सोलन: हिमाचल प्रदेश इन दिनों आगामी विधानसभा उपचुनाव के वजह से राजनीतिक बहस-बाजी का खुला अखाड़ा बना हुआ है, जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच आए दिन तीखी नौक-झोंक देखने को मिल रहीं है. इसी क्रम में सोमवार यानि आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रतिपक्ष नेता मुकेश अग्नीहोत्री को नसीहत देते हुए कहा कि पंजाब की संस्कृत हिमाचल में नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि मेरे गृह जिला में ही मुझे गाली दे रहें है. उन्हें आगे उन्हें कटाक्ष भरे सब्दों में कहा कि उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र में ही सबक सिखाया जाएगा.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अर्की निर्वाचन क्षेत्र में दाड़लाघाट, सौर व दिग्गल में चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अर्की व फतेहपुर में भीतरघात की कोई सम्भावना नहीं है. सभी कार्यकर्ता अब पार्टी प्रत्याशी के लिए काम करने में लग गए हैं. मुख्यमंत्री को जुब्बल – कोटखाई में टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय नामांकन पत्र भरने वाले चेतन बरागटा से नामांकन पत्र वापिस लेने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि नामकांन वापिस लेने के लिए अभी वक्त है, इसलिए उम्मीद है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर सहानुभूति वोट मांग रही है. उन्हें कहा कि उन्हें भी सहानुभूति है लेकिन राजनीति इस पर नहीं चलती. उन्होंने अर्की में उनके द्वारा की गई घोषाण पर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का जबाव देते हुए कहा कि वह गांव के आदमी है, इसलिए जो कहते है वह करते भी है. यदि दाड़लाघाट में बी.डी.ओ. ऑफिस की घोषाणा की गई है तो वह पूरी होगी. यही नहीं सभी घोषणाओं को पूरा किया जाएगा.
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस में तो नेतृत्व की लड़ाई चली हुई है. प्रतिपक्ष के नेता ने तो गालियां देनी भी शुरू कर दी है. वह पंजाब के बॉर्डर के साथ रहते है, इसलिए पंजाब की यह संस्कृति हिमाचल में नहीं चलेगी कहे कर उन्होंने अग्निहोत्री को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि वह जब से मुख्यमंत्री बने है तब से परीक्षा के दौर से गुजर रहे है. उन्हें पौने चार वर्ष के कार्यकाल में चार चुनाव का सामना करना पड़ा है. पिछले तीन चुनाव की तरह चौथे चुनाव में भी भाजपा की ही जीत होगी.
कांग्रेस के प्रचारकों पर खड़े किए सवाल
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उपचुनाव के लिए कांग्रेस के प्रचारको पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कांग्रेस में अब कोई नेता नहीं है. यही कारण है कि कांग्रेस को अब दूसरे राज्यों से प्रचारक बनाने पड़ रहे है, जबकि भाजपा द्वारा प्रचारकों की सूची में सभी स्टार प्रचारक प्रदेश के ही है. कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर भी नेताओं का अभाव है, यही कारण है कि अब कन्हैया लाल व नवजोत सिंह सिद्धू को अपने दल में मिलाना पड़ा.
उन्होंने आगे कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने ही राहुल गांधी को सबसे पहले पप्पू की संज्ञा दी थी. उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. उनके कारण अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. अब सिद्धू ने ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे दिया. कांग्रेस ने जिस कन्हैया लाल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चला हुआ है. उसे प्रदेश में स्टार प्रचारक बनाकर भेज दिया है. कांग्रेस को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा.