फीचर: जायका के सहयोग से प्रदेश में बढ़ाया जा रहा हरित आवरण

CM SUKHVINDER SINGH SUKHU
CM SUKHVINDER SINGH SUKHU

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। वनों से आच्छादित देवभूमि हिमाचल के पहाड़ जहां एक ओर प्रदेश के नैसर्गिक सौन्दर्य को निखारने में अहम भूमिका निभाते हैं वहीं दूसरी ओर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। राज्य के इसी नैसर्गिक सौन्दर्य को संजोए रखने और हरित आवरण को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने हरित आवरण को वर्ष 2023 तक 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

 

इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जापान इंटरनेशनल कॉपोरेशन एजेंसी (जायका) के सहयोग से राज्य के मनोहारी परिदृश्यों को और अधिक विकसित करने पर कार्य कर रही है।

 

 

राज्य के सात जिलों में कार्यान्वित जायका द्वारा वित्त पोषित वानिकी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाएं क्षेत्र की हरियाली को बढ़ाने में सहायक रही हैं। उन्नत तकनीकों और तकनीकी हस्तक्षेपों का उपयोग करते हुए पिछले दो वर्षों में 4600 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर नियोजित वृक्षारोपण किया गया है। इसके अलावा परियोजना नर्सरी विकसित करने और रोपण स्टॉक की गुणवत्ता बढ़ाने पर बल देती है, जिसका लक्ष्य सामुदायिक और वानिकी के उपयोग के लिए विभिन्न लाभकारी प्रजातियों के 60 लाख से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार करना है।

 

संयुक्त वन प्रबंधन पहल को मजबूत करते हुए और सामूहिक प्रयास का उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सात जिलों में 460 ग्राम वन विकास समितियां और 900 से अधिक स्वयं सहायता समूह स्थापित किए गए हैं। यह परियोजना वनों पर निर्भर समुदायों और फील्ड स्टाफ के कौशल संवर्धन और क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता देती है। आजीविका गतिविधियों और वन पुनर्जनन में प्रशिक्षित 15000 से अधिक व्यक्तियों के साथ, यह परियोजना जलवायु परिवर्तन और संबंधित आपदाओं से उत्पन्न जोखिमों को कम करती है।

 

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हिमाचल प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में वनों का बहुत महत्त्व है। स्थानीय लोग अपनी आजीविका के लिए वन संसाधनों पर निर्भर करते हैं। जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक चिंताओं और पर्यावरण अनुकूल समाधानों की खोज तथा राज्य की वन संपदा को संरक्षित और समृद्ध करने की तात्कालिकता को पहचानते हुए जायका के साथ सहयोग नवल किरण बनकर उभरा है।

 

जायका वर्ष 1991 से भारत में वानिकी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं पर कार्य रहा है। जायका ने प्रदेश में भू-आवरण को बढ़ाकर और वन क्षेत्रों को संरक्षित करके सतत् विकास को प्राथमिकता प्रदान की है। जायका परियोजना राज्य में जापान की सर्वोत्तम वानिकी प्रणाली को लागू करने, वन विभागों के भीतर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को पेश करने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।

 

हिमाचल को हरित राज्य बनाना वर्तमान राज्य सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य है। प्रदेश सरकार हरित और सतत् विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है। जायका के साथ सहयोग निःसंदेह बड़े बदलावों की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है जो यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में भी हिमाचल प्रदेश की पहचान विश्वभर में नैसर्गिक सौन्दर्य के लिए अद्वितीय बनी रहे।