किसान महापंचायत: पांवटा में सात अप्रैल को गरजेंगे भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेता

0
3
किसान महापंचायत में भाग लेने का न्यौता देती संयुक्त किसान मोर्चा की पांवटा इकाई
किसान महापंचायत में भाग लेने का न्यौता देती संयुक्त किसान मोर्चा की पांवटा इकाई
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
शिमला। कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर 4 महीने से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान आन्दोलन के समर्थन में हिमाचल प्रदेश का किसान बड़ी संख्या में लाम्बन्द होने की तैयारी में है। किसानों का समर्थन हासिल करने के लिए 7 अप्रैल को पांवटा साहिब के हरीपुर टोहना में किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत समेत किसान आन्दोलन के बड़े चेहरे सरदार गुरनाम सिंह चढूनी, सरदार बलबीर सिंह राजेवाल, मशहूर गायक सरदार कंवर गरेवाल, अभिमन्यु कोहाड़, डॉ. दर्शनपाल व अन्य बड़े नेता शिरकत करेंगे।
किसानों के लिए व्यापक समर्थन जुटाने के उद्देश्य से संयुक्त किसान मोर्चा श्री पांवटा साहिब का एक प्रतिनिधिमण्डल वीरवार को शिमला पहुंचा जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा पांवटा साहिब के संयोजक सरदार तरसेम सिंह सग्गी, सह संयोजक एवं पंचायत समिति सदस्य गुरविंदर सिंह गोपी, वरिष्ठ सदस्य एवं ग्राम पंचायत प्रधान वसीम मलिक व प्रदीप सिंह शामिल थे। मोर्चा के प्रतिनिधिमण्डल ने संयुक्त किसान मोर्चा के घटक हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष, संयुक्त किसान मंच के कोर ग्रुप सदस्य सत्यवान पुण्डीर, किसान सभा राज्य कमेटी सदस्य राजेन्द्र चैहान, राज्य व शिमला के मीडिया कर्मियों को महापंचायत में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि केन्द्र्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल असंवैधानिक है और संघीय ढांचे की उल्लंघना है क्योंकि कृषि राज्य का विषय है। डाॅ. तँवर ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रदेश सरकार से मांग करेगा कि इन बिलों को प्रदेश में लागू न करने के लिए अध्यादेश लाए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जिन 23 खाद्य वस्तुओं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है उसमें से प्रदेश के किसानों को कोई लाभ नहीं पहुंच रहा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 7 लाख मीट्रिक टन मक्की की फसल पैदा होती है जिसमें से 5 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त उत्पादन है लेकिन उसकी खरीद के लिए प्रदेश सरकार ने न तो खरीद केन्द्र खोले हैं और न ही उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली का हिस्सा बनाया है। उन्होंने कहा कि मक्की प्रदेश में सेब के बराबर की आर्थिकी दे सकती है अगर इस पर आधारित उद्योग स्थापित किए जाएं और इसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए। डाॅ. तँवर ने मक्की को नकदी फसल के तौर पर विकसित करने के लिए सरकार से मांग की है। वहीं उन्होंने कहा कि प्रदेश में सेब, टमाटर, आलू, अदरक, लहसून, हल्दी सहित दूध सहित फूलों पी भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक सरदार तरसेम सिंह सग्गी ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों के माध्यम से किसानों की ज़मीन को हड़पने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए हरियाणा और उत्तराखण्ड की मण्डियों में जाना पड़ता है। उन्हें कभी भी अपनी फसल का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता। वहीं गन्ने की फसल बेचने के लिए भी उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है।
पराली जलाने पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना और 6 महीने की कैद का कानून बनाकर सरकार ने अंग्रजी शासन द्वारा किसानों पर किये गए जुल्म की हद भी पार कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है किसानों पर इतना जुर्माना लगाया जाए कि वह जुर्माना अदा करने की स्थिति में न रहे और अपनी ज़मीन पूंजीपतियों के हाथों में बेचने के लिए मजबूर हो जाए। सग्गी ने कहा कि यह हमला सिर्फ किसानों पर नहीं है बल्कि उपभोक्ताओं और छोटे व्यापरियों कर भी है। सरकार छोटे व्यापारियों को खत्म करके खुदरा व्यापर भी पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि किसान महापंचायत में कोराना प्रोटोकाॅल का पूरा ध्यान रखेगी लेकिन सरकार अगर साजिश करके महापंचायत को रोकने की कोशिश करेगी तो किसान इसका कड़ा जवाब देंगे। उन्होंने किसानों से अपील की है कि घर-घर से निकलो-हर घर से निकलो।
संयुक्त किसान मोर्चा के सह संयोजक गुरविन्द्र सिंह से कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित उत्तराखण्ड, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश में जाकर किसानो को महापंचायत में शामिल होने का आग्रह करेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की यह किसान महापंचायत प्रदेश के किसान आन्दोलन के लिए मील का पत्थर साबित होगी।