कांगड़ा : बीते कुछ सप्ताह पहले ही हिमाचल को बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता पर राष्ट्रीय रैंकिंग में श्रेष्ठ आंका गया था. रैंकिंग को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी किया गया. जिसमें हिमाचल प्रदेश समेत अन्य 4 राज्य भी बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता पर राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष पर थे. लेकिन कांगड़ा के ज्वाली की भाली पंचायत की यह ख़बर निश्चित तौर पर इस रैंकिंग पर सवाल खड़े कर रही है.
कांगड़ा के ज्वाली की भाली पंचायत के 70 साल की उम्र के एक बुजुर्ग को मजदूरी कर अपना गुज़र बसर करना पड़ रहा है. यह 70 वर्षीय बुजुर्ग का नाम नंद लाल है जिनकी घर के हालात इतने बद से बद्तर है. नंद लाला की 65 वर्षीय पत्नी भी दिहाड़ी मजदुर हैं. इस बुजुर्ग दंपत्ति का एक बेटा भी है लेकिन मानसिक रूप से दिव्यांग होने के कारण इन बुजुर्गों पर उसकी देखभाल करने का भी जिम्मा है. माकन भी जर-जर हालत में है जो कभी भी गिर सकता है. ऐसे में इन बुजुर्गों की दयनीय स्थिति है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने बुजुर्गों की आबादी के मद्देनजर राज्यों की तैयारी के निर्धारण को लेकर प्रतिस्पर्धात्मक संस्थान द्वारा सूचकांक बनाया गया था, ऐसे में नंद लाल की स्थिति को देखकर ये सवाल उठते हैं कि क्या वास्तव में धरातल पर बुजुर्गों के लिए सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच रही.
नंद लाल बताते हैं कि हाल ही में उनके घर समाजसेवी केडी राणा पहुंचे थे. इसके बाद ही 70 साल के बुजुर्ग की हालत उजागर हुई. हैरान कर देने वाली बात है कि नंद लाल के परिवार को आजतक बीपीएल का दर्जा भी प्राप्त न हो सका है, ना ही परिवार के पास निजी शौचालय है. ताज्जुब की बात ये है की बुजुर्ग के घर से महज 200 मीटर की दूरी पर पंचायत के प्रधान व उप प्रधान का घर भी है. ऐसे में केडी राणा द्वारा उजागर की गई बुजुर्गों की ये स्थिति प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता पर राष्ट्रीय रैंकिंग पर सवाल खड़े करता है.