विशेष: हिमाचल में सेब की कीमतों में गिरावट के साथ राजनीति तेज, जानिए वजह

हिमाचल प्रदेश में इस साल सेब की कीमतों में भारी गिरावट आई है जिसके वजह से प्रदेश कि राजनीति भी गरमा गई है. यहां जानिए क्या रही है सेब की कीमतों में गिरावट के पीछे की वजह.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब की कीमतों में अचानक आई गिरावट से देश के सेब उद्योग पर संकट खड़ा हो गया है. दो हफ्ते पहले सेब 3,000 रुपये से ऊपर बिक रहा था. अब प्रति पेटी 1200 रुपये से 1800 रुपये में बिक रहा है, जबकि घटिया किस्म का सेब 500 रुपये से 800 रुपये प्रति पेटी बिक रहा है.

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पिछले 15 दिनों के भीतर सेब के दाम 1,000 रुपये से गिरकर 1,200 रुपये प्रति बॉक्स हो गए हैं. इस वर्ष हिमाचल में लगभग 4.5 करोड़ बॉक्स सेब का उत्पादन होने का अनुमान है. जिसमें से करीब 3 करोड़ बॉक्स सेब ही मंडियों में जाना बाकी है. हिमाचल में सेब की कीमतों को लेकर सियासत भी गरमा रही है. विपक्ष के हमलों के बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने भी शिमला में आंदोलन को हवा दी.

सेब की कीमतों में गिरावट के पीछे का कारण

सेब मंडी विक्रेताओं का कहना है कि इस बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सेब की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. सेब की अच्छी किस्मों के अच्छे दाम मिल रहे हैं. सेब की कीमतों में गिरावट का एक और कारण देश की मंडियों में कम मांग है. क्योंकि कोरोना ने सेब की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है. होटलों और शैक्षणिक संस्थानों में भी एप्पल की मांग कम है. सेब की कीमतों में गिरावट का यह भी एक कारण है.

सीएम जयराम ठाकुर ने भी जताई चिंता

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बागवानों को सेब की कम फसल मंडियों और बाजारों में भेजने को कहा है. मुख्यमंत्री ने बागवानों से सेब की फसल को फिलहाल रोककर रेट बढ़ने पर ही बाजार में लाने का अनुरोध किया है.
भंडारण क्षमता धारकों से भी उचित मूल्य पर सेब खरीदने का आग्रह किया जाएगा ताकि बागवानों को कोई नुकसान न हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसपी को तय से ज्यादा बढ़ाने की मांग की जा रही है. इस पर विचार जारी है लेकिन संभावना कम है. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है.

कांग्रेस ने सरकार पर कसा शिकंजा

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद को माली कहते हैं, लेकिन वह बागवानों के सामने आने वाले संकट पर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह भी चुप हैं जबकि उन्हें इस समय किसानों के माली से बातचीत करनी चाहिए थी. .

कांग्रेस ने बागवानी मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की है और गिरती कीमतों पर मुख्यमंत्री के बयान पर आश्चर्य व्यक्त किया है और कहा है कि ठाकुर किसानों को फसल नहीं तोड़ने की सलाह दे रहे हैं जो किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है. राठौर ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह के बयान देने के बजाय बागवानों को राहत देने के लिए कदम उठाने चाहिए.

तीन कृषि काला कानून किसान बागवानों के लिए अच्छा नहीं है. मैं हिमाचल के किसानों को शिमला में एक संवाददाता सम्मेलन में एकजुट होने के लिए. जब युवा किसान जागेगा तो सरकार जागेगी और किसान लाभान्वित होगा.

अदाणी एग्री ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़कर की बंपर खरीद

वहीं अदाणी एग्री फ्रेश के टर्मिनल मैनेजर मंजीत शीलू का कहना है कि किसानों ने अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक ही हफ्ते में 5,000 टन सेब अडानी एग्री फ्रेश को बेच दिए हैं. अडानी एग्री फ्रेश ने हिमाचल प्रदेश में बंपर सेब खरीदा है. इस साल का सेब तोड़ने का मौसम पिछले सप्ताह अगस्त में शुरू हुआ और पिछले सप्ताह अक्टूबर तक जारी रहने की उम्मीद है. अदाणी एग्री फ्रेश के अधिकारियों ने कहा कि किसानों के उत्साह और सकारात्मकता से पता चलता है कि खरीद शुरू होने के पहले ही दिन हिमाचल प्रदेश के किसान हिमाचल प्रदेश में हमारे तीन केंद्रों पर 1000 टन सेब लेकर पहुंचे, जबकि पिछले साल 300 टन सेब था.