद्र खोले गए हैं, उनको खोलने के पीछे गहरी सोच है, जिसके सुखद परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।
 
यह भी रहे उपस्थित
कार्यक्रम में महापौर नगर निगम शिमला सुरेंद्र चौहान, उपमहापौर उमा कौशल, निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रोपड़ डॉ राजेश आहूजा, संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन गृह मंत्रालय कर्नल मनोरम यादव, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान से डॉ. सिराज किरमानी, सहायक निदेशक राजीव गांधी कैंसर अस्पताल दिल्ली, डॉ सुमित गोयल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से गणेश नारायण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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सरकार का मंत्रिमंडल एक संवैधानिक संस्थान को अध्यारोही करने का काम कर रहा है : कश्यप

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार का मंत्रिमंडल एक संवैधानिक संस्थान को अध्यारोही करने का काम कर रहा है। यानी प्रदेश सरकार ने सभी हदें पार करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग जैसे उच्च संवैधानिक संस्थान द्वारा लिए गए निर्णय को बदलने एवं दबाने का प्रयास कर रही है, ऐसा लगता है की सरकार के मंत्रियों एवं कांग्रेस के नेताओं को पता लग गया है कि आने वाले समय में पंचायती राज एवं नागर इकाईयों के चुनाव में कांग्रेस सरकार की नीतियों के कारण एक करारी हार का सामना करना पड़ेगा।

 

 

उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस आने वाली समस्या का कोई समाधान नहीं मिल पाया तो उन्होंने निर्णय लिया कि क्यों ना इन चावन को लंबित किया जाए। इसलिए एक संवैधानिक संस्थान निर्वाचन आयोग को प्रदेश की कैबिनेट की आड़ में दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से निर्वाचन आयोग, शहरी विकास विभाग एवं मुख्य सचिव के बीच पत्राचार चल रहा है जिसमें निर्वाचन आयोग सरकार को आरक्षण रोस्टर देने की बात कर रहा है और सरकार आरक्षण रोस्टर को स्थगित करने की बात कर रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई 2025 को मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने स्पष्ट कर दिया की राज्य शहरी विकास मंत्रालय के पास ऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जिससे वह आगामी शहरी विकास संस्थानों जैसे नगर निगम, नगर इकाईयों के रोस्टर के लक्षण एवं चुनाव के बारे में बात करें। राज्य निर्वाचन आयोग ने क्लोज जी आर्टिकल 243 पी भारतीय संविधान एवं क्षेत्र 2(31) और क्षेत्र 2(38) हिमाचल प्रदेश नगर निगम एक्ट 1994 का जिक्र भी किया। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट भी कर दिया है कि अगर राज्य सरकार कह रही है कि अभी तक सेंसस नहीं हुआ तो 2011 के सेंसेक्स पर चुनाव कर दीजिए और यह निर्देश भी जारी किया है की शहरी विकास मंत्रालय द्वारा किसी भी प्रकार की चिट्ठी को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए।

 

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है जब 11 जुलाई 2025 के पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी चीज प्रत्येक जिला उपयुक्त को स्पष्ट कर दी उसके उपरांत 15 जुलाई 2025 तक रोस्टर जारी करने को कहा पर 22 जुलाई 2025 को शहरी विकास विभाग द्वारा सचिन निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखा जाता है जिसमें वह कहते हैं इस रोस्टर के बारे में हम 24 जुलाई 2025 को होने वाली कैबिनेट में निर्णय लेंगे। क्योंकि रोस्टर और चुनाव का निर्णय तो राज्य मंत्री मंडल का कार्य क्षेत्र है, यह हिमाचल प्रदेश सरकार की मंशा को स्पष्ट करता है की किस प्रकार से राज्य मंत्रिमंडल एक संवैधानिक संस्था को कुचलना का प्रयास कर रहा है।

आपदा प्रभावितों के लिए अविलंब विशेष राहत पैकेज जारी करे सरकार : जयराम ठाकुर

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला । शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपख जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में आपदा आए हुए 24 दिन बीत गया है और सरकार की तरफ़ से विशेष राहत पैकेज की घोषणा नहीं हुई है। इतने दिनों के बाद भी सरकार की तरफ़ से विशेष राहत पैकेज की घोषणा न करना हैरान करने वाला है। आपदा के पीड़ित लोग इंतज़ार कर रहे हैं कि सरकार विशेष पैकेज की घोषणा कब करेगी? मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि आपदा प्रभावित लोगों के लिए अविलंब विशेष राहत पैकेज जारी करें। इसके अलावा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य में ही अपेक्षित तेजी नहीं लाई जा सकी है। सड़के बंद हैं। सेब का सीजन शुरू हो गया है। आपदा से जो भी कृषि बागवानी और फूलों की खेती बच गई है वह भी सड़कें न होने के कारण बाज़ार नहीं पहुँचने से नष्ट हो रही है। इससे आपदा का दंश झेल रहे लोग दोहरे नुकसान का सामना कर रहे हैं।

 

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा को आए एक महीना होने वाला है लेकिन सरकार की तरफ से आपदा प्रभावितों के जख़्मों पर मरहम लगाने की दिशा में कोई प्रभावी कार्य नहीं हुआ है। लोग थक हार कर अपने संसाधनों से जेसीबी और पोक लैंड मशीनें लगाकर रास्ते खुलवाने में लगे हैं। हमने लोगों से अपील करके लोगों से मशीनें लगवाई हैं, जो अपने खर्चे पर या तेल के खर्चे पर मशीनें लगाकर रास्ता खोल रहे हैं। इस समय ऐसी 2 दर्जन से ज़्यादा मशीनें संपर्क मार्ग खोलने के लिए लगाई गई हैं, जिससे ग्रामीण रास्ते बहाल किए जा सकें। मेरा सरकार और लोक निर्माण विभाग से आग्रह है कि रास्ते खोलने के काम में और तेजी लाए।

 

 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस आपदा से बहुत नुकसान हुआ है। तीन हफ्ते से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी बहुत सी जगहों पर अभी बिजली की सुविधा बहाल नहीं हुई है। पानी और सड़क की जितनी भी सुविधाएं अभी तक बहाल हुई हैं सब के सब अस्थाई हैं। इन्हें जल्दी से जल्दी पूर्णतया बहाल करना है। इसके लिए प्रभावी योजना बनानी होगी। पीडब्ल्यूडी और जलशक्ति विभाग की जिन योजनाओं को नुकसान पहुंचा है, सरकार उनके भी डीपीआर जल्दी से जल्दी बनवाए, जिससे नुकसान की भरपाई के लिए उन डीपीआर को केंद्र सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सके।

जलवायु संकट की मार अब आपकी थाली पर

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आदर्श हिमाचल की विशेष रिपोर्ट । भारत समेत दुनिया भर में खाने-पीने की चीज़ें हुईं महंगी, नई रिपोर्ट ने खोली पोल । अगर आपने हाल के महीनों में सब्ज़ियों, प्याज़, आलू या चाय-कॉफ़ी की कीमतों में अजीब उछाल देखा है, तो यह केवल मंडी की मांग और आपूर्ति का मामला नहीं है। एक नई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च के मुताबिक, भारत समेत दुनियाभर के 18 देशों में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की चरम घटनाओं ने खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी की है।

 

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 से 2024 के बीच दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सूखा, हीटवेव और अत्यधिक वर्षा जैसी घटनाओं ने फसलों को बर्बाद किया, जिससे खाद्य सामग्री के दाम बढ़े। यह अध्ययन Barcelona Supercomputing Centre ने वैज्ञानिक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ की अगुवाई में किया है, जिसमें भारत, अमेरिका, यूके, इथियोपिया, ब्राज़ील, स्पेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के आंकड़े शामिल हैं।

भारत में क्या हुआ?

रिपोर्ट के अनुसार भारत में मई 2024 की हीटवेव के बाद प्याज़ और आलू की कीमतों में 80% तक उछाल आया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह हीटवेव सामान्य से कम से कम 1.5°C अधिक गर्म थी और इसे “largely unique event” यानी एक असामान्य और गंभीर घटना माना गया है। भारत जैसे देश में, जहां प्याज़ और आलू रोज़मर्रा की थाली के आधार हैं, इस तरह की बढ़ोतरी आम लोगों की रसोई पर सीधा असर डालती है।

अन्य देशों में क्या हुआ?

यह सिर्फ भारत की कहानी नहीं है — नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं जहां जलवायु चरम घटनाओं ने खाद्य कीमतों को प्रभावित किया:

  • यूके: जनवरी से फरवरी 2024 के बीच आलू की कीमतें 22% बढ़ीं। इसकी वजह थी सर्दियों में हुई ज़बरदस्त बारिश, जिसे वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ा बताया — यह बारिश 20% ज़्यादा और 10 गुना ज़्यादा संभावित थी जलवायु परिवर्तन के कारण।
  • अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया और एरिज़ोना): 2022 की गर्मियों में सूखे और पानी की भारी किल्लत के चलते सब्ज़ियों की कीमतों में नवंबर 2022 में 80% की बढ़ोतरी हुई।
  • इथियोपिया: मार्च 2023 में खाद्य वस्तुओं के दाम 40% अधिक थे, 2022 के ऐतिहासिक सूखे के बाद — यह सूखा 40 वर्षों में सबसे भयानक था और जलवायु परिवर्तन ने इसे “करीब 100 गुना ज़्यादा संभावित” बना दिया।
  • स्पेन और इटली: 2022-2023 के सूखे के बाद, जैतून के तेल की कीमतें EU में 50% तक बढ़ गईं। स्पेन दुनिया का सबसे बड़ा जैतून तेल उत्पादक है।
  • आइवरी कोस्ट और घाना: 2024 की शुरुआत में हीटवेव के बाद कोको की वैश्विक कीमतें 280% तक बढ़ गईं। इन दो देशों से दुनिया का 60% कोको आता है, जिससे चॉकलेट बनती है।
  • ब्राज़ील और वियतनाम: 2023 में ब्राज़ील में पड़े सूखे और वियतनाम में 2024 में रिकॉर्ड हीटवेव के चलते कॉफी की कीमतें क्रमशः 55% और 100% तक बढ़ीं।
  • जापान: अगस्त 2024 की हीटवेव के बाद चावल की कीमतें 48% बढ़ीं — यह देश का अब तक का सबसे गर्म गर्मी का मौसम रहा।
  • दक्षिण कोरिया: अगस्त 2024 की गर्मी के बाद गोभी की कीमतें 70% तक बढ़ गईं। यह अब तक का सबसे गर्म रिकॉर्डेड गर्मी का मौसम था।
  • पाकिस्तान: अगस्त 2022 की बाढ़ के बाद ग्रामीण इलाकों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 50% की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान मानसून की बारिश औसत से 547% अधिक हुई थी।
  • ऑस्ट्रेलिया: 2022 में बाढ़ के बाद लेट्यूस की कीमतें 300% तक बढ़ गईं — देश के इतिहास की सबसे बड़ी बाढ़ बीमा दावे वाली घटना।

गरीबों पर सबसे बड़ा असर

Food Foundation के मुताबिक, दुनिया भर में पोषण से भरपूर खाना कम पौष्टिक खाने के मुकाबले प्रति कैलोरी दोगुना महंगा है। ऐसे में जब महंगाई बढ़ती है, तो कम-आय वाले परिवार फल-सब्ज़ी छोड़कर सस्ता, लेकिन पोषणहीन खाना अपनाने लगते हैं। इससे बच्चों में कुपोषण और बड़ों में दिल की बीमारियों, डायबिटीज़ और कैंसर जैसे खतरे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट यह भी कहती है कि खाद्य असुरक्षा और खराब डाइट का मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है।

भारत और दक्षिण एशिया के लिए सबक

भारत जैसे देश में जहां आबादी का बड़ा हिस्सा पहले से ही पोषण की कमी और स्वास्थ्य असमानताओं से जूझ रहा है, खाद्य कीमतों में ऐसी उथल-पुथल का मतलब है दोहरी मार — एक तरफ जलवायु संकट और दूसरी तरफ स्वास्थ्य संकट।

यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब 27 जुलाई को होने वाले UN Food Systems Summit में दुनिया के नेता खाद्य प्रणाली की चुनौतियों पर चर्चा करने वाले हैं। यह बैठक इथियोपिया और इटली की मेज़बानी में हो रही है — दो देश जो खुद इस अध्ययन में प्रभावित देशों में शामिल हैं।

आगे क्या?

रिपोर्ट के लीड लेखक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ ने चेताया:

“जब तक हम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पूरी तरह बंद नहीं करते, ये चरम मौसम और बढ़ेंगे। और इनका असर सीधे आपकी थाली पर पड़ेगा।”

यह एक चेतावनी है, लेकिन साथ ही एक स्पष्ट संकेत भी — जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ भविष्य की चिंता नहीं है, यह आपके आज की रसोई का संकट बन चुका है।

अब सवाल यह है कि हम इस सच्चाई को कब स्वीकार करेंगे — और कब कार्रवाई करेंगे? क्योंकि अगर मौसम ही खेती नहीं चलने दे रहा, तो थाली भरने की जंग अब और कठिन होने वाली है।

Climateकहानी

 

मुख्यमंत्री ने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता की मांग की

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

कांगडा । केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को शिमला-धर्मशाला-शिमला के लिए फिर से नियमित हवाई संचालन शुरू करने के लिए पत्र लिखा

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से हिमाचल प्रदेश में हवाई सेवा से संबंधित विभिन्न मामलों पर शीघ्रता से कार्य करने का आग्रह किया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय मंत्री से विभिन्न मामलों पर चर्चा की थी।

 

पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया है कि कांगड़ा हवाई अड्डे के प्रस्तावित विस्तार के लिए राज्य सरकार लगभग 150 हैक्टयेर भूमि अधिगृहित करेगी और सरकार ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत 1900 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का प्रावधान किया गया है तथा 410 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक वर्ष की वैधानिक अवधि इस वर्ष अगस्त में समाप्त हो रही है। उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को इस परियोजना को विशेष आर्थिक सहायता के लिए वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को अनुशंसित करने का अनुरोध किया है।

 

 

मुख्यमंत्री ने अवगत करवाया कि मैसर्ज वैपकोर्स लिमिटेड द्वारा तैयार टैक्नो इकोनोमिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट की समीक्षा भी भारतीय विमान पतन द्वारा की जानी चाहिए क्योंकि इसमें वास्तविक लागत का आकलन अधिक है। उन्होंने हवाई अड्डे के विस्तार के संबंध में एएआई, हिमाचल प्रदेश सरकार और निजी भागीदारी से त्रिपक्षीय समझौते की संभावना तलाशने का भी अनुरोध किया। वर्तमान में कांगड़ा हवाई अड्डे का संचालन विजुअल फ्लाइट रूल्स (वीएफआर) के तहत होता है जिसके लिए उड़ान संचालन के लिए न्यूनतम दृश्यता पांच किलोमीटर होनी चाहिए। उन्होंने कम दृश्यता की स्थिति में हवाई उड़ानों का सुरक्षित संचालन करने के लिए न्यूनतम दृश्यता मापदंड को वर्तमान पांच किलोमीटर से घटाकर 2.5 किलोमीटर करने के लिए विशेष वीएफआर का प्रावधान करने का आग्रह किया।

 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा एयरपोर्ट हिमाचल का सबसे बड़ा और व्यस्त हवाई अड्डा है इसलिए यहां नाईट लेंडिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कुल्लू और शिमला एयरपोर्ट की सुरक्षा, कांगड़ा एयरपोर्ट की तर्ज पर करवाने के लिए सीआईएसएफ के स्थान पर हिमाचल प्रदेश राज्य पुलिस की तैनाती की भी मांग की। उन्होंने शिमला एयरपोर्ट पर उड़ानों के संचालन का समय दोपहर एक बजे से बढ़ाकर सायं 4 बजे तक करने का आग्रह किया ताकि उड़ानों के संचालन के लिए अधिक से अधिक समय मिल सके।

 

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शिमला एयरपोर्ट पर दूसरा एप्रेन बनाने का आग्रह किया, जो एटीआर 42/600 प्रकार के विमानों को संचालित करने के लिए उपयुक्त होगा। इससे शिमला एयरपोर्ट से उड़ानों की संख्या बढ़ाने और मल्टीपल फ्लाईट्स के संचालन में मदद मिलेगी। उन्होंने शिमला-धर्मशाला-शिमला मार्ग पर एलायंस एयर लिमिटेड की दैनिक उड़ानों को फिर से आरम्भ करने की मांग की।

 

मुख्यमंत्री ने संजौली, रामपुर, बद्दी और कंगनीधार हैलीपोर्ट को अक्तूबर, 2025 तक संचालित करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आरसीएस-उड़ान योजना चरण-2 के अंतर्गत राज्य में चार नए हैलीपोर्ट को स्वीकृति दी जाएगी, जिनमें हमीरपुर जिला के जसकोट, कांगड़ा के देहरा, ऊना और बिलासपुर जिला में एक-एक हैलीपोर्ट शामिल है। उन्होंने कहा कि मैसर्ज हैरीटेज एवीएशन, मैसर्ज ग्लोबल वेक्टरा और मैसर्ज पवन हंस लिमिटेड जैसे एयर ऑपरेटरों को राज्य में आरसीएस-उड़ान योजना के अंतर्गत हवाई सेवाएं शुरू करने के निर्देश दिए जाएंगे।
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कोयला हुआ पुराना, अब रिन्यूएबल ही सस्ता

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आदर्श हिमाचल की विशेष रिपोर्ट

दुनिया भर में 91% नई सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं कोयले-गैस से सस्ती पड़ीं। लेकिन सवाल अब भी बड़ा है: क्या सस्ती बिजली हर किसी तक पहुँच रही है?

जरा सोचिए, अगर आपको बताया जाए कि बिजली बनाने का सबसे सस्ता तरीका अब न कोयला है, न गैस, बल्कि सूरज और हवा हैं—तो क्या आप भरोसा करेंगे?

IRENA (इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी) की ताज़ा रिपोर्ट यही कहती है। 2024 में दुनिया भर में जितनी भी नई बिजली परियोजनाएं शुरू हुईं, उनमें से 91% रिन्यूएबल एनर्जी की थीं—और ये सब कोयला और गैस से सस्ती साबित हुईं।

सस्ती, साफ़ और सुरक्षित – रिन्यूएबल एनर्जी की तिकड़ी

इस रिपोर्ट के अनुसार:

  • सोलर पैनल्स से बनने वाली बिजली की लागत, सबसे सस्ते कोयले या गैस से भी औसतन 41% कम थी।
  • ज़मीन पर लगने वाली पवन टर्बाइनों (ऑनशोर विंड) से बनने वाली बिजली तो 53% तक सस्ती थी।
  • 2024 में अकेले रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े 582 गीगावॉट के नए प्रोजेक्ट लगे, जिससे दुनिया ने लगभग 57 अरब डॉलर का कोयला-तेल जलाने से बचा लिया।

यानी साफ़ हवा, कम प्रदूषण और पैसे की भी बचत—एक साथ।

लेकिन ये सफर उतना सीधा नहीं है…

सस्ती पड़ रही रिन्यूएबल एनर्जी के बावजूद, इसे ज़मीन पर लाना और हर किसी तक पहुंचाना अब भी टेढ़ी खीर है।

IRENA की रिपोर्ट साफ़ कहती है कि:

  • परमिट मिलने में देरी,
  • ग्रिड से जोड़ने में तकनीकी दिक्कतें,
  • और फाइनेंसिंग की ऊँची लागत,
    कई देशों – खासकर भारत जैसे उभरते बाज़ारों में – रिन्यूएबल की रफ्तार को थामे हुए हैं।

Global South के लिए ये सस्ता सपना अभी भी महँगा क्यों है?

रिपोर्ट में एक दिलचस्प तुलना की गई – यूरोप और अफ्रीका की।

दोनों ही जगह 2024 में ऑनशोर विंड प्रोजेक्ट्स की लागत लगभग बराबर थी (0.052 डॉलर प्रति यूनिट), लेकिन कारण अलग थे:

  • यूरोप में ज़्यादा खर्च मशीन और सेटअप पर हुआ,
  • जबकि अफ्रीका में ब्याज और फाइनेंसिंग की लागत ज़्यादा थी – क्योंकि निवेशकों को वहाँ रिस्क ज़्यादा लगता है।

IRENA ने बताया कि यूरोप में पूंजी लागत 3.8% थी, वहीं अफ्रीका में 12% तक पहुँची। ये फर्क दिखाता है कि भले ही सूरज सब पर बराबर चमकता हो, लेकिन सोलर प्लांट सबके लिए बराबर सस्ता नहीं है।

तकनीक भी दे रही है साथ, लेकिन सिस्टम पीछे छूट रहा है

2010 से अब तक बड़ी बैटरियों की लागत 93% तक गिर चुकी है।
अब सोलर-विंड प्लांट्स के साथ बैटरियां और AI-आधारित डिजिटल सिस्टम जोड़े जा रहे हैं, ताकि बिजली का उत्पादन स्मार्ट, लचीला और टिकाऊ बन सके।

लेकिन अफसोस ये है कि ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश अभी भी धीमा है, खासकर उन देशों में जहाँ इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

गुटेरेस और IRENA की सीधी बात

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा
“रिन्यूएबल सिर्फ सही नहीं, समझदारी भरा निवेश है। अब वक्त है कि देश इनकी राह की रुकावटें हटाएं और निवेश को बढ़ावा दें।”

IRENA के प्रमुख फ्रांसेस्को ला कैमेरा ने चेतावनी दी
“अगर हमने अभी नीतियों को मज़बूत नहीं किया, फाइनेंसिंग आसान नहीं बनाई, तो ये प्रगति धीमी हो सकती है।”

निचोड़ की बात:

साफ़ बिजली अब सिर्फ एक सपना नहीं रही—ये हकीकत है। लेकिन क्या ये हकीकत सब तक पहुँच रही है?
क्या जो लोग हर महीने बिजली के बिल से जूझते हैं, उन्हें इसका फायदा मिल रहा है?
क्या गाँवों, कस्बों और छोटे शहरों में भी सूरज और हवा से सस्ती बिजली पहुँच पा रही है?

जब तक हम इन सवालों पर काम नहीं करते, तब तक “सस्ती बिजली” का ये दावा अधूरा है।

रिन्यूएबल की कहानी, सिर्फ तकनीक की नहीं, नीति, निवेश और न्याय की भी है।

 

  

   
Shoolini University

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