आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल किसान सभा (HKS) कसुम्पटी इकाई ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादाखिलाफी के विरोध में और लखीमपुर हत्याकांड में संलिप्त दोषियों को सजा दिलाने तथा केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करने बारे में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा ।
हिमाचल किसान सभा ने कहा कि आज लखीमपुर खीरी में की गई किसनों की हत्या के दो साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने 380 दिनों तक चले किसान आन्दोलन के दबाव में जिन तीन कृषि कानूनों को छः शर्तों के साथ वापिस लिया था, उनमें से एक प्रमुख माग लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के दोषियों को सजा दिलाने की भी थी। लेकिन आज दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री एवं उनकी सरकार को अपना वादा याद नहीं है या भुला दिया है। आज देश भर के किसान अपने-अपने राज्यों की सरकारों के माध्यम से केन्द्र की सरकार को किसानों से किए गए वादे याद दिला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार को लिखे पत्र में अपने 6 लंबित मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। इसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र (सचिव/एएफडब्ल्यू/2021/एम.आई.एस./1) लिखा। इस पत्र में उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिया और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया था। सरकार के इस पत्र पर भरोसा करके संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमा पर लगे मोर्चा और तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर 2021 को उठा लेने का निर्णय किया था।
आज लगभग दो सालों के बाद भी केंद्र सरकार ने किसानों से किए गए वायदे पूरे नहीं किए हैं। हम आपसे एक बार पुनः अनुरोध करते हैं कि आप किसानों की लंबित मांगों को हल करने के लिए केन्द्र की सरकार से तुरंत ठोस कदम उठाने और किसानों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए निम्नलिखित मांगों को पूरा करने का आग्रह करें :-
1. (i) लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और हत्या के आरोपी मंत्री के बेटे को गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
(ii) लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दोष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।