कुदरत ने कहर बरपाया, सरकार को भी किसानों-बागवानो पर तरस न आया, नकदी फसलों से लग रही बकाया: जोगटा

 

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आदर्श हिमाचल ब्रयूरो

शिमला। हिमाचल प्रदेश आम आदमी पार्टी ने प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर पर पिछले दिनों भारत बंद के चलते जो किसान विरोधी बयान दिया है उस बयान का आम आदमी पार्टी भर्त्सना करती है। क्योंकि मुख्य मंत्री जी ने कहा कि भारत बंद का हिमाचल में कोही असर नही हुआ। कहां तो सरकार को किसानों की मदत करनी चाहिए थी।जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार हल्के में ले रही हैं।जो पार्टी और सरकार देश अथवा भारत माता की आन बान और शान रूपी किसान और बागवान की न हो सकी वो भगवान की भी नही हो सकती।

किसानों ने अपनी मेहनत से देश और दुनिया के दूसरे देशों को भी अपने खेतों की पैदावार से उनकी मांगों की पूर्ति करते आ रहे हैं और आगे भी हमे इन्ही किसानों पर निर्भर होना होगा।आज यदि वो सरकार से अपनी फसल का एमएसपी के माध्यम से अपनी मेहनत का हक या नी उचित मूल्य मांग रहें हैं तो इसमें बुराई क्या है।वहीं दूसरी ओर किसानों से बिचौलिए फसल सस्ते दामों पर खरीद कर वही फसल जब बाजार में आती है तो वो जनता को छ:सात गुना अधिक दामों पर बेची जाती है।जब की किसानों को तो उसकी मेहनत की लागत भी नही मिल पाती।

उधारणस्वरूप जैसे आज प्रदेश में सेब का समर्थन मूल्य 9.50.पैसे प्रति किलो निर्धारित किया गया है। वही सेब खुले बाजार में 80-100 रुपए तक बिक रहा है।इसका कारण है सरकार द्वारा किसानों और बागवानी की अनदेखी तथा अंदरखाते एपीएमसी के माध्यम से बिचौलिए कई तरह की उगाही करने के चलते बागवान बहुत परेशान हैं। एपीएमसी का रुव्या भी बागवानों के प्रति उदासीनता पूर्ण ही देखा जा रहा है।

प्रदेश आम आदमी पार्टी सरकार से एक बार पुन: आग्रह करती है कि वो प्रदेश के किसानो और बागवानों को उनकी बची हुई नकदी फसलों को मंडियों में ठीक से बिकने वास्ते उन्हे प्रोत्साहित करें तथा सरकार हस्तक्षेप भी करें। जो अभी तक देखने को नही मिल रहा है।
सरकार की उक्त लापरवाही का यह एक जीता जागता उदाहरण माना जा रहा है। जैसे कि हाल ही में किसानों और बागवानों की नकदी फसलों को कुदरत के कहर का भारी सामना करना पड़ा और भारी ओला वृष्टि और तूफान से नकदी फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। जिसका उन्हे अभी तक किसी भी प्रकार का उचित मुआवजा नही मिल पाया। जिसका आम आदमी पार्टी कड़े शब्दों में सरकार का विरोध करती है।

अब तो आलम ये भी देखने को मिल रहा हैं कि मंडियों में बागवानों की फसलो के रेट ना के बराबर है।जिस कारण प्रदेश के किसान और बागवानों को अपने घरों में साल का पारिवारिक खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है।ऐसे में उनका क्या होगा ये सरकार के लिए एक गंभीरता से लेने वाला विषय है।क्योंकि सरकार अपनी जिम्मेवारीयो से बच नही सकती। इस मुहिम में सबसे ज्यादा छोटे और मझोले किसान और बागवान प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदेश आम आदमी पार्टी सरकार से पुन: अनुरोध करती है की सर्वप्रथम तो वो गरीब और मझौले बागवानो और किसानों को प्राकृतिक प्रकोप से हुए उनकी फसलों के नुकसान की तुरंत प्रभाव से भरपाई करें और उसके साथ साथ में उनकी बची हुई फसलों को मंडीयो तक पहुंचायेंऔर उन्हे उचित दाम दिलवाएं। इसके साथ साथ एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित कर उन्हे एक स्वस्थ एमएसपी के दायरे में भी लाया जाए। ताकि वो बिचोलियो द्वारा उनका और शोषण न हो सके। तथा बागवानों को कई तरह की कमीशनो की उगाही से भी निजात दिलवाई जा सके। ये प्रदेश सरकार का फर्ज और कर्तव्य भी हैं।

शिमला से प्रैस को जारी एक बयान में प्रदेश आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एसएस जोगटा ने केंद्र सरकार को भी चेताया और अनुरोध किया है कि समय रहते वो देश के तमाम किसानों के विरुद्ध लाए गए तीनों काले कानूनों को तुरंत प्रभाव से रद्द करें।अन्यथा परिणाम भुगतने को भी सरकारें त्यार रहें। क्योंकि इसमें शक की और कोई भी गुंजाइश नहीं बचती दिख रही हैं।