“हिंदू, धर्म, संप्रदाय और मन” डॉ एम डी सिंह की ओर से लिखी गई ये सुंदर कविता, आप भी पढ़े 

आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला
तत्व जनित है प्रकृति
प्रकृति जनित है संपदा
संपदा जनित है संस्कृति
संस्कृति जनित है जीवन
जीवन जनित है संसर्ग
संसर्ग जनित है संस्कार
संस्कार जनित है सभ्यता
सभ्यता जनित है तंत्र
तंत्र जनित है राष्ट्र
राष्ट्र जनित है जन
प्रकृतिपिता आकाश है मां पृथ्वी
जल जीवन है वायु प्राण
ऊर्जा है सूर्याग्नि तपन
पितृतत्व गगन का प्रतिनिधित्व करते
हिंदूकुश पर्वत श्रेणी तले दबी
पृथ्वी पर उगी संपदा हिंदू है
संस्कृति हिंदू जीवन हिंदू
संसर्ग संस्कार सभ्यता हिंदू
तंत्र राष्ट्र जन हिंदू है
जन से जन्मा हिंदू है
प्रत्येक हमवतन
घूमता यत्र तत्र सर्वत्र
करता मनमानी
टिकता ना एक ठौर
धर्मी विधर्मी अधर्मी संप्रदाई
सनातनी बुद्धिस्ट जैनी कम्युनिस्ट
पारसी मुस्लिम सिख इसाई
है अपना यह
प्रवासी अप्रवासी मन
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