सुक्खू सरकार पर गरजे राकेश सिंघा, बोले….यूनिवर्सल कार्टन पर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं

कहा....किसान - बागवानों को फसलों के नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार ने दिए सिर्फ झूठे आश्वासन

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी की बैठक राज्याध्यक्ष डाॅ कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में मण्डी में आयोजित की गई जिसमें प्रदेश में किसान सभा को मजबूत बनाने तथा किसानों के मुददों पर आगामी समय में संघर्ष की कार्यनीति बनाई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय किसान सभा तथा संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आहवान पर केन्द्र सरकार द्वारा किसानों से की गई वादाखिलाफी के विरोध में 26 से 31 मई तक पूरे देश मे ंसांसदों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन दिए जाएंगे तथा देश के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसान आन्दोलन को खत्म करते समय किए गए वादों के एवज में एक कदम भी आगे न बढ़ने की याद दिलायी जाएगी। इसी के साथ पूरे देश में किसान आन्दोलन को पुनः तेज किया जाएगा और किसान आन्दोलन को एक नई दिशा में विकसित किया जाएगा।
अध्यक्षीय भाषण में डाॅ तंवर ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने लगभग आधा साल बीतने को आया है, लेकिन कांग्रेस ने जो चुनाव में 10 गारंटियों का वायदा किया था, इस दिशा में सिवा पुरानी पेंशन के बाकि सभी यथास्थिति में हैं। यह गारंटियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसान-बागवानों से भी जुडी हैं। जिससे महिलाओं को हर माह 1500 रूपये, बिजली 300 यूनिट फ्री, युवाओं को रोज़गार, बागवान स्वयं अपने उत्पाद की कीमतें तय करने, दूध 80 से 100 रुपयेे व गोबर 2 रूपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदने तथा मुफत ईलाज़ आदि शामिल हंै।

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डाॅ तंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार का लगातार कहना है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, पूर्व सरकार ने वर्तमान सरकार पर 75000 करोड का कर्ज छोड़ा है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने टैक्स व सेवाओं की दरों में वृद्वि कर प्रदेश की जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया हैं। डीजल पर 3 रूपये प्रतिलीटर वैट बढाया था, बिजली की दरों में भी वृद्वि की है। हर वर्ष पेयजल की दरों में 10 प्रतिशत वृद्वि तय करने की नीति बनाई है। सरकार की युक्तिकरण की नीतियों के चलते कम छात्रों वाले 1500 स्कूलों को बन्द किया जाना है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो सकती है। ज्यादा कर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में अध्यापकों की भारी कमी है। अध्यापक न होने के कारण आम परिवार को भी मजबूरन निजी स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाना पड़ रहा है। निजी स्कूलों की लूट लगातार बढ़ रही है। जिस लूट को रोकने में सरकार नाकाम हो रही है। शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। शिक्षा के निजीकरण से शिक्षा मंहगी हो रही है। जिसके चलते गरीब जनता के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।
बैठक में चर्चा के दौरान पूर्व महासचिव एवं ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सेब उत्पादकों की मांगों पर सही तरीके से गौर नहीं किया। यह माना है कि सेब की खरीद वजन के आधार पर होगी। यूनिवर्सल कार्टन पर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है। जम्मू कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्तता योजना के तय सेब की खरीद को नहीं माना है।
सिंघा ने बताया कि जन सेवाओं के क्षेत्रों की हालत ठीक नहीं है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली पानी, सड़क आदि क्षेत्रों में जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों को ठगा जा रहा है। यही बात हर जगह सरकार द्वारा बोली जाती है कि हम सभी गारटिंयों को पूरा करेंगे। भाजपा सरकार की तरह कांग्रेस सरकार भी मन्दिरों, धार्मिक स्थलों के निर्माण की बात कर रही है। दूसरी तरफ जनता की समस्याओं को नजरअन्दाज किया जा रहा है।
महासचिव होतम सोंखला ने कहा कि सब्जी उत्पादकों के लिए भी सरकार स्पष्ट नहीं है। फूलगोभी, बंदगोभी, बरोकली, शिमला मिर्च आदि के बहुत ही कम दाम किसानों को मिल रहे हैं। जबकि लागत मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अप्रैल मई माह में भारी बारिश व ओलावृष्टि तथा तुफान से बागवानों व किसानों की फसलों का भारी नुकसान इुआ, जिसकी भरपाई के लिए सरकार का रवैया ढुलमुल है। किसान बागवानों को फसलों के नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार ने झूठे आश्वासन ही दिए हैं। यह सरकार पूर्व सरकार भांति नवउदारवादी नीतियों को बढा रही है।
जोगिन्द्र वालिया ने बताया कि वर्तमान सरकार का रवैया भी भूमि अधिग्रहण के मुददों पर ढुलमुल चल रहा है, जबकि यह सरकार चुनावों से पूर्व कई प्रकार के लोकलुभावने नारे देकर आई थी। ऐसे में सरकार को या तो किसानों के पक्ष में ठोस निर्णय लेने होंगे अन्यथा किसानों के पास सिवा आन्दोलन के कोई रास्ता नहीं रहेगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी समय में संगठन को मजबूत बनाने तथा किसानों की समस्याओं पर स्थानीय मुददों को शामिल करते हुए प्रदेशव्यापी संघर्ष विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में फसल आधारित संगठनों का निर्माण किया जाएगा ताकि प्रदेश की प्रमुख फसलों के उत्पादन को बढ़ाते हुए तथा किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम के लिए लामबंद किया जा सके तथा सरकार द्वारा न्युनतम समर्थन मूल्य के वादे को हासिल किया जा सके। इस सम्बंध में 3 जून को नारकंडा में सेब उत्पादक संघ की बैठक की जाएगी जिसमें सेब के मुददे पर हसत्क्षेप की रणनीति बनाई जाएगी।
बैठक में पूर्व महासचिव डाॅ ओंकार शाद, राज्य उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज तथा पूर्ण ठाकुर, सतपाल, नारायण चैहान, सहसचिव एवं पंचायत समिति सदस्य देवकीनंद, सहसचिव प्यारेलाल वर्मा, राजेन्द्र ठाकुर, गीता राम, प्रो. राजेन्द्र चैहान, जिला परिषद सदस्य किशोरी लाल, रामजी दास, गोविन्द भंडारी, जयशिव ठाकुर, सतपाल मान, नीलचंद आदि उपस्थित रहे।