आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। प्रदेश में पहली कोरोना संक्रमित मौत के मामले में जांच रिपोर्ट प्रदेस सरकार को मिल चुकी है। इस आत्महत्या ने प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ व्यवहार पर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे। अब डीडीयू में हुई कोरोना संक्रमित महिला की आत्महत्या मामले में एडीएम कानून व्यवस्था की तैयार रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है। अस्पताल में महिला की आत्महत्या से चार दिन पहले से ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों से लेकर स्टाफ पर कार्रवाई तय है। सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में साफ है कि महिला को चार दिन तक उच्च रक्तचाप की दवा नहीं दी थी, हालांकि महिला इससे पहले से पीड़ित थी। अस्पताल में दाखिल मरीजों ने वार्ड में दिए जाने वाले खाने से लेकर व्यवहार पर भी सवाल उठाए हैं।
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इसी तरह से सीनियर डाक्टरों का वार्ड में एक भी दौरा न करना मरीजों के लिए परेशानी बना था। जांच रिपोर्ट 15 पन्नों की है। इसमें महिला के स्वजनों से लेकर दूसरे मरीजों के बयान दर्ज किए हैं। साथ ही ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों सहित पैरामेडिकल स्टाफ के बयान दर्ज हैं। रिपोर्ट में सबसे हैरतअंगेज ये तथ्य आया है कि दवा न देने का कारण ये बताया कि महिला कौन सी दवा लेती थी, उसका ब्रांड नहीं बताया। इस कारण महिला को दवा नहीं दी गई। रिपोर्ट में कोविड के दौरान जारी सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना मरीज यदि किसी बीमारी से पीड़ित है तो उसे अस्पताल में मौजूद जैनरिक दवाएं मुहैया करवाई जाएं। इसके बाद अब ये सवाल उठ रहे थे कि डाक्टरों के पास यदि दवा जैनरिक थी तो उच्च रक्तचाप की दवा तो दी जा सकती थी। उपायुक्त शिमला अमित कश्यप ने माना कि इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक डाक्टर यदि समय पर रूटीन में मरीजों से बात करते तो इस मामले को टाला जा सकता है। वहीं, सभी विभागों को आपस में समन्वय करने से लेकर मरीजों के साथ अस्पताल में किए जाने वाले व्यवहार से लेकर अन्य मसलों पर भी सलाह दी गई है।