भारत और न्यूजीलैंड फार्मा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों सहित अन्य क्षेत्रों में गहन द्विपक्षीय करेंगे सहयोग 

11वीं भारत-न्यूजीलैंड संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) की बैठक न्यूजीलैंड में आयोजित हुई

चर्चा के दौरान सेवा क्षेत्र व्यापार में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया गया

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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दिल्ली। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के नेतृत्व में 26-27 अप्रैल 2024 न्यूजीलैंड में 11वीं भारत-न्यूजीलैंड संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) की बैठक द्विपक्षीय आयोजित की गई। बैठक में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व वहां के व्यापार मंत्री टॉड मैक्ले ने किया। इस दौरान कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी और न्यूजीलैंड के विदेश मामलों और व्यापार सचिव श्री ब्रुक बैरिंगटन भी मौजूद थे।

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भारत और न्यूजीलैंड ने दोनों अर्थव्यवस्थाओं और द्विपक्षीय व्यापार और दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने की पर्याप्त संभावनाओं पर चर्चा की। इन बैठकों में द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई प्रमुख क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया। इनमें आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने और दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और मौजूदा घनिष्ठ संबंधों तथा व्यावसायिक संपर्कों को सुदृढ़ करने की संभावनाओं पर विचार किया गया।

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बैठकों में बाजार पहुंच के मुद्दों, आर्थिक सहयोग परियोजनाओं पर प्रगति की समीक्षा की गई और नई पहलों के अवसरों की संभावनाएं खोजी गई। दोनों पक्षों ने मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक संवाद जारी रहने और कृषि जैसे क्षेत्रों पर कार्य समूहों के गठन पर चर्चा की। इस दौरान खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण एवं परिवहन; प्रमुख व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर चल रहे सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए वानिकी और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों पर बल दिया गया। चर्चा में बागवानी क्षेत्र में सहयोग प्रमुख रहा, जिसमें कीवी फल क्षेत्र (गुणवत्ता और उत्पादकता, पैक हाउसों में उचित भंडारण और उनके उपयुक्त परिवहन) के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श हुआ। एक बार कार्य समूह गठित हो जाने के बाद, भारत और न्यूजीलैंड नियमित अंतराल पर उन कार्य समूहों द्वारा की गई प्रगति और उनकी सिफारिशों की समीक्षा करेंगे।

बैठकों में आपसी हित के द्विपक्षीय व्यापार मामलों पर चर्चा की गई, जिनमें बाजार पहुंच, गैर-टैरिफ बाधाएं (एनटीबी) और अंगूर, भिंडी और आम जैसे उत्पादों पर स्वच्छता तथा फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) उपाय, जैविक में पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (एमआरए) से संबंधित मुद्दे शामिल थे। उत्पाद आयात-निर्यात प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरल बनाने के लिए वाहन घरेलू मानकों की समरूपता की पारस्परिक मान्यता आदि शामिल है। दोनों पक्षों ने मौजूदा तंत्र के तहत रचनात्मक बातचीत और सहयोग के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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विभिन्न स्तरों पर हुई चर्चाओं के दौरान सेवा क्षेत्र और द्विपक्षीय व्यापार के लिए इसके पैमाने को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें आपसी व्यापार के साथ-साथ दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने इसमें काफी रुचि दिखाई दी। साहसिक पर्यटन, नर्सिंग, टेली-मेडिसिन, शिक्षा, हवाई कनेक्टिविटी, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास (जहां भी संभव हो), स्टार्टअप आदि सहित आतिथ्य क्षेत्र पर चर्चा हुई।

फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें नियामक प्रक्रिया की फास्ट ट्रैकिंग को अपनाना और तुलनीय विदेशी नियामकों की निरीक्षण रिपोर्ट का उपयोग करके विनिर्माण सुविधाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना शामिल है। भारत से दवाओं की अधिक सोर्सिंग और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में सहयोग पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

दोनों पक्षों ने डिजिटल व्यापार, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, सीमा पार भुगतान प्रणाली आदि में सहयोग के अवसरों की संभावनाओं पर संक्षेप में चर्चा की। इस दौरान जी20, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) और अन्य बहुपक्षीय और बहुपक्षीय संघों जैसे प्लेटफार्मों के भीतर सहकारी भागीदारी और अनिवार्य आर्थिक चुनौतियों और अवसरों को कैसे संबोधित किया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों पक्षों ने नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

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बैठक इस बात पर सहमति बनी कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच मौजूदा सहयोग को निरंतर बातचीत के जरिये आगे बढ़ाया जा सकता है। इसलिए दोनों पक्षों ने मुद्दों को सुलझाने के लिए सभी स्तरों पर नियमित बैठकें आयोजित करने के साथ-साथ अनछुए क्षेत्रों में सहयोगात्मक और सहकारी गतिविधियों पर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।