चार सरकारी स्कूलों ने बनाए कलस्टर, अध्यापक हर रोज घर घर जाकर बच्चों से करवा रहे पढ़ाई

दीवान राजा

 

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आनी/कुल्लू। कोविड 19 महामारी के दौरान जहां छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है..अभिभावक बच्चों की पढ़ाई के लेकर परेशान हैं, वहीं दलाश क्षेत्र के चार सरकारी स्कूलों दलाश, ग्राहणा, शगोगी और सोईधार के अध्यापकों ने इस समस्या से निपटने के लिए अनूठी पहल शुरु की है। सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए और अध्यापकों ने नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए महामारी की इस चुनौती के बीच कलस्टर बनाकर घर घर जाकर छात्रों को पढ़ाई को जारी रखा है। करीब दो सप्ताह से कलस्टर बनाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। अध्यापकों के आपसी समन्वय, ऑनलाइन एक दूसरे से सामंजस्य बिठाकर छात्रों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। तमाम सरकारी दिशा निर्देश की अनुपालना करते हुए, सामजिक दूरी बनाकर तथा मॉस्क पहनकर छात्रों का मार्गदर्शन अध्यापक कर रहे हैं।

   कलस्टर के तहत स्थानीय अध्यापक जिस गांव के निवासी है….उस गांव के छात्रों और इसके साथ साथ लगते गांव के छात्रों का होम वर्क देखने, ऑनलाइन सामग्री ढूंढने में सहायता करने, छात्रों और अभिभावकों को दिशा निर्देश देने, छात्रों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए टिप्स देना जैसे कार्य कर रहे हैं। एक दिन में एक या दो कलस्टर के अध्यापक घर घर जाकर इस मुहिम को सिरे चढ़ा रहे हैं। पूरे सप्ताह विभिन्न कलस्टर के अध्यापक तय तिथि और निर्धारित दिन के हिसाब से यह कार्य अंजाम तक पहुंचा रहे हैं। सभी कलस्टर सोमवार से लेकर रविवार तक यह कार्य कर रहे हैं।
     किसी कलस्टर में आने वाले गांव में दो या तीन अलग अलग स्कूलों के छात्र हैं तो सभी छात्रों की पढ़ाई और मॉनीटरिंग का जिम्मा क्लस्टर के तहत आने वाले अध्यापक या अध्यापकों के हवाले है। यदि दलाश स्कूल के छात्र सोईधार, शगोगी या किसी अन्य कलस्टर में आ रहे हों तो उसी कलस्टर के अध्यापक द्वारा तमाम छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली गई है चाहे अध्यापक उक्त चार स्कूलों में से किसी भी स्कूल में तैनात क्यों न हो। संबंधित अध्यापक जो भी विषय पढ़ाता हो वह अन्य अध्यापकों के साथ समन्वय बनाकर होम वर्क और अन्य कार्य को चेक कर रहा है। यही नियम सभी कलस्टर के अध्यापकों के लिए बनाया गया है। अध्यापकों ने इस संबंध में 7 अगस्त को बैठक कर दिशा-निर्देश तय किए हैं। इसके पश्चात सभी अध्यापक अपने अपने कलस्टर में लगातार घर घर जाकर छात्रों की पढ़ाई जारी रखे हुए हैं।
     इस कार्य के लिए अध्यापकों का आपसी समन्वय भी काबिलेतारीफ है। अध्यापक वट्सएप के माध्यम से दिए गए होम वर्क को चेक कर रहे हैं या फिर संबंधित अध्यापक से फोन के माध्यम से संपर्क कर जानकारी साझा कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस सारे कार्य की मॉनीटरिंग भी की जा रही है। दलाश स्कूल के प्रधानाचार्य धर्मपाल और प्रवक्ता प्रेमजीत चौहान इस कार्य के लिए तैनात किए गए हैं।
आपसी समन्वय से बनाए गए कलस्टर के अनुसार कंडागई कलस्टर के कंडागई, अगरबाग, काथला, मरोढ़दड़, केलदड़ गांव के छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी डीएम महेंद्र सिंह, प्रवक्ता दिलीप वर्मा को दी गई है। इसी तरह रमोही कलस्टर के तहत रमोही, चलोली, मडेढ़, गूंगी, मशौग, चनोठी, पनेऊडा गांव के छात्रों के लिए ओटी निशा को तैनात किया गया है। शगौगी कलस्टर के तहत शगोगी, चौकी, होआ, चमारली, बड़ोगनाल, पेरी और ग्वालधार गांव के छात्रों के लिए टीजीटी गुरदयाल चौहान, एलटी लाल सिंह, ओटी प्रेमलता को नियुक्त किया गया है। दलाश कलस्टर के अंतर्गत दलाश, कुठेड़, गलोग, मराहणा, बुहणी, चेह्वा, टिपरी गांव के छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी टीजीटी पुष्पा देवी, प्रवक्ता देवेंद्र, एलटी भानू प्रकाश को दी गई है। रिवाड़ी कलस्टर के तहत आने वाले गांव रिवाड़ी, चपोहल, शाह्वी और रौं के छात्रों की पढ़ाई का जिम्मा टीजीटी उमा शंकर, कमलेश कुमार, रत्नेश शर्मा संभाल रहे हैं। सोईधार कलस्टर के सोईधार और गोहाण गांव के छात्रों के लिए ओटी हितेश शर्मा और डीएम शेषपाल को तैनात किया गया है। गंच्छवा कलस्टर के गंच्छवा, सलेथा, गाड, कसमेरी और पटरोगी गांव के छात्रों की पढ़ाई के लिए क्लर्क सुरेंद्र कुमार, प्रवक्ता सूरज कुमार और टीजीटी सुरेंद्र कुमार को तैनात किया गया है। टोगी ढैर कलस्टर के टोगी, ढैर, डढोहल, तदाशा, ग्राहणा गांव की पढ़ाई की जिम्मेदारी टीजीटी जय सिंह, पीईटी हीरा सिंह, डीएम राजेंद्र सिंह, टीजीटी सुरेंद्र कुमार कौ सौंपी गई है। सारली कलस्टर के सारली, गुतुधार, बधारी गांव के छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी टीजीटी राजपाल को दी गई है।
सोईधार गांव के अभिभावक मोतीराम, गंच्छवा गांव के अभिभावक बालकृष्ण और दलाश स्कूल एसएमसी के सदस्य सुरजीत सिंह चौहान, रिवाड़ी गांव के अभिभावक देवेंद्र शर्मा, तदाशा गांव के अभिभावक जयसिंह, कुठेड़ गांव के अभिभावक प्रकाश चंद ने अध्यापकों की इस मुहिम की सराहना की है। उनका कहना है कि सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई कारगर नहीं है। उन्होंने अध्यापकों ने घर घऱ जाकर, कलस्टर बनाकर छात्रों की पढ़ाई के लिए जो प्रतिबद्धता जताई है वो प्रशंसनीय है।