सरकारी धन के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने के लिए पंचायतों का ऑडिट होना जरूरी: डॉ. तंवर

किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर
किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

Ads

शिमला । सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर ग्राम पंचायतों का भी महालेखाकार  द्वारा ऑडिट किया जाना  चाहिए ताकि सरकार द्वारा पंचायतों को मनरेगा एवं विभिन्न चरणों में  वित्तायोग द्वारा स्वीकृत धनराशि के दुरूपयोग पर लगाम लग सके । यह बात प्रदेश किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर द्वारा रविवार को जारी बयान में कही । बताया कि पंचायतों की मनमर्जी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों का विकास सही परिप्रेक्ष्य में नहीं हो पा रहा है ।

 

इनका आरोप है कि पंचायतों द्वारा मनरेगा का बहुत दुरूपयोग किया जा रहा है । अपने चहेतों को बार बार योजनाएं स्वीकृत जा रही है जबकि गरीब आदमी मनरेगा से मिलने वाले व्यक्तिगत लाभों से वंचित है । जिसके चलते पंचायतों का भौतिक एवं वित्तीय ऑडिट होना जरूरी है । इनका आरोप है कि सोशल ऑडिट के लिए निजी क्षेत्र में गठित संस्था पंचायत प्रधानों के हाथ की कठपुतली बन चुके हैं इस संस्था द्वारा सोशल ऑडिट के नाम पर केवल मात्र औपचारिकताएं निभाई जा रही है । जबकि पंचायतों में सरकारी धन का बहुत दुरूपयोग हो रहा है।

 

डॉ. तंवर ने कांगड़ा जिला की ग्राम पंचायत टिंबर की 22 वर्षीय प्रधान नेहा के साहस को बधाई दी है जिसने सुविधा संपन परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर करने का साहस किया है । इनका कहना है कि ग्राम सभा द्वारा बीपीएल परिवारों का चयन करना एक मात्र औपचारिकता बन चुकी  है । ग्राम सभा में अक्सर लोगों के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं तथा बाद में पंचायत प्रधानों द्वारा  इसका डटकर दुरूपयोग किया जाता है । यहां तक की अपने चहेतों को मौका लगते बीपीएल सूची में डाल दिया जाता है । इनका कहना है कि आगामी दो अक्तूबर को होने वाली ग्राम सभा में निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज द्वारा 20 सिंतबर 2021 को जारी मापदंडों के अनुरूप बीपीएल परिवारों का चयन किया जाना चाहिए । इस प्रक्रिया में कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए ।

 

डॉ. तंवर ने कुछ पंचायतों का जिक्र करते हुए बताया कि पंचायत प्रतिनिधियों की आड़ में  सरकार द्वारा मुफ्त में दिए जाने वाला राश्न भी अनेक समृद्ध परिवार डकार रहेे है जबकि अनेक गरीब परिवार इस योजना से आज भी वंचित हैं । इनका कहना है कि प्रदेश में अनेक पंचायत कार्यालय हफ्ता में केवल एक बार ही खुलते है जबकि सरकारी आदेशों के मुताबिक पंचायत सचिव को कार्यालय में अन्य कर्मचारियों की तरह डियूटी देनी होगी और फील्ड में  जाने के दौरान पंचायत के सूचना पटट पर लिखित रूप मेें प्रदर्शित करनी होती है ताकि लोगों को कोई असुवधिा न हो ।