नरेश के ईको-फ्रैंडली कैरी बैग बन रहे प्लास्टिक का विकल्प
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
ऊना। प्रदेश सरकार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेकों योजनाएं चला रही है। इन्हीं योजनाओं का लाभ लेकर हरोली विधानसभा के अंतर्गत पोलियां बीत के नरेश कुमार ने लगभग एक साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्बावलंबन योजना के तहत ईको-फै्रंडली कैरी बैग बनाने का कार्य आरंभ किया था। नरेश कुमार बताते है कि इससे पहले वह वेगनन इंटरप्राईजिज़ कंपनी में काम करते थे। जिसमें वह अपनी पत्नी और कुछ महिलाओं के सहयोग से सरकारी शैक्षणिक संस्थानो में महिलाओं व लड़कियों को सैनेटरी पैड बांटने व उन्हें जागरूक करने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण सभी सरकारी संस्थान बंद होने के चलते कारोबार में काफी मंदी का सामना करना पड़ा तथा घर का खर्च चलाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
नरेश कुमार बताते है कि इन सब दिक्कतों का सामना करने के पश्चात हमने कम्पोस्टेबल कैरी बैग का प्रोजैक्ट लगाने बारे सोचा जिसके लिए हमने दिल्ली, गुजरात जैसी बड़े राज्यों से मशीनों के बारे में पता किया और कैसे उत्पाद तैयार किया जाता है इसकी भी जानकारी हासिल की। उन्होंने बताया कि कंपनी से कोटेशन लेकर जिला औद्योगिक केंद्र में दी इस प्रोजैक्ट के लिए डीआईसी ने भी काफी प्रोत्साहित किया। नरेश कुमार ने बताया कि समय को देखते हुए ईको-फै्रंडली कैरी बैग बनाना काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है।
उन्होंने बताया कि जून 2021 से इस इकाई ने पूर्ण रूप से काम शुरू किया है तथा अब तक लगभग 3.5 लाख ईको-फै्रंडली कैरी बैग तैयार किए गए हैं जिसमें लगभग दो हज़ार किलो कच्चा माल इस्तेमाल किया गया। नरेश कुमार ने बताया कि गत तीन माह में उन्होंने लगभग 6 लाख रूपये के ईको-फै्रंडली कैरी बैगों का विक्रय जिला ऊना के अतिरिक्त दिल्ली और जम्मू में किया है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा ट्रांस्पोर्टेशन, कुरियर व बिजली में भी सब्सीडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कैरी बैग उत्पाद के कार्य में काफी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने बेरोजगार युवाओं को भी सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने की अपील की। नरेश कुमार ने वर्तमान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का धन्यवाद किया।
रूचि चैधरी बताती है कि वह दिल्ली में अपनी खुद की अकादमी चलाने का काम करती थी। लाॅकडाऊन के कारण अकादमी बंद होने के चलते घर वापिस आना पड़ा और रोजगार बंद होने से घर का खर्च चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक वर्ष पहले ईको-फै्रंडली कैरी बैग बनाने का कार्य शुरू किया था। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के प्रयोग से वातावरण को नुकसान पहुंचता है और समय की माँग भी है कि हर व्यक्ति द्वारा प्लास्टिक के लिफाफों के स्थान पर इन कम्पोस्टेबल कैरी बैग के प्रयोग को विश्वसनीय बनाये ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
रूचि चैधरी बताती है कि यह ईको-फै्रंडली कैरी बैग पर्यावरण एवं मानवीय स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं करता हैं और इन थैलों को मिट्टी में आसानी से सड़ाया या गलाया जा सकता है जब कि प्लास्टिक की थैलियां कई सालों तक कंपोज नहीं होती। उन्होंने लोगों को इस उत्पाद को अपनाने की अपील की है।
जिला औद्योगिक केंद्र के प्रबंधक अंशुल धीमान ने बताया कि वर्तमान सरकार द्वारा पढे़-लिखे बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री स्बावलंबन योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत औद्योगिक ईकाई, ब्यूटीपाॅर्लर, फ्लोर मिल, मोबाईल रिपेयर शाॅप, सर्विस स्टेशन व सेवा ईकाई आदि लगाने के लिए एक करोड़ रूपये तक का प्रावधान है। इस योजना के तहत पुरुषों को 25 प्रतिशत, महिलाओं को 30 प्रतिशत व विधवा महिलाओं को 35 प्रतिशत उपदान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि दस लाख रूपये तक का लोन लेने के लिए पात्र व्यक्तियों को कोई भी गवाही देने की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने बताया कि 5 प्रतिशत के हिसाब से जो बैंक ब्याज चार्ज करता है उसमें भी तीन वर्ष के लिए छुट दी जाती है। उन्होंने बताया कि गत तीन वर्षाें में ऊना जिला में लगभग 300 युवाओं ने इस योजना का लाभ उठाया है जिन्हें विभिन्न बैकों द्वारा लगभग 48 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया है तथा विभाग के माध्यम से लगभग 13 करोड़ रूपये उपदान के रूप में पात्र व्यक्तियों को दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ऊना जिला के युवा मुख्यमंत्री स्बावलंवन योजना के तहत विभिन्न गतिविधियों को अपनाकर जहंा खुद आत्मनिर्भर बने है वहीं दुसरों को भी रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं।