आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में हुए नृशंस हत्याकांड से पूरा हिमाचल दहला है। इसकी गूंज पूरे देश तक गई है। 25 वर्षीय मनोहर की निर्मम ढंग से हत्या कर उसके शव के सात टुकड़े कर अलग-अलग नालों में पत्थरों के नीचे पानी के बीच दबा दिए गए थे। परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट 6 जून को लिखवाई थी। तीन दिन की तलाश में पुलिस को कुछ भी हासिल नही हो पाया था। अचानक से नौ जून को मनोहर के शव के शत-विक्षत टुकड़े मिलने से चंबा सहित पूरे हिमाचल में सनसनी फैल गई।
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यहां तक की कहानी तो सब जानते हैं। आइए आपको इस हत्याकांड के कुछ अनछुए पहुलुओं से भी रूबरू करवाएं। मनोहर एक दलित हिंदू युवक था जो कि खच्चरों पर सामान ढोकर अपनी आजीविका कमाता था। मनोहर खच्चरों के साथ न केवल वो अपनी जिंदगी के पल बिता रहा था बल्कि इन्हीं की मदद् से अपनी रोजी-रोटी भी कमाता था। जिस वक्त मनोहर गायब हुआ तो ये खच्चर दो दिन तक लगातार एक स्थान पर जाकर खड़ी हो जाती थे। ये वो स्थान था जहां संभवत: मनोहर की हत्या की गई।
इसके बाद खच्चर एक नाले के पास आकर खड़े रहते थे। स्थानीय लोगों को खच्चरों का ये व्यवहार अजीब लगा कि ये खच्चर यहां ऐसे क्यों एक साथ खड़े रहते हैं। तीसरे दिन जब वहां से गुजरते राहगीर को दुर्गंध का अहसास हुआ तो पुलिस तक मामला पंहुचा और इस तरह मनोहर का शव विक्षत शव बरामद हुआ।
बताया जा रहा है कि जिस परिवार ने मनोहर की हत्या की वो काफी रसूखदार परिवार है। उस परिवार को इलाके के लोग वन माफिया के नाम से जानते हैं। तमाम तरह के गंभीर आरोप उस पिरवार पर लगते रहे हैं। बताया जा रहा है कि वो परिवार जमात के संपर्क में भी थी। जमात मुसिलमों को हिंदू बहुल क्षेत्रों में जेहाद के लिए उकसाता है बल्कि भगवा ए हिंद पर काम करने के लिए भी बाकायदा ट्रेनिंग देता है।
पुलिस व अन्य लोगों के अनुसार मनोहर का उस परिवार की नाबाविग लड़की से प्रम प्रसंग चल रहा था जिसके कारण दोनों परिवारों में तनातनी थी। लेकिन अगर सूत्रों की मानें तो प्रेम प्रसंग का मामला हो सकता है लेकिन असलियत में मनोहर उस परिवार की आंखों की किरकिरी बन गया था। जिस रास्ते को मनोहर आने जाने के लिए इस्तेमाल करता था, वहां उस रास्ते पर कई बार मनोहर ने अपने हत्यारे परिवार को अवैध जंगल कटाई व पेड़ों की तस्करी में संलिप्त पाया। उस दौरान कई बार उक्त लोगों ने मनोहर को उस रास्ते पर न आने की चेतावनी दी थी, लेकिन मनोहर नहीं माना।
परिणाम वहीं हुआ। मनोहर को अपनी जान गवांकर उनकी चेतावनी न मानने की सजा भुगतनी पड़ी। सजा भी ऐसी भंयकर कि देखने वालों की रूह कांप गई। हालांकि हिमाचल पुलिस से उम्मीद है कि इस मामले में तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए वो अपनी जांच को आगे बढ़ाएगी। क्योंकि इस परिवार की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि अपने पड़ोसी को इतनी दर्दनाक व भंयकर मौत दे और फिर उसके शव के टुकड़े टुकड़े कर उन्हें भी ठिकाने लगाने की साजिश रच दे।
आरोपी हत्यारे परिवार पर लगे है यह मुख्य आरोप, जिन पर पुलिस को आगे बढ़ानी होगी अपनी जांच……..
आरोप नंबर 1 :- आरोपी हत्यारे परिवार पर परिवार के मुखिया पर वन माफिया का आरोप है कि स्थानीय लोगों के अनुसार परिवार का मुखिया देवदार के हजारों पेड़ अब तक काट चुका है और अवैध तरीके से कटान कर प्रदेश की सीमा के पास पहुंचा चुका है।
आरोप नंबर 2 :- हत्यारे परिवार के मुखिया पर आरोप है कि वह पशु तस्करी भी करता है। गांव के साथ लगती जम्मू कश्मीर की डोडा की सीमा पर रहने वाले बकर वालों से उसका अवैध कारोबार फलता फूलता है ।
आरोप नंबर 3:- हत्यारे परिवार के मुखिया पर आरोप है कि वह 12 महीने कई फुट बर्फ में भी नीचे गांव की तरफ नहीं लौटता है। उस पर आरोप है कि 3 बीघा जमीन पर उसका पुश्तैनी कब्जा है, जबकि लगभग 100 बीघा जमीन पर उसने अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है।
आरोप नंबर 4:-हत्यारे पर मुख्य आरोप है कि वह जड़ी बूटियों का अवैध दोहन भी करता है । स्थानीय लोगों के अनुसार यह सब सरकारी तंत्र व वन विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है । ऐसे में अब जांच की मांग उठ रही है और उंगली सरकारी तंत्र की ओर है। लोगों ने मांग उठाई है कि हत्यारे परिवार की अथाह संपत्ति की जांच सरकार की जांच एजेंसी से करवाई जाए।
आरोप नंबर 5 :- हत्यारे मुख्य परिवार पर आरोप है नोटबंदी के दौरान मुख्य आरोपी शरीफ मोहम्मद ने बैंक में लगभग 95 लाख की राशि बदली और वर्तमान में आरोपी के एक अकाउंट में लगभग 2 करोड़ रूपये होना बताया जा रहा है। ताजा मामले की बात करें तो अभी जिस वक्त हत्यारे परिवार की गिरफ्तारी हुई है , उसी दौरान वहां 200 पेड़ का एक 200 स्लीपर का एक पेड़ कटा मिला है जिसका कटान ताजा किया गया है । ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है की इतना वेट कटान करने के बावजूद आज तक पुलिस प्रशासन ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं की?
आरोप यह भी है की हत्यारे परिवार के मुखिया का जमात के साथ भी संबंध है और जमात के लोग उसके घर के आधार पर आते-जाते पाए गए हैं। वहीं स्थानीय मुस्लिम परिवार भी इस बात की पुष्टि करते हैं की जमात के लोगों का उसके घर आना जाना है और वह सबसे अलग-थलग रहता है।