आम आदमी पार्टी ने प्रदेश सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल, स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे आप प्रवक्ता मनीष

पौंटा साहिब: हिमाचल के आप प्रवक्ता मनीष ठाकुर ने शनिवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रामपुर घाट का निरीक्षण किया। जहां सिर्फ चार कमरों में 7 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के नाम पर भाजपा सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। इतना ही नहीं तीन कक्षाओं के बच्चों को खुले आसमान के नीचे तपती धूप में पढ़ाया जा रहा है। इससे पहले आप प्रवक्ता गौरव शर्मा ने राजधानी शिमला में एक जर्जर भवन में चल रहे सरकारी स्कूल की पोल खोली थी।

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आम आदमी पार्टी से हिमाचल के प्रवक्ता मनीष ठाकुर ने शनिवार को पौंटा साहब के रामपुर घाट स्कूल की दयनीय हालत का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि आज मैंने अपने साथियों के साथ राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रामपुर घाट का निरीक्षण किया तो पाया कि वहां 6ठी से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चों को सिर्फ चार कमरों में पढ़ाया जा रहा है। कुछ कक्षाएं तो तपती धूप में चल रही थीं। प्रदेश की भाजपा सरकार और शिक्षा मंत्री अपना श्रेय लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिस स्कूल को तीन साल पहले अपग्रेड कर सीनियर सेकेंडरी स्कूल बनाया गया है, वहां मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। पीने के लिए साफ पानी मिलना तो दूर की बात है, उन्हें स्वच्छ शौचालय तक की सुविधा नहीं मिल रही है। प्राइमरी स्कूल पहुंचा तो वहां 350 से अधिक बच्चे मौजूद थे लेकिन बैठने के लिए एक भी कमरा उपलब्ध नहीं है।

भाजपा सरकार की अनाप शनाप बयानबाजी पर मनीष ठाकुर ने कहा कि हिमाचल शिक्षा मॉडल की सच्चाई अब जनता के सामने आ गई है तो सीएम जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर पास कहने लिए कुछ नहीं बचा है। वहीं दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दी जा रहीं सुविधाओं से प्रभावित होकर दिल्ली के निजी स्कूलों के 4 लाख बच्चे दिल्ली सरकार के स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं। वहीं 2 लाख बच्चे हिमाचल के सरकारी स्कूलों से निकलकर निजी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं।

मनीष ठाकुर ने कहा कि आम आदमी पार्टी प्रदेश के शिक्षा मंत्री को बताना चाहती है कि सिर्फ मीडिया में बयान देने से स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं हो जाती है। इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना पड़ता है। अगर जयराम सरकार ने अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में काम किया होता तो आज झूठ बोलने की नौबत न आती।