आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के एक बयान ने सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विवाद सुलझाने के लिए विभाग ने बागवानों को मिलने के लिए बुलाया है। सरकार ने सेब उत्पादों की समस्याओं और मांगों को सुनने के लिए 14 फरवरी को शिमला में एक बैठक बुलाई है।
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा था कि बागवानों को रेट तय करने का हक नहीं दे सकते, लेकिन उचित दाम दिलाने की कोशिश की जाएगी। मंत्री के इस बयान के बाद सरकार विपक्ष और सेब उत्पादकों के निशाने पर आ गई। कांग्रेस ने गारंटी दी है कि बागवान फलों की कीमत तय करेंगे, लेकिन मंत्री इस वादे से मुकर रहे हैं।
सभी उप निदेशकों को पत्र जारी किया गया
बागवानी विभाग के निदेशक ने सभी उप निदेशकों को पत्र जारी करके सेब उत्पादक संघ के प्रतिनिधियों को बैठक में भाग लेने के लिए कहा है। यह बैठक बागवानी सचिव की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी। बैठक में सभी सेब उत्पादक संघों के प्रतिनिधियों को ईमेल के जरिए 13 फरवरी तक सूचित करने के लिए कहा है।
यह है बागवानों की मुख्य मांगें
किसानों-बागवानों की ऐसी कई समस्याएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की मांग वे सरकार कर रहे हैं। इसमें जो मुख्य मांग है, उसमें कार्टन पर GST समाप्त करना है। हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि ट्रे की कीमत में की गई भारी बढ़ोतरी को वापस लिए जाने की मांग सरकार के सामने रखेंगे ।
कश्मीर की तर्ज पर MIS योजना को पूरी तरह से लागू किए जाने और सेब के लिए MIS के तहत A,B,C ग्रेड के सेबों के लिए 40 से लेकर 24 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य तय करने की मांग की जाएगी। हिमफैड और HPMC द्वारा पिछले कई सालों से बागवानों से जो सेब खरीदे गए हैं, उनका बकाया भुगतान जल्द करने और हिमाचल में बागवानी बोर्ड का गठन करने की मांग को उठाया जाएगा।
प्रदेश में भारी ओलावृष्टि बारिश और बर्फबारी, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों बागवानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सरकार से उचित मुआवजा देने की मांग को भी उठाया जाएगा। ऐसी कई और मांगें हैं, जिन्हें 14 फरवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में रखा जाएगा।
हरीश चौहान ने उम्मीद जताते हुए कहा कि सरकार के साथ होने वाली इस पहली बैठक से उन्हें काफ़ी उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को मानेगी। हरीश चौहान ने खेद जताते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने की मांग की थी, ताकि वह सीधे अपनी समस्याओं और मांगों को उनके समक्ष रख सकें, लेकिन इस बैठक में न तो मंत्री हैं और न ही मुख्यमंत्री।