आदर्श हिमाचल ब्यूरो
पांवटा साहिब/ शिमला। हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी तथा मध्यम हाइट के क्षेत्रों में ओलावृष्टि से सेब तथा अन्य गुठली दार फसलों का 80% या इससे भी अधिक नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले इतिहास में अप्रैल के माह में इतनी अधिक बारिश ओलावृष्टि तथा बर्फबारी कभी रिकॉर्ड नहीं की गई मात्र शिमला क्षेत्र में सन् 1979 के बाद सबसे अधिक बारिश तथा ओलावृष्टि रिकॉर्ड की गई है। ये बात भारतीय किसान यूनियन हिमाचल (टिकैत) के राज्य प्रभारी एवं प्रवक्ता अनेंदर सिंह नॉटी ने कही।
उन्होंने कहा कि सेब के बगीचे और पौधे भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। नेट तथा सपोर्ट सिस्टम बहुत जगह टूट गए हैं। हिमाचल प्रदेश में सेब की आर्थिकी 5000 करोड रुपए से भी अधिक की है तथा सरकार भी यह मानती रही है कि पिछले वर्ष कोविड महामारी के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सेब की फसल ने बचाया था।
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भारतीय किसान यूनियन हिमाचल प्रदेश (टिकैत) प्रदेश सरकार से मांग करती है कि कम से कम 1000 करोड रुपए का आपदा राहत पैकेज केंद्र सरकार या प्रदेश सरकार अपने स्तर पर जल्दी से जल्दी किसानों के लिए मुहैया करवाएं।
सेब बागवान तथा प्रदेश के अन्य फसलें तथा फल पैदा करने वाले बागवान जिनका भी नुकसान हुआ है उनको इस वर्ष खेती की दवाइयां तथा खाद पर कम से कम 75% का उपदान दिया जाए।
इस वर्ष किसानों को खेती में उपयोग के लिए डीजल तथा पेट्रोल के फ्री कूपन जारी किए जाएं। ओलावृष्टि से बचाव के नेट जो बुरी तरह तहस-नहस हो चुके हैं वह 100% उपदान पर उपलब्ध करवाए जाएं। सरकार अगले दो दिनों में कैबिनेट की बैठक बुलाकर किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करें। नही तो पहले से ही इस देश में किसानों का भरोसा खो चुकी इस सरकार के खिलाफ स्थानीय स्तर पर भी आंदोलन शुरू किया जाएगा।