आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार लग रहा है कि पिछले 3 सालों से प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है। सरकार पर अफसरशाही इस कद्र हावी हो चुकी है जिससे यही लग रहा है कि सरकार को अफसरशाही अपनी अंगुलियों पर नचा रही है और उनके इशारों पर जमकर घूम रही है।
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राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार किसान-बागबान विरोधी होने के साथ जन विरोधी फैसले में अपनी ऊर्जा गंवा रही है। युवा विरोधी होने की मंशा इनकी उसी बात से साबित हो गई है कि बीते 3 साल में सरकार ने बेरोजगारों के लिए कोई स्पष्ट नीति ही नहीं बनाई है और अब कोविड संकटकाल में बाहरी राज्यों से नौकरी गंवाकर आए लोगों के लिए कोई प्लान तैयार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने हर वर्ग का खून चूसने का काम किया है।
चुने हुए प्रतिनिधियों की संस्था को कमजोर कर दिया है। विधायक निधि को खत्म कर छोटे से छोटे काम भी बंद हो गए हैं और अब एक कदम आगे बढ़ते हुए सरकार ने गरीब लोगों की मदद के लिए विधायकों को मिलने वाली एच्छिक निधि को बंद कर गरीब विरोधी होने का सबूत भी दे दिया है। उन्होंने कहा कि इन सब आमजन विरोधी निर्णयों के पीछे कोरोना महामारी का बहाना बनाकर सरकार पल्लू झाड़ रही है। विधायकों की एच्छिक निधि बंद करने से गरीब होने का तमगा अपने माथे पर लगाने वाली यह पहली कमजोर व निकम्मी सरकार भी प्रदेश के इतिहास में बन गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार इस वायदे के साथ सत्ता में आई थी कि केंद्र की मोदी सरकार के साथ के साथ मिलकर डबल इंजन की गति से कार्य होंगे लेकिन अब उस इंजन का इस्तेमाल न करने से उसमें भी जंग लग गया है। उन्होंने कहा कि छलावे व भुलावे की इस सरकार में कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कि राहत सांस ले रहा हो। अफसरशाही ही फैसले लेती है और सरकार उनकी हां में हां मिलाती है। अगर जनता में किसी जनविरोधी फैसले का विरोध हो तो सरकार जागकर दूसरे दिन उन निर्णयों को पलटकर जगहंसाई करवाने से भी पीछे नहीं हटती।